Baghpat News: सिद्धचक्र महामंडल विधान में 256 अर्घ श्रीफल समर्पित किए गए
Baghpat News: कर्म, मूलतः आठ होते है। जिनके कारण यह संसारी जीव सतकर्म और असत्य कर्म करता है। सत्य कर्म करने से अच्छी भोगोप की सामग्री प्राप्त होती है। दुष्कर्म करने से शरीर रोगग्रस्त, संतान आचरणहीन, पत्नी झगड़ालू, इत्यादि। अशुभ चीजों की प्राप्ति होती है।
Baghpat News: उत्तर प्रदेश के जनपद बागपत (Baghpat News) के अतिशय क्षेत्र बरनावा (excessive area barnawa) की तपों भूमि पर हो रहे श्री 1008 सिद्धचक्र महामंडल विधान ब्रम्हचारी प्रदीप पीयूष जी (Pradeep Piyush ji) ने जबलपुर के निर्देशन में आज 256 अर्घ श्री फल समर्पित किये गए। सिद्धचक्र महामंडल विधान के अंतर्गत आज कर्म दहन विधान सम्पन्न किया गया।
आपको बता दें कि ज्ञानावरण के पांच भेद, दर्शनावरण के नौ भेद, वेदनीय कर्म के दो भेद, मोहनीय के 28 भेद, आयु कर्म 4 भेद, नाम कर्म के 93 भेद गोत्र कर्म के 2 भेद अंतराय कर्म के पांच भेद, इन समस्त कर्मों नष्ट करने के लिए 256 अर्घ श्री फल समर्पित किये गए और परिणामों की अपेक्षा कर्मों के 256 भेदो के माध्यम से अर्घ समर्पित किये गए।
कर्म मूलतः आठ होते हैं
बताया गया कि कर्म, मूलतः आठ होते है। जिनके कारण यह संसारी जीव सतकर्म और असत्य कर्म करता है। सत्य कर्म करने से अच्छी भोगोप की सामग्री प्राप्त होती है। दुष्कर्म करने से शरीर रोगग्रस्त, संतान आचरण हीन, पत्नी झगड़ालू, इत्यादि। अशुभ चीजों की प्राप्ति होती है। श्री चंद्रप्रभु भगवान के दरबार में जो श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान को श्रद्धा भक्ति के साथ आराधना सम्पन्न करता है। वह सदैव सुख-संपत्ति वैभव साम्राज्य लक्ष्मी पति कुबेर सभी सम्पदायें उसको सहज ही प्राप्त हो जाती है।
मौजूद रहे
चक्रवर्ती जैसे महान पद भी उसे प्राप्त होता है। कर्मों के उत्तर भी प्राप्त हो जाते है। जिन कर्मों श्री चंद्रप्रभ भगवान जैसे चौबीस तीर्थंकरों ने और अन्तानन्त सिद्ध भगवंतों उन्हें नष्ट कर दिया है । इस मौके पर बादामी बाई जैन, कृष्णा देवी जैन, सरिता जैन, पूनम जैन, शिवानी जैन, आकांशा जैन, सुरभि जैन, नरेश जैन, आदि लोग मौजूद रहे है।
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