Kannauj News: कन्नौज में सहकारी संघ का भवन हुआ जर्जर, एक दशक से खण्डहर बनी हुई है इमारत
Kannauj News: कन्नौज जिले में किसानों (farmer) को खाद बीज व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराकर उनकी आमदनी बढ़ाने वाली सहकारी संघ (co-operative union) खुद दुर्दशा का शिकार है।;
कन्नौज: सहकारी संघ का भवन हुआ जर्जर
Kannauj News: कन्नौज जिले में किसानों (farmer) को खाद बीज व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराकर उनकी आमदनी बढ़ाने वाली सहकारी संघ (co-operative union) खुद दुर्दशा का शिकार है। करीब एक दशक से खण्डहर में तब्दील हो चुकी संघ के बोर्ड का चुनाव तय समय पर होता चला आ रहा है और कागजों में सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जा रही हैं।
नगर के नादेमऊ रोड (Nademau Road) पर किसानों का जीवन स्तर सुधारने और उन्हें खाद बीज (compost seed) उपलब्ध कराने के इरादे से सरकार ने सहकारी संघ/ पूर्ति भण्डार की इमारत की बुनियाद जिला सहकारी बैंक लिमिटेड फर्रुखाबाद के अध्यक्ष छोटे सिंह यादव ने जनवरी 1971 में रखी थी चार साल में बनकर तैयार हुई संघ की इमारत का उद्घाटन मार्च 1975 में हुआ तब किसानों को खाद बीज उपलब्ध कराने के अलावा इस संघ की इमारत से कोटा प्रणाली लागू होने से राशन, कपड़ा, सीमेंट समेत कई चीजें लोगों को उपलब्ध कराई जाती थी।
सीमेंट कपड़ा की आपूर्ति बंद हो गई
धीरे-धीरे संघ से राशन, सीमेंट कपड़ा की आपूर्ति बंद हो गई और किसानों के लिए खाद बीज व अन्य सुविधाएं जारी रही। किसानों को इस संघ से दीपावली के आसपास बड़ी मात्रा में गेहूं उपलब्ध करा दिया जाता था और फसल तैयार होने पर अप्रैल मई में सवा गुना किसान से जमा कराया जाता था इससे सीमांत किसानों को काफी राहत थी धीरे-धीरे इसकी इमारत जर्जर होती चली गई और यह एक दशक पहले खण्डहर में तब्दील हो गई।
उसके बाबजूद इसके बोर्ड का चुनाव तय हमय होता चला आ रहा है और यह कागजों में बाकायदा चल रही है।सहकारी संघ /पूर्ति भण्डार के नवनिर्वाचित अध्यक्ष आकाश दुबे का कहना है कि प्रस्ताव सहकारिता विभाग को भेजा गया है जल्द ही जर्जर इमारत का निर्माण कराया जाएगा और किसानों को सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा।
सकरावा और खड़िनी सदस्य समितियां थी
इस सहकारी संघ / पूर्ति भण्डार से सकरावा व खड़िनी की समितियां भी जुड़ी थी यह इसकी सदस्य समितियां थी और हजारों किसान इसके सदस्य थे।सहकारी संघ पूर्ति भण्डार के पहले अध्यक्ष गुलाम पंजतन चुने गए थे इसके बनने से आसपास इलाके के हजारों किसान इससे जुड़े थे और लाभ उठा रहे थे धीरे धीरे यह खण्डहर में बदल गई लेकिन कागजों में बोर्ड का चुनाव तय समय पर होता चला आ रहा है।