Bada Mangal 2022: लखनऊ में 400 वर्ष पुरानी है बड़ा मंगल की परंपरा, जानें इसका इतिहास और रोचक तथ्‍य

Lucknow: लखनऊ में बड़ा मंगल की परंपरा करीब 400 वर्ष पहले की है। लखनऊ के इतिहास के जानकारों का मानना है कि बड़ा मंगल का मेला अलीगंज के नए महावीर मंदिर के कारण आरंभ हुआ था।

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Published By :  Deepak Kumar
Update: 2022-05-17 17:47 GMT

बड़ा मंगल। (Social Media)

Lucknow News Today: ज्येष्ठ माह के मंगलवार को बड़ा मंगल (Bada Mangal) मनाया जाता है, मेला केवल लखनऊ और आसपास के इलाकों में ही दिखता है तो इसमें लखनऊ की मिली जुली संस्कृति की गहरी छाप है। लखनऊ में बड़ा मंगल (Bada Mangal in Lucknow) की परंपरा करीब 400 वर्ष पहले की है। लखनऊ के इतिहास के जानकारों का मानना है कि बड़ा मंगल का मेला अलीगंज के नए महावीर मंदिर (New Mahavir Mandir of Mela Aliganj) के कारण आरंभ हुआ था। इस मंदिर की स्थापना ज्येष्ठ के पहले बड़े मंगल को हुई थी।

वह वाजिद अली शाह का दौर था और उन्होंने इस मंदिर की स्थापना और बड़ा मंगल के मेला में महत्वपूर्ण योगदान किया। लेखक योगेश प्रवीन के अनुसार मंदिर के संबंध में आस्था रही है कि यहां जेठ के पहले मंगल को हनुमान प्रकट हुए थे। इस मंदिर का श्री विग्रह स्वयंभू है और ये मूर्ति महंत खासाराम (Murthy Mahant Khasaram) को एक स्वप्न निर्देश से जमीन से प्राप्त हुई थी। इसी कारण यहां बड़े मंगल का मेला शुरू हुआ और धीरे-धीरे व्यापक रूप लेता चला गया।

ब्रह्मभोज का आयोजन करते थे नवाब वाजिद अली शाह

बड़े मंगल पर नवाब वाजिद अली शाह (Nawab Wajid Ali Shah) एक ब्रह्मभोज का आयोजन करते थे और बेगमों की तरफ से बंदरिया बाग में बंदरों को चना खिलाया जाता था। प्याऊ और शर्बत की व्यवस्था होती थी। नवाबी घराने और बेगमों की उन पर जो आस्था थी उसका प्रबल प्रतीक अलीगंज में स्थित हनुमानजी का पुराना मंदिर है, जिसे नवाब सआदत अली खान की मां जनाब आलिया ने बनवाया था।

इत्र कारोबारी ने बनवाया अलीगंज में हनुमान मंदिर

एक अन्य कथानक के अनुसार इत्र कारोबारी लाला जाटमल (perfume trader Lala Jatmal) ने अलीगंज में हनुमान मंदिरों को बनवाया। अलीगंज हनुमान मंदिर का विग्रह स्वयंभू है और यह मूर्ति महंत खासाराम को एक स्वप्न निर्देश में जमीन से मिली। महंत खासाराम के अनुरोध पर ही इस मंदिर का निर्माण करवाया गया।

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