अब बुलडोजर पूर्व विधायक पर: आई बृजेश प्रजापति की बारी, आलीशान मकान होगा चकनाचूर

Former MLA Brijesh Prajapati: पूर्व विधायक बृजेश प्रजापति की बांदा शहर के पॉश इलाके में एक बेहतरीन मकान और कार्यालय निर्मित है, जो कि मानकों के अनुरूप ना होने के चलते बांदा विकास प्राधिकरण की नज़रों में आ गया है।

Report :  Rajat Verma
Published By :  Vidushi Mishra
Update: 2022-03-31 04:59 GMT

तिंदवारी विधानसभा के पूर्व विधायक बृजेश प्रजापति (फोटो-सोशल मीडिया) 

Brijesh Prajapati: पूर्व भाजपा नेता और 2017 में भाजपा के टिकट पर बांदा जिले की तिंदवारी विधानसभा के पूर्व विधायक बृजेश प्रजापति द्वारा भाजपा का दामन छोड़ते ही उनके लिए मुश्किल दिन शुरू हो गए हैं। ऐसे में हालिया प्राप्त सूचना के मुताबिक पूर्व विधायक बृजेश प्रजापति की बांदा शहर के पॉश इलाके में एक बेहतरीन मकान और कार्यालय निर्मित है, जो कि मानकों के अनुरूप ना होने के चलते बांदा विकास प्राधिकरण की नज़रों में आ गया है।

इस सूचना के सामने आने के बाद लोगों का एक ही सवाल है कि क्या दल-बदलू नेता बृजेश प्रजापति के मकान पर योगी बाबा का बुल्डोजर चलेगा? हालांकि मामले में सरकारी प्रक्रिया जारी है और बांदा विकास प्राधिकरण ने मामले का संज्ञान लिया गया है।

गैर-कानूनी कार्यों की श्रेणी में ये 

बांदा विकास प्राधिकरण द्वारा प्राप्त सूचना के मुताबिक पूर्व विधायक बृजेश प्रजापति के बांदा शहर में निर्मित 3 मंजिल मकान का नक्शा पास नहीं कराया गया है, और बगैर विभाग से नक्शा पास कराए मकान बनवाना गैर-कानूनी कार्यों की श्रेणी में आता है।

ऐसे में बांदा विकास प्राधिकरण द्वारा बृजेश प्रजापति को नोटिस भेजकर 7 अप्रैल को प्राधिकरण के सामने तलब होने का आदेश दिया गया है और साथ ही यह भी कहा गया है ली यदि पूर्व विधायक 7 अप्रैल को उपस्थित नहीं होते हैं उनके कथित अवैध निर्माण को बुल्डोजर से ढहा दिया जाएगा।

आपको बता दें कि 2022 विधानसभा चुनाव के ठीक पहले भाजपा छोड़ समाजवादी पार्टी में शामिल हुए स्वामी प्रसाद मौर्य का समर्थन करते हुए बृजेश प्रजापति ने भी भाजपा छोड़ सपा का दामन थाम लिया है। मामले सम्बंधी खबर सामने आने के बाद अब लोगों का कहना है कि भाजपा का साथ छोड़ने के बाद बृजेश प्रजापति के बुरे दिन शुरू हो गए हैं और अब इनकी संपत्ति पर भी बाबा जी का बुल्डोजर चलेगा।

स्वामी प्रसाद मौर्य, ब्रिजेश प्रजापति समेत कई नेताओं ने तत्कालीन भाजपा विधायकों ने भाजपा सरकार द्वारा दलित और पिछड़ों का उत्पीड़न करने और अन्य कई मुद्दों को लेकर भाजपा का दामन छोड़ समाजवादी पार्टी की सदस्यता हासिल की थी।

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