Azam Khan: रामपुर पब्लिक स्कूल मामले में आजम खान को लग सकता है बड़ा झटका, हाईकोर्ट में सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित

Azam Khan: कार्यवाहक चीफ जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता और जस्टिस क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update: 2023-12-19 06:05 GMT

Azam Khan Rampur Public School case   (photo: social media )

Azam Khan News: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान बेटे के फर्जी जन्म प्रमाण पत्र के मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद से सीतापुर जेल में बंद हैं। उन्हें जल्द एक और बड़ा झटका लग सकता है। मौलाना अली जौहर प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान के भवन में रामपुर पब्लिक स्कूल खोले जाने की योजना रद्द किए जाने के विरूद्ध दायर याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सोमवार को सुनवाई पूरी हो गई।

कार्यवाहक चीफ जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता और जस्टिस क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट ने रामपुर पब्लिक स्कूल के छात्रों को किसी अन्य संस्थान में शिफ्ट करने की तैयारी करने का निर्देश भी दिया है। सोमवार को हुई सुनवाई में मौलाना अली जौहर ट्रस्ट की ओर से अधिवक्ता इमरान उल्लाह और राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र और अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता सुधांशु श्रीवास्तव पेश हुए।

क्या है पूरा मामला ?

दरअसल, ये पूरा मामला अखिलेश यादव सरकार के दौरान का है। उस समय आजम खान सपा सरकार के सबसे प्रभावशाली कैबिनेट मंत्रियों में शामिल थे। सपा सरकार के दौरान ही खान के गृह जनपद रामपुर में एक सरकारी प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान खोलने का निर्णय लिया गया था, जिसके लिए जमीन अधिग्रहित की गई और भवन निर्माण का 80 फीसदी काम भी पूरा हो गया। लेकिन तत्कालीन कैबिनेट मंत्री आजम खान ने मुख्यमंत्री पर प्रेशर डालकर इस संस्थान को अपने ड्रीम प्रोजेक्ट जौहर विश्वविद्यालय से संबंध करा लिया।

अल्पसंख्यक विभाग की ओर से इस पर आपत्ति दर्ज कराई गई थी। उनकी आपत्ति थी कि एक सरकारी संस्थान को किसी निजी संस्थान से संबंध नहीं किया जा सकता, इससे हितों का टकराव होगा। हितों के टकराव के कारण सरकार को 20 करोड़ से अधिक का नुकसान होने की रिपोर्ट की भी अनदेखी की गई। आजम खान ने सरकारी संस्थान की एक एकड़ जमीन को 100 रूपये किराये पर 99 साल की लीज पर मौलाना अली जौहर ट्रस्ट के नाम पर अनुमोदित करा ली। खान स्वयं इस ट्रस्ट के आजीवन अध्यक्ष हैं।

इसके बाद सपा नेता ने सरकारी संस्थान के भवन में रामपुर पब्लिक स्कूल खोल ली। 2017 में जब प्रदेश में सरकार बदली तो आजम खान के इस कारस्तानी की शिकायत की गई, जिसकी जांच के लिए एसआईटी गठित की गई। एसआईटी की रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद योगी कैबिनेट ने 2014 में अखिलेश कैबिनेट द्वारा लिए गए फैसले को पलट दिया और साथ ही लीज पर निरस्त कर दी। योगी सरकार के इस फैसले के खिलाफ आजम खान का ट्रस्ट हाईकोर्ट पहुंच गया।

ट्रस्ट की ओर से दलील दी गई कि कैबिनेट के फैसले को दूसरी सरकार रद्द नहीं कर सकती। ऐसा करने से पहले याची को अपना पक्ष रखने के लिए भी समय नहीं दिया गया जो कि स्वाभाविक न्याय के विपरीत है। वहीं, राज्य सरकार ने इस पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि नीतिगत मामलों में किसी पक्ष को सुनवाई का मौका देने का कोई औचित्य नहीं है। एक सरकारी संस्था को किसी निजी संस्थान से संबंध नहीं किया जा सकता, ये ग्रांट एक्ट का उल्लंघन है। अब सभी की नजरें इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले पर टिकी हुई हैं।

बता दें कि यूपी में सत्ता परिवर्तन के बाद से वरिष्ठ सपा नेता आजम खान का ड्रीम प्रोजेक्ट जौहर विश्वविद्याल निशाने पर है। सपा नेता पर अखिलेश सरकार के दौरान जमकर धांधलियां करने का आरोप है। इसकी जांच आयकर विभाग से लेकर प्रवर्तन निदेशालय तक कर रही है। पिछले दिनों आयकर विभाग की ओर से विश्वविद्याल परिसर में छापेमारी भी की गई थी।

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