Lucknow News: UP पावर कॉरपोरेशन पर गंभीर आरोप: ठेकेदारों और कर्मचारियों के ईपीएफ फंड में गड़बड़ी

उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन और उसके सहयोगी निगमों ने 2000 से लेकर अब तक 33/11 केवी विद्युत उपकेन्द्रों के परिचालन और अनुरक्षण के लिए ठेकेदारों के माध्यम से कर्मचारियों को तैनात किया जा रहा है।;

Report :  Virat Sharma
Update:2025-02-02 21:07 IST

Lucknow News: Photo-Social Media

Lucknow News: उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन और उसके सहयोगी निगमों ने 2000 से लेकर अब तक 33/11 केवी विद्युत उपकेन्द्रों के परिचालन और अनुरक्षण के लिए ठेकेदारों के माध्यम से कर्मचारियों को तैनात किया जा रहा है। इस दौरान कर्मचारियों के भविष्य निधि (EPF) से जुड़े मामलों को लेकर गंभीर आरोप उठाए गए हैं। वहीं कर्मचारियों के भविष्य निधि और पेंशन के मुद्दे पर उठे सवालों के बाद पावर कॉरपोरेशन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। इस स्थिति को लेकर कर्मचारियों और उनके संगठनों ने प्रशासन से तत्काल उचित कार्रवाई की मांग की है।

कर्मचारियों के ईपीएफ में गड़बड़ी का आरोप

प्रदेश महामंत्री देवेन्द्र कुमार पाण्डेय ने जानकारी दी कि उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन और उसके सहयोगी निगमों द्वारा वर्ष 2000 से 2007 तक कर्मचारियों के कर्मचारी भविष्य निधि का पैसा उनके खाते में जमा नहीं किया गया। इसके बाद 2008 से 2018 तक करीब 10 प्रतिशत आंशिक रूप से ईपीएफ राशि जमा की गई, लेकिन ठेकेदारों और अधिकारियों के बीच मिलीभगत के चलते बड़ी मात्रा में गबन कर लिया गया।

2019 से जमा की जाने लगी ईपीएफ राशि

देवेन्द्र कुमार पाण्डेय ने बताया कि 2019 से उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन ने सभी कर्मचारियों के ईपीएफ की राशि उनके भविष्य निधि खाते में जमा करना शुरू किया। और इस प्रक्रिया को अब 6 साल हो चुके हैं। इस दौरान कर्मचारियों के वेतन का 24 प्रतिशत भाग ईपीएफ के रूप में जमा होता है, जिसमें 12 प्रतिशत कर्मचारियों के वेतन से और बाकी 12 प्रतिशत ठेकेदारों द्वारा जमा किया जाता है। इसके अलावा कर्मचारियों के ईपीएफ में जमा राशि का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा पेंशन फंड में चला जाता है। जिन कर्मचारियों का पेंशन फंड 10 साल तक जमा होता है। उन्हें भविष्य निधि आयुक्त कार्यालय द्वारा आजीवन पेंशन प्राप्त होता है।

55 वर्ष की आयु पर कर्मचारियों को हटाने का विरोध

देवेन्द्र पाण्डेय ने आरोप लगाया कि पावर कॉरपोरेशन द्वारा 55 वर्ष की आयु के आधार पर कर्मचारियों को कार्य से हटाने की प्रक्रिया शुरू की गई है। जिससे न केवल कर्मचारियों के लिए आर्थिक संकट पैदा होगा। बल्कि उन्हें भविष्य निधि आयुक्त कार्यालय से मिलने वाले पेंशन का भी लाभ नहीं मिलेगा। इस कदम का उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन निविदा और संविदा कर्मचारी संघ लखनऊ ने घोर विरोध किया है।

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