Behmai Kand: डकैत श्रीराम और लाला राम की रंजिश में हुआ था बेहमई कांड, फूलन देवी को गांव के लोगों पर था मुखबिरी का शक
Behmai Kand: बाबू गुर्जर की हत्या से डकैत श्रीराम और लाला राम नाराज थे और वे इस हत्या के लिए फूलन देवी को ही जिम्मेदार मानते थे।
Behmai Kand: कानपुर देहात के बेहमई गांव में 43 वर्ष पहले हुए नरसंहार के मामले में बुधवार को फैसला आया है। इस घटना में दस्यु रही फूलन देवी समेत 36 आरोपित बनाए गए थे। फूलन देवी समेत 33 आरोपित अब इस दुनिया में नहीं है। एक अब तक फरार है वहीं दो लोग इस मामले में जमानत पर चल रहे थे। एंटी डकैती कोर्ट ने इनमें से एक को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है जबकि एक को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया है।
बेहमई कांड को डकैत श्रीराम और लाला राम की फूलन देवी से रंजिश व मुखबिरी के शक में अंजाम दिया गया था। दरअसल बाबू गुर्जर की हत्या से डकैत श्रीराम और लाला राम नाराज थे और वे इस हत्या के लिए फूलन देवी को ही जिम्मेदार मानते थे। बदला लेने के लिए उन्होंने फूलन देवी का अपहरण कर लिया था जिसके बाद हुए आतंक ने फूलन देवी को दस्यु सुंदरी बना दिया। फूलन देवी को बेहमई गांव के लोगों पर शक था। उसका मानना था कि इस गांव के लोग श्रीराम को संरक्षण देने के साथ मुखबारी भी करते हैं। इसी नाराजगी में फूलन ने 14 फरवरी 1981 को 20 निर्दोष लोगों की जान ले ली थी।
बदला लेने के लिए बेताब थे दोनों गिरोह
डकैत लाला राम और श्रीराम ने विक्रम मल्लाह की हत्या करने के बाद फूलन देवी का अपहरण किया था। उस समय फूलन देवी मात्र 18 साल की थी और उसे काफी अपमानित भी किया गया था। लालाराम गिरोह के चंगुल से बाहर निकलने के बाद फूलन देवी ने अन्य डाकुओं से मदद मांगी और अपना नया गिरोह बना लिया था। फूलन ने लाला राम और श्रीराम से बदला लेने की कसम खाई थी और दोनों गिरोह एक-दूसरे से बदला लेने के लिए बेताब थे।
मुखबिरी के शक में 20 लोगों की हत्या
इसी दौरान फूलन देवी को बेहमई गांव के लोगों पर शक हुआ। उसका मानना था कि बेहमई के लोग श्रीराम गिरोह को खाने-पीने के सामान और संरक्षण देने के अलावा गिरोह के लिए मुखबिरी भी करते हैं। इस कारण फूलन देवी गांव के लोगों से काफी नाराज थी।
14 फरवरी 1981 को फूलन ने अपने गिरोह की मदद से गांव के 20 लोगों की हत्या कर डाली। फूलन गिरोह ने 20 लोगों को लाइन में खड़ा करके गोलियों से भून डाला था। यह घटना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी काफी चर्चित हुई थी और देश-दुनिया के मीडिया के लोगों का बेहमई गांव में जमावड़ा लग गया था।
अर्जुन सिंह के सामने किया था सरेंडर
इतने बड़े नरसंहार के बाद उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की पुलिस फूलन देवी को खोज रही थी। उस समय देश में इंदिरा गांधी की सरकार थी और इंदिरा गांधी की सरकार ने फूलन देवी से समझौता किया कि उसे फांसी नहीं दी जाएगी। इसके बाद फूलन देवी ने 12 फरवरी 1983 को मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह और भिंड के एसपी आर के चतुर्वेदी के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। फूलन देवी खाली बंदूक लेकर मंच पर पहुंची थी और उसने अपने अन्य साथियों के साथ सरेंडर किया था।
सांसद बनने के बाद फूलन की हत्या
सरेंडर करने के बाद फूलन देवी को करीब 11 साल तक जेल में रहना पड़ा। बाद में फूलन ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर मिर्जापुर से चुनाव लड़ा और वह संसद पहुंचने में कामयाब रही। पहले गांव की मुश्किल जिंदगी, फिर बीहड़ का खतरनाक जीवन और फिर संसद तक का सफर। सांसद बनने के बाद लगा कि फूलन देवी की जिंदगी पटरी पर आ जाएगी। फूलन ने उम्मेद सिंह नामक शख्स से शादी कर ली थी मगर बाद में उसकी हत्या कर दी गई। 2001 में फूलन को दिल्ली में उनके घर के बाहर ही गोलियों से भून दिया गया।
फूलन पर बनी फिल्म काफी हिट हुई
फूलन देवी के मुश्किल जीवन और उनके डाकू बनने की पूरी कहानी उस वक्त लोगों के सामने आई जब उन पर एक फिल्म बनी। शेखर कपूर ने फूलन देवी की जिंदगी पर बैंडिट क्वीन के नाम से यह फिल्म बनाई जो काफी हिट साबित हुई। इस फिल्म को कई नेशनल अवार्ड्स भी मिले। सीमा विश्वास ने फिल्म में फूलन देवी का रोल किया था जिसके लिए उन्हें बेस्ट एक्ट्रेस का अवार्ड भी दिया गया था।
हालांकि पहले लंबे समय तक इस फिल्म को काफी विरोध का सामना करना पड़ा। यहां तक की फूलन देवी भी नहीं चाहती थी कि यह फिल्म रिलीज हो। बाद में इस फिल्म को रिलीज किया गया जो दर्शकों को काफी पसंद आई। इस फिल्म से पहले माला सेन ने फूलन देवी पर एक किताब भी लिखी थी जिसके आधार पर ही शेखर कपूर ने यह फिल्म बनाई थी।