Bulandshahr: दिव्यांग शिवा तेवतिया ने दुनिया में किया भारत का नाम रोशन, जेवलिन थ्रो में जीता गोल्ड

Bulandshahr:शिवा तेवतिया ने थाईलैंड में आयोजित वर्ल्ड एबिलिटी स्पोर्ट गेम्स कंप्टीशन में भारत का प्रतिनिधित्व कर जेवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल और गोला फेंक में सिल्वर मेडल जीतकर भारत की झोली में डाल दिया है।

Report :  Sandeep Tayal
Update:2023-12-28 18:03 IST

बुलंदशहर में दिव्यांग शिवा तेवतिया ने दुनिया में किया भारत का नाम रोशन (न्यूजट्रैक)

Bulandhshahr News:  जनपद के गांव भटोना के शिवा तेवतिया ने थाईलैंड में आयोजित वर्ल्ड एबिलिटी स्पोर्ट गेम्स कंप्टीशन में भारत का प्रतिनिधित्व कर जेवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल और गोला फेंक में सिल्वर मैडल जीतकर भारत की झोली में डाल दिया है। शिवा तेवतिया द्वारा गोल्ड मेडल जीतने की खबर से गांव और शिवा के परिवार में हर्ष व्याप्त है।

स्कूल कैब ड्राइवर के लाल ने कर दिया कमाल

जनपद बुलंदशहर के गुलावठी ब्लॉक के गांव भटोना निवासी नवीन तेवतिया एक स्कूल कैब चलाकर परिवार का भरण पोषण करते है। नवीन तेवतिया के छोटा पुत्र शिवा तेवतिया दिव्यांग है, शिवा तेवतिया की मां रजनी तेवतिया ने बताया कि शिवा जन्म से ही एक पैर से दिव्यांग है। उसकी जांघ नहीं है, घुटना कूल्हे से जुड़ा है। मगर दिव्यांग होने के बावजूद पढ़ाई और खेल में बचपन से ही रुचि है। अब शिवा जवाहर नवोदय विद्यालय रंगारेड्डी हैदराबाद में कक्षा 10 में पढ़ रहा है।

शिवा जेवलिन थ्रो और गोला फेंक प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करता आ रहा है। रजनी तेवतिया ने बताया कि 6 से 9 दिसंबर के बीच थाईलैंड में विश्व एबिलिटी स्पोर्ट्स कंपटीशन का आयोजन किया गया था, जिसमे जवाहर नवोदय विद्यालय रंगारेड्डी हैदराबाद द्वारा भारत की तरफ से 5 प्रतियोगियों का चयन कर प्रतिभाग के लिए ले जाया गया। शिवा तेवतिया ने थाईलैंड में आयोजित विश्व दिव्यांग खेल प्रतियोगिताओं में जेवलिन थ्रो में गोल्ड मैडल जीता है। जब कि गोला फेंक में सिल्वर मेडल जीता है। शिवा ने 2 मेडल जीतकर भारत का दुनिया में नाम रोशन किया है। दिव्यांग शिवा तेवतिया के 2 मेडल भारत के लिए जीतने पर गांव भटोना और उसके स्कूल में हर्ष का माहौल है। रजनी तेवतिया ने बताया कि स्टेट और नेशनल कंप्टीशन में भी शिवा तेवतिया कई मेडल जीत चुका है।

दिव्यांगता हौसलों की उड़ान में बाधक नहींः शिवा

वर्ल्ड दिव्यांग जैवलिंग प्लेयर शिवा तेवतिया ने फोन पर बताया कि यदि हौसले बुलंद है और कुछ करने की ललक हो तो दिव्यांगता हौसलों की उड़ान में बाधक नहीं बन सकती। जीवन में मां ने यही सबक सिखाया है और खेलो में जब प्रतिभाग करता हूं। तो भूल जाता हूं कि मैं दिव्यांग हूं और सिर्फ यही याद रहता है की तिरंगा फहराना है भारत को हर हालत में जीतना है।

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