Ayodhya Ram Mandir: राम मंदिर की तैयारियां पूरी, सभी परंपराओं के तहत होगी प्राण प्रतिष्ठा
Ayodhya Ram Mandir: 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर मंदिर टस्ट के महासचिव चंपत राय ने प्रेस कांफ्रेंस की। उन्होंने बताया कि आठ हजार कुर्सियां लगाई जाएंगी।
Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या में रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने सोमवार को प्रेस कांफ्रेंस की। उन्होंने कहा कि रामलला के प्राण प्रतिष्ठा की सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। कल से पूजा कार्यक्रम शुरू होगा। 18 जनवरी को प्रतिमा रखी जाएगी। रामलला की पांच साल के बालक के रूप में प्रतिमा है। 12 बजकर 20 मिनट पर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा शुरू होगी जो एक बजे तक चलेगी। प्राण प्रतिष्ठा सभी परंपराओं के तहत होगी, श्यामल रंग की मूर्ति का चयन हुआ। रामलला की पत्थर की खड़ी मूर्ति है। प्राण प्रतिष्ठा में 65 से 75 मिनट का समय लगेगा। आठ हजार तक कुर्सियां लगाई जाएंगी। हरिद्वार, संगम, गोदावरी, मानसरोवर से जल आया है। उन्होंने कहा कि गर्भ गृह में पीएम मोदी, सीएम योगी आदित्यनाथ, संघ प्रमुख मोहन भागवत मौजूद रहेंगे। अभिजीत मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठा का समय रखा गया है।
उन्होंने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियों के मद्देनजर 21 जनवरी को रामलला के दर्शन बन्द रहेंगे। उन्होंने लोगों को घर पर दीपक जलाने और सफाई करने पर जोर दिया। कहा दुनिया देखेगी इसलिए खुद उदाहरण प्रस्तुत करें। उन्होंने कहा कि 22 को 10.30 बजे मंदिर में लोगों को प्रवेश करना होगा, पीएम के जाने के बाद ही सभी को रामलला के दर्शन मिलेंगे। महर्षि वाल्मीकि इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर 22 जनवरी को 25 चार्टेड प्लेन लैंड करेंगे। उन्होंने कहा कि 26 जनवरी से विहिप और संघ परिवार के कार्यकर्ता आएंगे। दर्शन को (प्रतिदिन 5000 तक), अगले दिन वे जाएंगे... ऐसा 22-23 फरवरी तक ही चलेगा।
50 देशों के 53 प्रतिनिधि आ रहे हैं
रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह में 50 देशों के 53 प्रतिनिधि आ रहे हैं। प्राण प्रतिष्ठा में, व्यवस्था ऐसी होगी कि वह दर्शन करके उसी दिन वापस लौट जाएं। इसके लिए रात्रि में दर्शन का टाइम बढ़ाया जाएगा। 22 जनवरी के बाद पत्रकारों को कैमरों के जरिये इजाजत मिल सकती है।
अरुण योगिराज ने बनाई है रामलला की प्रतिमा
मैसूर के रहने वाले अरुण योगिराज रामलला की प्रतिमा बनाई है। उन्होंने कई महत्वपूर्ण प्रतिमाएं बनाई हैं। वह मूर्ति बनाने में इतना मशगूल रहे कि 15-15 दिनों तक अपने पास मोबाइल नहीं रखा। उन्होंने कहा कि अयोध्या में 2 परंपराएं हैं, मंदिर रामानंद परम्परा का है, बिना नाम लिए शंकराचार्य को जवाब दिया।
श्रीरामलला की वर्तमान मूर्ति भी मूल मंदिर के मूल गर्भ गृह में होगी स्थापित
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने उस सवाल का भी जवाब दे दिया, जिसका सभी को बेताबी से इंतजार था। अयोध्या में वर्तमान में भगवान श्रीरामलला की मूर्ति की पूजा अर्चना की जा रही है, उन्हें भी नए मंदिर के गर्भ गृह में ही स्थापित किया जाएगा और नई प्रतिमा के साथ-साथ उनकी भी एक समान पूजा अर्चना की जाएगी। उल्लेखनीय है कि बहुत से लोग जानना चाहते थे कि गर्भ गृह में श्रीरामलला की नई प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद वर्तमान में जिस मूर्ति की पूजा अर्चना की जा रही है, उसका क्या होगा। सोमवार को इन सभी सवालों का जवाब मिल गया।
70 साल से हो रही है पूजा
चंपत राय ने बताया कि भगवान की वर्तमान प्रतिमाएं जिनकी उपासना, सेवा, पूजा लगातार 70 साल (1950 से) से चली आ रही है, वो भी मूल मंदिर के मूल गर्भ गृह में ही उपस्थित रहेंगी। उन्होंने बताया कि जैसे अभी उनकी पूजा और उपासना की जा रही है, वैसी ही 22 जनवरी से भी अनवरत की जाएगी। उन्होंने ये भी बताया कि पुरानी प्रतिमाओं के साथ-साथ श्रीरामलला की नई प्रतिमा को भी अंग वस्त्र पहनाए जाएंगे। मालूम हो कि वर्तमान में जिस मंदिर में श्रीरामलला की पूजा होती है, वहां श्रीरामलला अपने तीनों भाइयों के संग विराजमान हैं।