श्रीधर अग्निहोत्री
लखनऊ: भारत समेत पूरी दुनिया में बंजर जमीन का प्रतिशत तेजी से बढ़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र ने जलवायु परिवर्तन के अन्य खतरों के साथ-साथ इस मुद्दे को भी प्रमुखता से उठाया है। एक अध्ययन के अनुसार देश की 32.8 करोड़ हेक्टेयर भूमि में से 9.6 करोड़ हेक्टेयर जमीन बंजर भूमि है, जिसका दायरा लगातार बढ़ रहा है। मजे की बात यह है कि पौधरोपण का जबर्दस्त अभियान चलाने के बावजूद बंजर जमीन बढ़ रही है। अध्ययन बताते हैं कि यदि इसे नहीं रोका गया तो अगले 10 साल में भारत में दो करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन घट सकता है। पिछले कई वर्षों से यूपी में जो भी सरकार आई उसने पिछली सरकार से बढक़र वृक्षारोपण अभियान चलाया। कई तरह के दावे किए जाते हैं पर ये दावे हकीकत से काफी दूर रहते हैं।
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2016 में अखिलेश यादव ने बड़े पैमाने पर पौधरोपण का एक बड़ा कार्यक्रम चलाया था जिसमें एक दिन में एक करोड़ से ज्यादा पेड़ लगाने का लक्ष्य रखा गया था। बाद में इसे बढ़ाकर 5 करोड़ कर दिया गया था। अधिकारियों ने दावा किया था कि अखिलेश सरकार में पेड़ों की संख्या पिछली मायावती सरकार से अधिक होगी। 2007 में भारत के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश के वन अधिकारियों ने 31 जुलाई को एक ही दिन में एक करोड़ से अधिक पौधे लगाने का विश्व रिकॉर्ड बनाने का दावा किया था। तब कहा गया था कि हरित क्षेत्र बढ़ाने के लिए चलाए गए इस पौधरोपण अभियान के तहत पूरे राज्य भर में सरकारी मशीनरी के सहयोग से किसानों, स्कूली छात्रों तथा स्वयंसेवी संस्थाओं के लगभग 3.23 लाख लोगों ने एक करोड़ से ज्यादा पेड़ लगाए हैं। अधिकारियों के मुताबिक प्रदेश के 70 जिलों में 9320 स्थानों पर पौधरोपण किया गया। इन पौधों की सिंचाई और देखरेख की भी व्यवस्था की गई है। इसके लिए बैंकों तथा अन्य संस्थानों ने वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई है।
बंजर जमीन का बढ़ता दायरा
पिछले साल योगी सरकार ने 9 करोड़ पौधे लगाने का दावा किया था। दोनों सरकारों के वृक्षारोपण की संख्या को जोड़ दें तो अब तक करोड़ों पौधे लगाए जा चुके हैं। ऐसे में उम्मीद है कि उत्तर प्रदेश अब ग्रीन उत्तर प्रदेश बनेगा। इसी कड़ी में प्रयागराज में एक ही स्थान पर छह घंटे में 76823 पौधों का वितरण कर एक और गिनीज वल्र्ड रिकॉर्ड की उपलब्धि हासिल की गई। लेकिन सच्चाई और हालात इसके विपरीत हैं। देश के कई राज्यों में बंजरभूमि का क्षेत्रफल बढ़ता जा रहा है और यूपी भी इससे अछूता राज्य नहीं है। इस साल गांधी जी की प्रिय वृक्ष प्रजातियों आम, बरगद, नीम, सॉल, महुआ, कल्पवृक्ष, सहजन आदि प्रजातियों का रोपण किया गया। प्रदेशवासियों को पौधरोपण से जोडऩ के लिएु प्रदेश के प्रत्येक जनपद में पंचवटी स्थापित की गयी।
प्रदेश सरकार द्वारा पर्यावरणीय लाभ एवं कृषकों की आय में सतत वृद्धि के दृष्टिगत वर्ष 2019-20 में 22 करोड़ पौधे लगाने के लिए सभी शासकीय विभागों, न्यायालय परिसरों, संस्थानों, निजी व शासकीय शैक्षणिक संस्थानों, भारत सरकार के विभागों व उपक्रमों, स्थानीय निकायों तथा ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, नगर निगम, नगर पालिका परिषद, प्राधिकरण परिषद आदि संस्थानों को वन विभाग की पौधशालाओं से नि:शुल्क पौध उपलब्ध कराकर वृक्षारोपण महाकुंभ आयोजन किया गया।
घट रही कृषि योग्य भूमि
उत्तर प्रदेश में वन एवं वृक्षारोपण का कुल क्षेत्रफल 22121 वर्ग किलोमीटर है जो कि कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 2.40.928 वर्ग किलोमीटर के सापेक्ष मात्र 9.18 प्रतिशत है। राज्य सरकार कई योजनाएं भी चला रही है जिनमें सामाजिक वानिकी योजना, हरित पट्टी विकास योजना, टोटल फारेस्ट कवर योजना, वनावरण संवर्धन योजना, पौधशाला प्रबंधन योजना व राष्ट्रीय वनीकरण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। बावजूद इसके बढ़ते शहरीकरण और औद्योगीकरण के कारण राज्य में कृषि योग्य भूमि कम होती जा रही है। योगी सरकार ने कई वर्षों बाद एक योजना चलाई जिसमें बंजर होती जमीन कृषि योग्य बनाई जा रही है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजना के तहत प्रदेश के 68 जिलों को चिन्हित किया गया है।
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सरकार ने इन जिलों की कुल 1 लाख 56 हजार 186 हेक्टेयर भूमि को कृषि योग्य बनाने का लक्ष्य रखा है। सरकार ने शुरुआत में बुंदेलखंड के सात जिलों को चिन्हित नहीं किया है क्योंकि राज्य सरकार ने उनके लिए अलग से पैकेज की व्यवस्था की है। योजना के तहत पांच साल के लिए कुल 477.33 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है जबकि इस साल 84 करोड़ की व्यवस्था है।
वनीकरण को लेकर सरकार गंभीर
इसी तरह केन्द्र सरकार भी वनीकरण को लेकर बेहद गंभीर है। केन्द्र सरकार ने 2001-01 में प्रदेश के प्रत्येक वनप्रभाग में वन विकास अभिकरण का गठन किया है।
यूपी मेें वर्ष 2010-11 में राज्य वन विकास अभिकरण का गठन किया गया जिसमें केन्द्र से लगातार धन आ रहा है। वर्ष 2014-15 तक इस योजना के तहत प्रदेश के 72 वन प्रभागों में 2233 संयुक्त वन प्रबन्ध समितियों के माध्यम से 28.888.28 लाख की केन्द्रीय सहायता मिली। इसके बाद यह योजना 2015-16 से केन्द्र और राज्य सरकार के संयुक्त वित्त पोषण से चलाई जा रही है। वर्ष 2015-16 में 347.40 लाख खर्च किया गया। वर्ष 2016-17 में 576.04 लाख का खर्च किया गया जिसमें 1763 हेक्टेयर क्षेत्र में वृक्षारोपण कार्य किया गया। इसके बाद वर्ष 2017-18 में 191.35 लाख खर्च किया गया। वर्ष 2018.19 में 96.46 लाख खर्च किया गया। बावजूद इसके धरती का अधिकतर हिस्सा बंजर होता जा रहा है।
पौधरोपण महाकुंभ के लिए ठोस प्रयास
हाल ही में हुए पौधरोपण महाकुंभ के तहत 22 करोड़े पौधे लगाने के बाद राज्य सरकार की तरफ से दावा किया गया कि इससेे प्रदेश के वृक्षों में तीव्र गति से वृद्धि होगी। इससे पहले कृषकों व वृक्ष उत्पादकों को पौधरोपण व अन्य वानिकी गतिविधियों की तकनीकी व व्यावहारिक जानकारी दी गई। शहरी क्षेत्र में वृक्षारोपण के लिए नगर निगम, नगरपालिका एवं नगर पंचायत वार तैयार किए गए माइक्रोप्लान में आवास विकास, नगर विकास, औद्योगिक विकास, रक्षा विभाग, रेलवे विभाग एवं परिवहन विभाग की ओर से भी पौधरोपण किया गया। प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना, स्वच्छ भारत मिशन, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अन्तर्गत किसानों एवं विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों को वृक्षारोपण महाकुंभ से जोड़ा गया। इतने बड़े पैमाने पर पौधे लगाने के लिए 822 विकासखंडों, 58924 ग्राम पंचायतों तथा 652 शहरी निकाय क्षेत्रों में माइक्रोप्लान प्लान तैयार किया गया।