यूपी में हवा-हवाई साबित हो रहे पॉलीथीन पर प्रतिबंध के दावे
कागजों में भले ही उत्तर प्रदेश सरकार ने लखनऊ में पॉलीथीन बैन कर दी हो लेकिन शहर में ऐसी कोई भी जगह नहीं है जहाँ पॉलीथीन का इस्तेमाल न हो रहा हो, एकबार फिर..
लखनऊ। कागजों में भले ही उत्तर प्रदेश सरकार ने लखनऊ में पॉलीथीन बैन कर दी हो लेकिन शहर में ऐसी कोई भी जगह नहीं है जहाँ पॉलीथीन का इस्तेमाल न हो रहा हो, एकबार फिर पॉलीथीन ने राजधानी लखनऊ में अपना एकछत्र राज्य स्थापित कर लिया है। newstrack.com की टीम जब पॉलीथीन का रियलिटी चेक करने जब शहर के व्यस्ततम बाजार अमीनाबाद में पहुंची तो मंजर हैरान कर देने वाले था।
2016 से लगी थी रोक
बाजार में मौजूद सभी दुकानों में पॉलीथीन का इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा था। करीब दो वर्ष पूर्व हाईकोर्ट के आदेश के बाद प्रदेश सरकार ने पॉलीथीन बैग पर पूरी तरह से बैन लगा दिया था।यह बैन निर्माण और बिक्री दोनों पर लागू था।
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उस समय इसका असर भी दिखाई दिया लेकिन प्रशासनिक सख्ती कुछ समय बाद गायब हो गई। उत्तर प्रदेश में 2016 से सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करते हुए पॉलीथीन को पूरी तरह से बैन कर दिया गया था।
सरकार ने कड़े शब्दों में कहा था कि पॉलीथीन की बिक्री पूरी तरह से बैन होगी। इसके साथ ही प्रदेश भर में अभियान चलाकर बड़ी संख्या में इसकी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स को बंद किया गया था। नगर निगम ने भी कार्रवाई करते हुए कई कुंतल पॉलीथीन जब्त की थी, लेकिन जब्त की गयी पॉलीथीन और मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स पर कोई ठोस रणनीति न बनने के कारण पॉलीथीन की बिक्री आज भी जारी है।
मुख्यमंत्री योगी ने दिए थे कड़े निर्देश
उत्तर प्रदेश में सरकार बनने के बाद ही सीएम योगी ने अधिकारियों को पॉलीथीन बैग की बिक्री एवं निर्माण पर प्रतिबंध लगाने के आदेश दिए थे। उन्होंने कहा था कि पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाना सबकी जिम्मेदारी है। आदेश के चलते पॉलीथीन बैन तो जरूर हुई लेकिन अधिकारियों के हीलाहवाली के चलते एक बार फिर पॉलीथीन ने राजधानी लखनऊ में अपना एकछत्र राज्य स्थापित कर लिया है।
पॉलीथीन से क्या हैं नुकसान
पॉलीथीन हवा और पानी में जहर घोल रही है। पॉलीथीन पानी का ऑक्सीजन लेवल कम कर देती है। जिससे हर साल कई मौतें होती हैं। पॉलीथीन इधर उधर फेंके जाने से स्तनधारी जानवर इनको खा लेते हैं, जिससे स्तनधारी जानवरों की मौत हो जाती है।
खास बातें
* 903 करोड़ टनप्लास्टिक मौजूद है पृथ्वी पर, जो कि 110 हाथियों के भार के बराबर है।
* इतने प्लास्टिक से 9 एफिलटॉवर खड़े किए जा सकते हैं।
* 1.3 करोड़ टन प्लास्टिक कचरा हर साल सीधे समुद्रों में गिराया जा रहा है।
* 1 लाख करोड़ प्लास्टिकबैग हर वर्ष उपयोग हो रहे हैं।
* 150 प्लास्टिक बैग हर व्यक्तिपर है यदि प्लास्टिक बैग का औसत निकाला जाए तो।
* 8 प्रतिशत जीवाश्म ईंधन प्लास्टिक निर्माण में हो रहा है खर्च।
* वल्र्ड इकोनॉमिकफोरम की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में सालाना 56 लाख टन प्लास्टिक का कूड़ा बनताहै। दुनियाभर में जितना कूड़ा हर साल समुद्र में बहाया जाता है उसका 60 प्रतिशत हिस्सा भारत डालता है।
* देश में हर साल तैयार होने वाले 6.2 करोड़ टन से ज्यादा कचरे में 56 लाख टन प्लास्टिक का कचरा शामिल है।
डरावना है भविष्य
एसोचैम और प्राइस वॉटर हाउस कूपर्स के आंकड़ों के अनुसार, अगर बिना शोधित किए गए कचरे को इसी दर से फेंका जाता रहा तो भारतको 2050 तक इस कचरे को जमा करने के लिए 88 वर्ग किलोमीटर जमीन की जरूरत पड़ेगी,यह क्षेत्रफल लगभग नई दिल्ली के आकार के बराबर है।