पुलिस ने ऐसे सुलझाई हत्या की गुत्थी, मृतक के पत्नी व भाई ही था हत्यारा

थाना विन्ध्याचल क्षेत्र में 4 फरवरी की रात्रि में कालीन बुनकर प्रमोद की हत्या कर दी गयी थी।जिसमे पुलिस ने हत्या का मुकदमा दर्ज कर छानबीन में जुट गयी थी।

Update:2020-02-23 20:02 IST

मिर्जापुर। थाना विन्ध्याचल क्षेत्र में 4 फरवरी की रात्रि में कालीन बुनकर प्रमोद की हत्या कर दी गयी थी।जिसमे पुलिस ने हत्या का मुकदमा दर्ज कर छानबीन में जुट गयी थी। पुलिस ने रविवार को मृतक की पत्नी व पत्नी के भाई को गिरफ्तार कर कत्ल में प्रयोग ईंट व घटना में प्रयोग की गयी मोटरसाइकिल बरामद किया गया।

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पुलिस ने सर्विलांस टीम की मदद से मृतक की पत्नी कंचन लता तथा पत्नी का भाई अम्बरीष सिंह पुत्र सोहरत सिंह बेलवांडाड़ी थाना सहजनवां गोरखपुर का रहने वाला है।

जिसकी तलाश पुलिस स्वाट टीम द्वारा की जा रही थी मुखबिर ने 22 फरवरी को सूचना दिया कि प्लेटिना गाड़ी पर बैठे अम्बरीष व कंचन लता जो मृतक प्रमोद के गोसाईपुरवां कारखानें पर जाकर वहां से कुछ देर पहले अमरावती चौराहे की तरफ निकले है।

इस सूचना पर कालीखोह मुख्य रोड गेट के पास मोटरसाइकिल पर सवार अम्बरीष सिंह व कंचन लता को गिरफ्तार कर हत्या में प्रयुक्त ईंट व गाड़ी बरामद कर लिया।

प्रमोद ने कंचनलता का अपहरण कर रचाई थी शादी

अम्बरीष द्वारा बताया गया वे दो भाई और दो बहने है बड़े भाई का नाम धर्मवीर, बड़ी बहन का नाम शशिकिरन व छोटी बहन कंचल लता है बड़ी बहन शशिकिरन की शादी लगभग 28-29 वर्ष पहले ही दशरथ सिंह निवासी गोड़ही थाना खलीलाबाद जनपद संतकबीर नगर से हो चुकी है।

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बहन कंचन लता को वर्ष 1997 में 27 जून अम्बरीष के गांव का ही निवासी प्रमोद सिंह गोंड अगवा कर साथ ले जाकर जबरदस्ती शादी कर लिया था । जिसके सम्बन्ध में महिला थाना गोरखपुर में अपहरण का मुकदमा पंजीकृत कराया गया था।

अम्बरीष के परिवार की प्रतिष्ठा बनी प्रमोद के हत्या का कारण

इस घटना से अम्बरीष के परिवार की प्रतिष्ठा चली गयी उस समय वह परिपक्व नही था अम्बरीष का बड़ा भाई धर्मवीर कंचन लता को तलाश हेतु ट्रेन से कानपुर जा रहा था ट्रेन की पटरी के पास उसका शव मिला था परिजनों को उसकी मृत्यु के एक दिन बाद पता चला उन्हे आशंका थी कि प्रमोद के परिवार वालो ने ही धर्मवीर की हत्या की है।

अपने परिवार की बरबादी का कारण प्रमोद को मानकर अम्बरीष प्रतिशोध की आग में जलता रहा, इसी प्रतिशोध में जलता अम्बरीष उसके पिता सोहरत सिंह व चाचा जगरनाथ सिंह ने मिलकर प्रमोद के छोटे भाई नीलकमल की सन् 2001 में हत्या कर दी थी जिसके सम्बन्ध में थाना गीडा में मुकदमा दर्ज हुआ।

 

जिसमें उन तीनों के अलावां अम्बरीष की चाची उर्मिला भी अपराध में शामिल थी इस मामले में सोहरत सिंह व जगरनाथ सिंह को आजीवन कारावास की सजा हो चुकी लेकिन वे मा उच्च न्यायालय से जमानत पर है। अम्बरीष तत्समय नाबालिग था, अम्बरीष का मुकदमा विचाराधीन है, वह भी जमानत पर है। उर्मिला दोष मुक्त हो चुकी है।

भय के कारण कंचनलता ने 21वर्ष अपने घर वालो से सम्पर्क नही किया

कंचन के अनुसार प्रमोद कंचन को अपने साथ लाकर कही अनजान जगह पर रखा उसके बाद उसे लाकर मिर्ज़ापुर के इमामबाड़ा में रहने लगा । कंचन को पढ़ने की इच्छा हुई तो प्रमोद ने अपने परिचित के माध्यम से सुरेश दूबे मंझनपुर के रहने वाले है जो भार्गव इण्टर कॉलेज मंझनपुर कौशाम्बी में लिपिक है।

 

इनके सम्पर्क में आकर कंचन का हाई स्कूल में दाखिला भार्गव इण्टरमीडिएट एवं डिग्री कॉलेज मंझनपुर कौशाम्बी में कराया जहां पर उसने प्राइवेट रूप से पढ़कर बीए की पढ़ाई पूरी की। सन 2010 तक कंचन लता प्रमोद के साथ मिर्जापुर में ही रहती थी।

 

 

वह वर्ष 2010 में होमगार्ड में प्लाटून कमाण्डर भर्ती हुई तथा वर्तमान समय में महिला थाना कौशाम्बी में तैनात है कंचन के अनुसार प्रमोद से उसकी कभी नही बनी हमेशा मारता-पीटता था प्रमोद के मिर्जापुर व कंचन के कौशाम्बी रहने के कारण दूरियाँ बढ़ती गयी कंचन ने अपने मायके वालों से भयवश 21 वर्षों तक सम्पर्क नही किया था ।

कंचन के दो बच्चे बड़ी लड़की आकृति उम्र करीब 18 वर्ष अमेठी में पॉलिटेक्निक में पढ़ रही है एवं लड़का स्वयं सिंह उम्र करीब 16 वर्ष राजस्थान इण्टर कॉलेज मिर्जापुर में 12 वीं का छात्र है तथा दिल्ली में प्राइवेट काम करता है । करीब 21 वर्ष तक कंचन का कोई पता नही चला।

डेढ़ वर्ष पहले सुरेश दुबे ने बड़ी बहन के यहां सूचना भेजकर कराया संपर्क

कंचनलता लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व कंचन ने अपने परिचित सुरेश दूबे , को बड़ी बहन शशिकिरन के यहां भेजकर सूचना दिया तथा मोबाइल नम्बर का आदान-प्रदान किया फिर अपने मायके भी गयी थी । अम्बरीष गाजियाबाद में मोटर पार्ट्स को लाने व लेजाने का काम करता है।

कैसे दिया घटना को अंजाम

अम्बरीष अपनी बहन कंचन लता से प्रमोद का मिर्जापुर वाला घर दिखाने के लिए कहता रहता था उसकी बदले की भावना बदले की आग को ठंडा करने के लिए प्रमोद की हत्या कर अपना बदला पूरा करना था, इसी योजना के अनुसार 1 फरवरी को दिल्ली से चलकर 2 फरवरी को मंझनपुर आया।

 

वहीं पर कंचन को विश्वास में लेकर 3 फरवरी को सुबह कंचन का मोबाइल बन्द कर वही रख दिया व अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर दिया और करीब 10 बजे दिन में वे दोनों मिर्जापुर के लिए मोटरसाइकिल से चले करीब 4 बजे विन्ध्याचल आकर दर्शन किए और शहर में इधर-ऊधर रूक कर रात होने का इंतजार करने लगे।

 

रात्रि के करीब 10.00 बजे आश्वस्त होने पर कि लेबर चले गये होंगे प्रमोद अकेला सो रहा होगा तो दोनों गोसाईपुरवां कारखानें के बाहर करीब रात्रि 11.00 बजे पहुंचे। कंचन ने बाहर से कारखाना दिखाया और बाहर ही रूक गयी।

अम्बरीष ने अन्दर जाकर देखा तो प्रमोद सो रहा था, अम्बरीष ने ईंट से प्रमोद के सिर पर प्रहार किया और गमछे से गले को कस दिया ।

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इसी दौरान प्रमोद ने बचाव में कुछ देर तड़फड़ाता रहा लेकिन थोड़ी देर के बाद वह शिथिल पड़ गया। जिस पर अम्बरीष ने पुनः ईंट से कई वार सिर पर किया। जिससे उसकी मृत्यु हो गयी। जिसके बाद कंजन शोर सुनकर अन्दर आयी, प्रमोद को मृत देखा।

 

इसके बाद दोनों मोटरसाइकिल से रात में ही मंझनपुर चले गये दूसरे दिन जब पुलिस ने कंचन को प्रमोद की हत्या की सूचना देकर विन्ध्याचल थानें पर बुलाया तो कंचन ने अपने भाई अम्बरीष को खलीलाबाद भेज दिया।

क्योंकि प्रमोद से संघर्ष के कारण अम्बरीष को आयी चोंटो को देखकर पुलिस को शक हो जाता और दोनों पकड़े जाते, कंचन लता अपने परिचित सुरेश दूबे निवासी मंझनपुर के साथ तत्समय थाना विन्ध्याचल आयी थी ।

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