#Budget 2019 : जानिए क्या है RERA, जिसको लेकर पीयूष गोयल ने मोदी सरकार की तारीफ की है?

मोदी सरकार के मौजूदा कार्यकाल का आज आखिरी बजट पेश किया गया। अरुण जेटली की अनुपस्थिति में पीयूष गोयल बतौर वित्त मंत्री इसे पेश किया। इसमें नए वित्त वर्ष के शुरुआती चार महीने के खर्च के लिए संसद से मंजूरी ली गई है। बजट सत्र में पीयूष गोयल ने रेरा का जिक्र का करते हुए मोदी सरकार की पीठ थपथपाई है।

Update:2019-02-01 12:58 IST

नई दिल्ली: मोदी सरकार के मौजूदा कार्यकाल का आज आखिरी बजट पेश किया गया। अरुण जेटली की अनुपस्थिति में पीयूष गोयल बतौर वित्त मंत्री इसे पेश किया। लोकसभा चुनाव की वजह से इस बार अंतरिम बजट (वोट ऑन अकाउंट) पेश किया गया। इसमें नए वित्त वर्ष के शुरुआती चार महीने के खर्च के लिए संसद से मंजूरी ली गई है। बजट सत्र में पीयूष गोयल ने रेरा का जिक्र का करते हुए मोदी सरकार की पीठ थपथपाई है। तो आइये जानते है क्या है रेरा?

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1 मई, 2017 को ‘रियल एस्टेट’ में डेमोक्रेसी आई थी। इसका नाम है रेरा। फुल फॉर्म रियल एस्टेट रेगुलेटरी एक्ट। 15 मार्च, 2016 को लोकसभा और राज्यसभा से पास होने के बाद 1 मई, 2017 को ये लागू भी हो गया।

यूपी में 26 जुलाई, 2017 को लॉन्च की गई थी। और इसे हम डेमोक्रेसी क्यूं कह रहे हैं? क्यूंकि इसने रियल एस्टेट में बिल्डर्स की मोनोपॉली या राजशाही ख़त्म करके ये स्थापित किया कि ग्राहक ही सर्व-शक्तिमान है। कैसे? हम तुलना करके बताते कि रेरा से पहले क्या नियम थे और उसके बाद क्या लेकिन पहले वाला कॉलम खाली है, यानी इससे पहले बिल्डर्स की लगभग मनमानी चलती थी। और रेरा के बाद क्या हुआ। कुछ बड़े नियम छोटे में बताते हैं।

-सभी ऐसे रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स जिनका एरिया 500 स्क्वेयर मीटर से ज्यादा है या उस प्रोजेक्ट में 8 से ज्यादा अपार्टमेंट्स बनने हैं तो उनके लिए रेरा में रजिस्टर करवाना मस्ट है। बिल्डर को अगर कोटेशन और नक्शा वगैरह दे चुकने और बयाना ले चुकने के बाद अपने मकानों में कोई परिवर्तन करना है तो ऐसा करने से पहले उसे कम से कम दो तिहाई ग्राहकों से अप्रूवल लेना होगा।

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-ट्रांसपरेंसी किसी भी रिश्ते का सबसे बड़ा बांड है। फिर चाहे वो बिल्डर-ग्राहक का ही रिश्ता क्यूं न हो। किसी भी प्रोजेक्ट का पूरा प्लान, उसका लेआउट, प्रोजेक्ट से संबंधित सरकारी मंजूरियां (जैसे: फ़ायर सेफ्टी, पानी, बिजली) और लैंड टाइटल स्टेटस (मने वो ज़मीन जिसमें प्रोजेक्ट बन रहा है वो किसके नाम पर है, लीज पर है, या खरीदी हुई है, दो भाइयों की है या अकेले बंदे की है, गांव में आती है या नगरपालिका के अंतर्गत आती है) की जानकारी अपने ग्राहकों से शेयर करनी होगी। कॉन्ट्रैक्टर्स, डेवलपर्स, बिल्डर्स कौन हैं और उनके बारे में पूरी जानकारी भी इसी ‘ट्रांसपरेंसी’ का हिस्सा होंगे।

-ग्राहकों को टाइमलाइन की जानकारी देनी होगी मने कितना काम हो गया, कितना बाकी है, और फ्लैट की चाबी सही समय पर एलोटी को न सौंपने पर ज़ुर्माने के रूप में मंथली इन्ट्रेस्ट देना होगा।

-अगर कोई प्रोजेक्ट रेरा में रजिस्टर्ड नहीं है तो उसे प्रोजेक्ट माना ही नहीं जाएगा और उसके एडवरटीज़मेंट, पेम्फलेट सब ग़ैर कानूनी होंगे। जब रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी और सभी मंजूरियां मिल जाएंगी, तब प्रोजेक्ट की मार्केटिंग की जा सकती है।

-रेरा के आ जाने के बाद बिल्डर्स को किसी प्रोजेक्ट का 70% पैसा रिज़र्व एकाउंट में रखना होगा। मतलब ये नहीं कि सोनू से साइकिल की प्रॉमिस करके पैसे लिए और मोनू के लिए बैट बॉल खरीद लिया। अब अंकिल सोनू को साइकिल तब देंगे जब राजू से कैरम के वास्ते पैसे मिलेंगे। न! और अंततः प्रॉपर्टी कीमत का 10 प्रतिशत हिस्सा ही एडवांस पेमेंट के रूप में लिया जा सकता है।

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