प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने को यूं साकार कर रहा बीएचयू

Update:2017-12-02 14:23 IST

आशुतोष सिंह

वाराणसी। लाइब्रेरी का जिक्र आते ही जेहन में मोटी-मोटी किताबें और किताबों के बीच उलझे लोगों की तस्वीरें सामने आने लगती है, लेकिन बदलते वक्त के साथ बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में यह तस्वीर भी बदलने लगी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने को साकार करते हुए बीएचयू की गायकवाड़ सेंट्रल लाइब्रेरी ने डिजिटल की दुनिया में नया मुकाम छू लिया है। इस लाइब्रेरी में अब किताबों की जगह कंप्यूटर ने ले ली है। बस एक क्लिक और पूरी किताब आपके सामने।ऑनलाइन पढ़ सकेंगे रिसर्च पेपर

डिजिटल की दुनिया में तेजी से कदम बढ़ाते हुए बीएचयू ने अब अपने रिसर्च पेपर को भी ऑनलाइन करने का काम शुरू कर दिया है। इसके लिए सेट्रल लाइब्रेरी ने इंस्टिट्यूशनल रिपॉजिटरी साइट तैयार की है। इस साइट को क्लिक करते ही रिसर्च पेपर आप पढ़ सकते हैं। अब तक विज्ञान संस्थान और कला संकाय की कुल 137 थिसिस को ऑनलाइन करने का काम पूरा हो चुका है। अगले चार से पांच महीने में अन्य शोध पत्रों को भी ऑनलाइन करने का काम पूरा कर लिया जाएगा। शोधपत्रों के अलावा चिकित्सा, कृषि और प्रौद्योगिकी संस्थानों ने क्या पेटेंट करवाया है, इसकी जानकारी भी साइट पर मिलेगी। जिन किताबों का कॉपीराइट नहीं है उन्हें भी स्कैन कर अपलोड किया जाएगा। इससे रिसर्च स्कॉलर के साथ अन्य लोगों को मदद मिलेगी। सेंट्रल लाइब्रेरी के डिप्टी लाइब्रेरियन डॉक्टर वीके मिश्रा बताते हैं कि यह काम चुनौतियों से भरा है। आईटी टीम के पांच सदस्य दिन रात ऑनलाइन करने के काम में लगे हुए हैं। हमें कुछ तकनीकी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सर्वर की क्षमता बढ़ाने की कोशिश है ताकि ऑनलाइन के काम में तेजी आ सके।

देश की सबसे बड़ी साइबर लाइब्रेरी

बीएचयू की गायकवाड़ सेंट्रर लाइब्रेरी मौजूदा दौर में देश की सबसे बड़ी अकैडमिक और साइबर लाइब्रेरी है। लगभग 30 हजार वर्गमीटर में बनी सेंट्रल लाइब्रेरी में 14 लाख से ज्यादा पाठ्य पुस्तकों के साथ करीब एक लाख ई-बुक्स का भंडार है। सेंट्रल लाइब्रेरी में करीब छह सौ लोग बैठ सकते हैं। किताबों और हजारों जर्नल्स के साथ बीएचयू में लगातार होने वाले शोधपत्रों को ऑनलाइन करने के लिए इंस्टिट्यूशन साइट के जरिए लाइब्रेरी के मुख्य कंप्यूटर को विश्वविद्यालय कंप्यूटर सेंटर से जोड़ा गया है। इससे तमाम विभाग, संकाय व संस्थानों में होने वाले शोध के बारे में पता चल सकेगा। इसके लिए बीएचयू की साइट पर जाकर इंस्टिट्यूशन रिपॉजटरी ऑप्शन पर क्लिक करना होगा। भूगोल विभाग के प्रोफेसर रामविलास यादव बताते हैं कि ऑनलाइन की इस प्रक्रिया से उन विश्वविद्यालयों के छात्रों के लिए काफी मदद मिलेगी, जिनके यहां बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है। इसके अलावा शोध के नाम पर जो कोरम पूरा किया जाता था, उस पर भी काफी हद तक लगाम लगेगी।

छात्रों को मिल रही मदद

बीएचयू की इस पहल को लेकर हिस्ट्री की रिसर्च स्कॉलर ममता पांडेय बेहद खुश हैं। ममता के मुताबिक कैंपस के बाहर रहने के कारण मैं लाइब्रेरी में ज्यादा वक्त नहीं गुजार पाती हूं। इसके अलावा रात आठ बजे के बाद लाइब्रेरी बंद जाती है। ऐसे में हमें कई बार दिक्ततों का सामना करना पड़ता है। रिसर्च पेपर के ऑनलाइन होने से वो घर बैठकर भी पढ़ाई कर सकती हैं। ममता कहती हैं कि रिसर्च पेपर ऑनलाइन होने से हमें काफी सहूलियतें मिल रही हैं। पहले बुक ढूंढने और लाइब्रेरी आने-जाने में ही वक्त बीत जाता था, लेकिन समय की बचत होगी। माना जा रहा है कि ऑनलाइन प्रक्रिया से रिसर्च का लेवल बढ़ेगा। अब तक बीएचयू में शोध का परंपरागत था, लेकिन अब इसमें बदलाव आएगा। पहले के मुकाबले अब नए विषयों पर ज्यादा रिसर्च हो रहे हैं। नई ऑइडियोलॉजी देखने को मिल रही है। यहां के कुछ छात्रों ने तो रिसर्च के लिए सॉफ्टवेयर तैयार कर रखा है। भूगोल से रिसर्च कर रहे अमित बताते हैं कि पहले की थिसिस में सिर्फ कट पेस्ट होता था। उनकी निगरानी के लिए कोई नियामक एजेंसी थी नहीं। अब तक कट पेस्ट भी नहीं हो पाएगा। लडक़े कुछ नया करने के लिए मजबूर हो जाएंगे।

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