Bahujan Samaj Party: 2021 में भी मायावती ने कई बड़े नेताओं व विधायकों का अनुशासनहीनता के नाम पर दल से निष्कासित किया, देखें लिस्ट
Bahujan Samaj Party: 2021 में भी बसपा सुप्रीमों मायावती ने अपने दल के कई दिग्गज नेताओं, विधायकों पर अनुशासनहीनता का आरोप लगाते हुए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया।
Bahujan Samaj Party: बीता 2021 का वर्ष, बहुजन समाजवादी पार्टी (Bahujan Samaj Party) के लिये आगामी वर्ष 2022 में शुरू होने जा रहे विधानसभा चुनाव (Vidhan Sabha Chunav 2022) की तैयारियों की रणनीति बनाते हुए निकला। इस 2021 में भी बसपा सुप्रीमों मायावती (BSP Supremo Mayawati) ने अपने दल के कई दिग्गज नेताओं, विधायकों पर अनुशासनहीनता का आरोप लगाते हुए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया। तो वहीं पार्टी के प्रति ब्राह्मण मतदाताओं (brahmin voters in up) का रुझान लाने के लिए बसपा के महासचिव सतीश मिश्र (Satish Mishra) व उनकी पत्नी (satish mishra wife) , बेटे (satish mishra son) बसपा के समर्थन में वर्ष 2021 में अनेकों जनसभाएं कर चुके हैं।
बीत रहे वर्ष 2021 में बसपा सुप्रीमों ने एक बार फिर अपने दल के विधायकों व बड़े नेताओं पर पार्टी का अनुशासन तोड़ने के लिये कतई माफ नहीं किया। गत 2017 के चुनाव में बसपा ने विधानसभा की 19 सीटों पर जीत दर्ज की थी लेकिन 2021 में बसपा सुप्रीमों मायावती ने इन 19 विधायकों में से अधिकांश पर पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में पार्टी से निष्कासित करने में कोई नरमी नहीं बरती है। आज सिर्फ तीन विधायक ऐसे हैं जो पार्टी में हैं।
बसपा विधायक सूची (BSP MLA List)
बलिया की रसड़ा सीट (Rasra Seat) के विधायक उमाशंकर सिंह, आजमगढ़ की लालगंज (Lalganj Azamgarh) के विधायक आजाद मर्दन सिंह व मथुरा की मांट सीट (Mant seat Mathura) के विधायक श्याम सुंदर सिंह ही इस समय बसपा के साथ हैं।
पार्टी से बाहर हुए ये नेता
2021 के बसपा के जिन दिग्गज नेताओं विधायकों पर बसपा सुप्रीमों मायावती ने पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया है, उनमें स्वामी प्रसाद मौर्य, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, विनय शंकर तिवारी जैसे दिग्गज नेताओं के पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में बसपा सुप्रीमों मायावती ने पार्टी से निष्कासित कर दिया है। इसी तरह से राम अचल राजभर व लालजी वर्मा को भी बसपा से निष्कासित किया गया।वहीं मऊ विधानसभा से बसपा विधायक व जेल में बन्द माफिया डॉन मुख्तार अंसारी का टिकट भी इस बार बसपा सुप्रीमों के काट दिया है।बसपा ने 2021 में यह निर्णय लिया कि बाहुबलियों व अपराधी किस्म के नेताओं को अब बसपा में कोई स्थान नही मिलेगा।बसपा सुप्रीमों के यह फैसले बीत रहे वर्ष 2021 में बेहद चर्चा का विषय बने रहे।
बसपा सुप्रीमों ने एक बार फिर अपने दल के महासचिव सतीश मिश्र पर गुजर रहे 2021 वर्ष में फिर अपना दृढ़ विश्वास जाहिर किया। यूपी की राजनीति में इस वर्ष यह संदेश देने का प्रयास किया कि भाजपा से उपेक्षित ब्राह्मण मतदाता का आज भी बसपा में पूरा सम्मान है।अपने इस नजरिए के चलते ही उन्होंने भाजपा के ब्राह्मण वोट बैंक पर सेंध लगाने की रणनीति पर अमल किया है।
बीएसपी की नजर ब्राह्मण मतदाताओं पर
आगामी 2022 के विधान चुनाव के मद्देनजर ब्राह्मण मतदाताओं को बसपा के पाले में लाने के लिये उनकी रणनीति जारी है। इस 2021 के चुनाव में एक खास बात यह रही कि बसपा सुप्रीमों ने सतीश चंद्र मिश्र के परिवार का पूरी तरह से बसपाईकरण करने में सफलता हासिल की है।इस वर्ष बसपा महासचिव सतीश मिश्र के परिवार को सतीश मिश्र के परिवार को बसपा सुप्रीमों मायावती ने एक सम्मानजनक तरजीह दी है। इधर सतीश मिश्र का परिवार भी 2022 के चुनाव में बसपा के लिये सक्रिय भूमिका में 2021 नजर आया।2021 में सतीश मिश्र की पत्नी, बेटा व समधी बसपाई रंग में रंगे दिखाई पड़े।
बसपा सुप्रीमों मायावती 2021 में एक गम्भीर व परिपक्व नेता के रूप में पूरे वर्ष भर नजर आयीं।इस वर्ष वे आगामी 2022 के विधानसभा के चुनाव की तैयारियों की रणनीति बनाती हुई नजर आईं और वे पूरे 2021 में विवादित मुद्दों व विवादित भाषण देने से बचती हुई नजर आईं।इसके साथ ही 2021 में ही बसपा सुप्रीमों ने यह तय किया कि आगामी चुनाव में वे खुद सतीश मिश्र के साथ आगामी 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी की जीत का ख़ाका खींचेंगी।उन्होंने इस 2021 के वर्ष में यह भी तय किया है कि पार्टी से छिटके ब्राह्मण मतदाताओं को पुनः पार्टी से जोड़ने के लिये वे खुद रणनीति बनाती रहीं और अपने महासचिव सतीश मिश्र को ब्राह्मण मतदाताओं को पुनः दल से जोड़ने के लिये सतीश मिश्र पर ही भरोसा दिखाया।
2021 में बसपा सुप्रीमों मायावती ने 2007 से 2012 के दौरान यूपी में अपनी सरकार के दौरान कराए गए विकास कार्यों को इस बार यूपी में आम आदमी तक पहुंचाने के लिये भी एक नई रणनीति पर अमल करने का काम भी शुरू किया है।इसी के मद्देनजर उन्होंने 2021 में अपने दल के जनपद प्रभारियों की एक बैठक भी आयोजित की थी।जिन्हें यह जिम्मेदारी दी गयी कि सूबे में बसपा की सरकार में कराए गए विकास कार्यो की सूची जनता तक पहुंचाने का कार्य करेंगे।उन्होंने 84 सुरक्षित सीटों के विधानसभा अध्यक्षों की एक बैठक भी 2021 में आयोजित की थी।
कुल मिलाकर गुजरे 2021 का वर्ष बसपा के लिये बेहद उतार चढ़ाव वाला वर्ष रहा है । इस वर्ष भी अन्य दलों के तमाम प्रयासों के बाद भी बसपा सुप्रीमों ने अपने दल का बेस वोट बचाये रखने के लिये पूरी शक्ति झोंके रखी।यही वजह रही कि 2021 में बसपा सुप्रीमों ने अपने दल के जिन विधायकों व बड़े नेताओं को अनुशासनहीनता के नाम पर निष्कासित किया है । वे नेता भी अपने साथ बसपा के वोट बैंक में कोई खास सेंध लगा सके हैं । बस अपने कुछ खास समर्थकों के साथ पार्टी से निष्कासित होने पर दूसरे दलों में शामिल हो गए।