Bricks Bhatta in UP: यूपी में ईंट-भट्ठे एक साल तक बंद, व्यापारी तुरंत देखें ऐसा क्यों हो रहा

Bricks Bhatta in UP: मिट्टी के ईंटों को पकाने के लिए काफी कोयले की जरूरत होती है, इसलिए इस उद्योग में कोयले की भूमिका काफी अहम है।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update:2022-07-27 11:08 IST

यूपी में ईंट-भट्ठे एक साल तक बंद (photo: social media)

Bricks Bhatta in UP: उत्तर प्रदेश में अगले एक साल तक ईंट-भट्ठे ( Brick kilns closed ) बंद रहेंगे। जी हां, आपने बिल्कुल सही पढ़ा, ये निर्णय प्रदेश के ईंट – भट्ठा संचलाकों के समूह ने लिया है। यूपी के 19 हजार ईंट भट्ठों की नुमाइंदगी करने वाला यूपी ब्रिक्स एसोसिएशन कोयले के दाम में बेतहाशा वृद्धि और सरकार द्वारा जीएसटी बढ़ाए जाने से खफा है। एसोसिएशन के इस फैसले का असर प्रदेश के हाउसिंग सेक्टर पर पड़ना तय है। आने वाले समय में ईंटों की कीमतें आसमान छूएगी, जिससे मकान बनवाना काफी महंगा हो जाएगा।

मिट्टी के ईंटों को पकाने के लिए काफी कोयले की जरूरत होती है, इसलिए इस उद्योग में कोयले की भूमिका काफी अहम है। लेकिन बीते कुछ सालों में कोयले की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई है, जिसने लागत को कई गुना बढ़ा दिया है। यूपी ब्रिक्स एसोसिएशन का कहना है कि उत्तर प्रदेश का कोटा प्रतिवर्ष 10 से 12 लाख टन कोयले का है लेकिन सप्लाई मात्र 76 हजार टन कोयले की होती है। ऐसे में उन्हें विदेश से आने वाले कोयले पर निर्भर रहना पड़ता है,जो कि काफी महंगा है। कोयले के दाम में 350 फीसदी बढ़ोतरी हुई है।

जीएसटी ने जले में नमक छिड़का

कोयला की बढ़ी हुई कीमतों से पहले ही हलकान ईंट उद्योग के लिए सरकार का निर्णय पहाड़ बनकर टूट पड़ा रहा है। केंद्र सरकार ने जीएसटी की दरों में भारी वृद्धि कर दी है। जीएसटी की दर 5 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी कर दी गई है। एसोसिएशन का कहना है कि कोयले के दाम में भारी वृद्धि के बाद अब जीएसटी बढ़ाने से कारोबार करना मुश्किल हो गया है।

राख से बने ईटों को प्रोत्साहित करने से भी नाराज है ब्रिक्स एसोसिएशन

लगातार बढ़ रही लागत के कारण ईंट भट्ठों का मुनाफा सिकुड़ता जा रहा है। ऐसे में सरकार द्वारा थर्मल पावर प्लांट के अवशिष्ट राख से ईंट को प्रोत्साहित किए जाने से पारंपरिक ईंट भट्ठा उद्योग के मालिकों में नाराजगी है। सरकार के द्वारा हाल के दिनों में अवशिष्ट राख से ईंट बनाने वालों के लिए कई रियायतों का ऐलान किया गया है। उनपर लगने वाले जीएसटी को कम कर दिया गया है। इसके अलावा सरकारी और अर्ध सरकारी निर्माणों में अवशिष्ट राख से बनीं ईंट के इस्तेमाल को जरूरी कर दिया गया है। दरअसल पारंपरिक ईंट भट्ठा से होने वाले भारी प्रदूषण और पर्यावरण को इससे होने वाले नुकसान को देखते हुए सरकार राख से बने ईंटों को प्रोत्साहित करने लगी है। इन्हीं सब वजहों से ब्रिक्स एसोसिएशन ने एक साल के लिए प्रदेश के सभी ईंट भट्ठों को बंद करने का निर्णय लिया है।

लागत बढ़ी लेकिन मुनाफा घटा

ब्रिक्स एसोसिएशन का कहना है कि निर्माण उद्योग में लगने वाले अन्य सामग्रियों की कीमतों में भारी बढ़ोतरी हुई है। लेकिन उस अनुपात में ईंटों के दाम नहीं बढ़े। जबकि उत्पादन लागत चार गुना बढ़ गई है। पर्यावरण संबंधी नए – नए कानून लाकर इस उद्योग की कमर तोड़ी जा रही है। ईंट भट्ठा मालिक कर्ज में डूबते जा रहे हैं। मुनाफा तो छोड़िए वे अपनी लागत तक नहीं निकाल पा रहे हैं।

बड़ी संख्या में बेरजोगार होंगे मजदूर

ईंट भट्ठों में काम करने वाले मजदूरों की तादात लाखों में है। इन्हीं ईंट भट्ठों के बदौलत उनके परिवार का गुजर – बसर चलता है। ऐसे में एकाएक इनके ठप हो जाने से लाखों मजदूर बेरोजगार हो जाएंगे। यूपी ब्रिक्स एसोसिएशन के मुताबिक, प्रदेश के ईंट भट्ठों में करीब 4 लाख मजदूर काम करते हैं।

वहीं दूसरी तरफ प्रदेश में निर्माण उद्योग को भी बड़ा धक्का लगेगा। अभी भी बड़े पैमाने पर घरों के निर्माण में लाल ईंटों का प्रयोग होता है। सप्लाई अचानक ठप हो जाने से ईंट के दाम काफी बढ़ जाएंगे और कम आय वाले लोग मकानों के निर्माण से हिचकेंगे। इससे निर्माण क्षेत्र में काम करने वाले राजमिस्त्री और मजदूरों के रोजगार पर भी असर पड़ सकता है।

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