प्रिंसिपल का तुगलकी फरमान! हिजाब पहन कर स्कूल आने से रोका,गुस्सा

यहां एक स्कूल में वहां के प्रधानाचार्य ने ऐसा तुगलकी फरमान सुनाया जो न तो किसी अभिभावक के गले उतर रहा है और न ही किसी आम नागरिक के। यहां एक अभिभावक ने अपनी लड़की

Update:2017-11-23 19:09 IST
छात्रा के पिता मौलाना मोहम्मद रज़ा रिजवी

बाराबंकी: यहां एक स्कूल में वहां के प्रधानाचार्य ने ऐसा तुगलकी फरमान सुनाया जो न तो किसी अभिभावक के गले उतर रहा है और न ही किसी आम नागरिक के। यहां एक अभिभावक ने अपनी लड़की को सर पर स्कार्फ बंधवा कर भेजा तो स्कूल प्रबंधन को इतना बुरा लगा कि अभिभावक को बच्चे को किसी इस्लामिक स्कूल में दाखिला करा देने का फरमान सुना दिया वह भी लिखित रूप में।स्कूल ने अभिभावक को अपनी ड्रेस कोड का हवाला देते हुए किसी भी प्रकार की छूट देने से इनकार करते हुए बेवजह प्रश्न न करने की हिदायत दी है।

यह मामला सामने आया है बाराबंकी के नगर कोतवाली इलाके के आनन्द भवन स्कूल का।आनन्द भवन स्कूल मूलतः ईसाई मिशनरी स्कूल के रूप में विख्यात है यहां सभी धर्मों को मानने वाले अभिभावकों के बच्चे पठन -पाठन का कार्य करते हैं।इस स्कूल में अपनी लड़की को पढ़ाने वाले मौलाना मोहम्मद रज़ा रिजवी ने एक दिन लड़की को सर पर स्कार्फ बांध कर भेज दिया था तो विद्यालय प्रबन्धन ने इस स्कार्फ पर एतराज किया और दोबारा स्कार्फ न बांध कर न आने के लिए कहा।इस पर पत्राचार करते हुए स्कूल प्रबंधन ने हिदायत दी है कि भविष्य में इस मुद्दे पर पत्राचार न करें और अगर कोई समस्या है तो अपनी लड़की का दाखिला किसी इस्लामिक स्कूल में करवा दें।

स्कूल का पत्र

स्कूल के इस फरमान पर मौलाना मोहम्मद रज़ा रिज़वी ने बताया कि यह स्कूल अल्पसंख्यकों माना जाता है और इसमें ज्यादातर शिक्षक कर्मचारी इसाई धर्म के मानने वाले है । हमारे इस्लाम धर्म में एक निश्चित आयु तक लड़कियों को सिर ढकने के लिए सिर पर स्कार्फ बांधने की बाध्यता है और इसी लिए मेरी लड़की स्कूल में सिर पर स्कार्फ बांध कर गयी थी । इसी स्कार्फ बांधने को लेकर स्कूल प्रबंधन ने एतराज़ जताया । जब स्कूल से हमने अपनी मजबूरी बता कर पत्राचार किया तो स्कूल को ओर से तुगलकी फरमान सुनाते हुए लिखित रूप से दे दिया गया कि मैं अपनी लड़की का दाखिला किसी इस्लामिक स्कूल में करवा लूं ।

आनन्द भवन स्कूल की प्रधानाचार्या

इस मुद्दे पर जब हमने स्कूल की प्रधानाचार्या से बात की तो उन्होंने बताया कि मेरा इरादा किसी धर्म को ठेस पहुंचाना नही था और न ही उनको किसी इस्लामिक स्कूल में दाखिले के लिए मजबूर किया गया है हां उनसे यह जरूर कहा गया है कि अगर उन्हें स्कूल के नियमों में कोई असुविधा है तो वह अपने बच्चे को यहां से निकाल कर कही और भेज सकते हैं।स्कूल का अपना एक ड्रेस कोड है , अपने नियम है जिसका पालन सभी छात्रों और अभिभावकों को करना पड़ता है अगर इन नियमों को पालन करने पर में अगर किसी को परेशानी है तो वह अपने बच्चे को यहां से निकाल सकता है और यही बात मेरे द्वारा कही गयी है।

स्कार्फ बांधने को लेकर स्कूल प्रबंधन ने एतराज़ जताया

 

जिस लड़की को स्कार्फ लगाने से मना किया गया उसने बताया कि अब स्कूल में स्कार्फ नही बांधने दिया जाता।स्कूल में घुसते ही क्लास रूम जाने से पहले ही प्रिंसिपल रूम के बाहर स्कार्फ उतरवा दिया जाता है और फिर बांधने नही दिया जाता।

Tags:    

Similar News