Banda की महिला ई-रिक्शा चालक की कहानी, ऐसे उठा रही बीमार पति और विकलांग पिता की जिम्मेदारी
Banda News: महिला ई-रिक्शा चालक के घर में पति, पिता, माँ और खुद को मिलाकर इसका चार लोगों का परिवार है ।
Banda News: "लड़की है तो क्या हुआ, हम किसी से कम नहीं हैं" बाँदा में इस नारे के साथ बाँदा की एक शादीशुदा महिला ई-रिक्शा चलाकर (Female e-rickshaw driver) अपने परिवार का भरण-पोषण करती है । विकलांग पिता और बीमार पति के इलाज के अभाव में ये महिला खुद रिक्शा चलाकर अपने परिवार का जीवन यापन कर रही है । वही महिला इसे मजबूरी बताते हुए इस काम से अपने आप को खुश बताती है और बोला कि कोई काम छोटा बड़ा नहीं होता, लड़की है तो क्या हुआ, हम भारत की नारी हैं ।
मामला बाँदा शहर कोतवाली क्षेत्र अंतर्गत निम्नीपार स्थित चूना भट्टी कांशीराम कालोनी का है । जहाँ की निवासी हिना की शादी लगभग 8 साल पहले जनपद के ही एक युवक से हुई थी । पर उसका पिता विकलांग है और पति बीमार रहता है, हिना की कोई संतान नहीं है । घर में पति, पिता, माँ और खुद को मिलाकर इसका चार लोगों का परिवार है । बीमार पति और माँ और विकलांग पिता के चलते घर की स्थिति सही ना होने से इस महिला ने ई-रिक्शा चलाने का बीड़ा उठाया और आज लगभग एक साल से वह सुबह 9 से रात 8 बजे तक रिक्शा चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रही है ।
दिनभर में कमाती है 500 रुपए
जब हिना से इस काम के बारे में जानकारी ली गयी तो उसने बेसंकोच कहा की मेरा पति बीमार है और पिता विकलांग है, ऐसे में घर की स्थिति सही नहीं थी तो मजबूरी में मैंने ई-रिक्शा किराये पर लिया और रोजाना सुबह से शाम तक ई-रिक्शा चलाकर 500 रुपये कमाती हूँ जिसमे 300 रुपये रिक्शा किराया देने के बाद 200 रुपये बच जाते हैं। जिसमे अपने परिवार का पालन-पोषण करती हूँ और इसी पैसो में मैं अपने बीमार पति का इलाज भी कराती हूँ । लड़की के ई-रिक्शा चलाने के बारे में उसके विकलांग पिता समीर अली का कहना है की मैं और उसका पति मजबूर है जिसकी वजह से मेरी बेटी रिक्शा चलाकर हम सब का पेट पालती है। हम मजबूर है पर हमे अपनी बेटी हिना पर गर्व है ।