Bulandshahr News: नाबालिग की डिलीवरी कर नवजात को बेचने के मामले में हॉस्पिटल संचालक पर FIR
Bulandshahr News: डॉ. अनिल चौहान ने आरोपो को गलत बताते हुए दावा किया कि नाबालिग की डिलीवरी नहीं की गई। प्रसूता बालिग है।
Bulandshahr News: यूपी के बुलंदशहर में स्थित संस्कार हॉस्पिटल में नाबालिग की डिलीवरी कर नवजात को 30 हजार रुपए में बेचने का मामला प्रकाश में आया है। बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष डॉ.अंशु बंसल ने संस्कार मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल बुलंदशहर के संचालक के विरुद्ध किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 33,80 और 81 के तहत बुलंदशहर नगर कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई है। हालांकि अस्पताल संचालक डॉ. अनिल चौहान ने आरोपो को गलत बताते हुए दावा किया कि प्रसूता बालिग थी और हॉस्पिटल स्टाफ के साथ मिलकर डॉक्टर को बिना बताए डिलीवरी करा दी गई। रिपोर्ट दर्ज होने के बाद अस्पताल के चिकित्सकों और कर्मचारियों में हड़कंप मचा है।
जानिए क्या है पूरा मामला
दरअसल, 25 फरवरी 2024 को चाईल्ड लाइन कडिनेटर नरेश भीणा व केस वर्कर जयबीर सिंह ने न्यायपीठ रोस्टर सदस्य के समक्ष उपस्थित होकर अवगत करवाया कि बालिका वर्तमान में मैत्री हास्पिटल कोटा में उपचार हेतु एनआईसीयू यार्ड में भर्ती हैं। जिसके कथित सरक्षक अरुण अग्रवाल व प्रिति अग्रवाल भी उपस्थित हुए। अरुण अग्रवाल पुत्र राजकिशोर अग्रवाल दादाबाडी कोटा राजस्थान ने समिति के समक्ष दिए बयान में बताया कि उन्हें शर्मा नामक वकील द्वारा फोन से सूचना मिली कि संस्कार मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में 15 वर्ष की नाबालिग बालिका द्वारा एक नवजात बालिका को जन्म दिया है। आप चाहे तो नवजात के विषय में हॉस्पिटल से बात कर सकते है। जिस सूचना पर अग्रवाल दंपति संस्कार मल्टी स्पेशलिटी हास्पिटल बुलंदशहर पहुंचे।
अरुण अग्रवाल ने बयान में कहा कि हास्पिटल द्वारा नवजात बालिका को डिलीवरी बिल भुगतान 30000 रुपए लेकर 23/02/2024 को डिस्चार्ज कर दिया और शिशु के जन्म प्रमाण पत्र में माता पिता के कलम में हम दोनों का नाम डालकर शिशु को हमारे सुपुर्द कर दिया। शिशु को लेकर हम कोटा आ गये व शिशु के बीमार होने के कारण दिनांक-24.02.24 को शिशु को मैत्री हास्पिटल कोटा में भर्ती करवा दिया गया। जहा से चाइल्ड लाइन द्वारा उक्त कार्यवाही शिशु के सबंध में करवाई गयी। उक्त बयान व जानकारी से न्यायपीठ इस निष्कर्ष पर पहुँची है कि सस्कार मल्टीस्पेशलिटी हास्पिटल 394, सिविल लाइन्स, ऑपोजिट मल्का पार्क, काला आम, बुलन्दशहर, उत्तरप्रदेश ने शिशु व शिशु की माता की जानकारी रिपोर्ट सबंधित बाल कल्याण समिति, बुलन्दशहर उत्तरप्रदेश को न करके जे. जे. एक्ट 2015 की धारा 33, 80 व 81 का उल्लघन किया है। चूंकि शिशु के संबंध में प्रथम दृष्टया मामला न्यायपीठ के संज्ञान में कोटा में आया, इसलिये प्रकरण में क्राइम नंबर शून्य पर प्राथमिकी थाना जवाहर नगर कोटा में दर्ज करवाकर प्रकरण जाच एवं अग्रिम कार्यवाही के लिए पुलिस को भेजा। विभागीय प्रक्रिया के तहत मामला बुलंदशहर कोतवाली में दर्ज हुआ है।
जानिए क्या बोले हॉस्पिटल संचालक
डॉ. अनिल चौहान ने आरोपो को गलत बताते हुए दावा किया कि नाबालिग की डिलीवरी नहीं की गई। प्रसूता बालिग है। डॉ. अनिल चौहान ने बताया कि विवाह के दो माह बाद 9 माह का गर्भ धारण कर नव विवाहिता अस्पताल में डिलीवरी को आई थी। कम समय में मां बनने के कारण लोक लाज के चलते नवजात को साथ नहीं ले जाना चाहती थी। जिसके चलते अस्पताल स्टाफ के साथ मिलकर नवजात को ले जाने वाले परिवार ने प्रसूता से बात कर बिना डॉक्टर को बताएं डिलीवरी कराई और नवजात को ले गए, अस्पताल को डिलीवरी का भुगतान किया गया, बच्ची बेचने और नाबालिग की डिलीवरी करने के आरोप गलत है।
हॉस्पिटल संचालक ने किया नियमों उलंघन !
दर असल मामले को लेकर कानून के जानकारों का दावा है कि हॉस्पिटल स्टॉफ पर जिम्मेदारी डाल अस्पताल संचालक अपनी रिस्पांसिबिलिटी से नहीं बच सकते। नाबालिग की डिलीवरी करना, नवजात शिशु को नियम कानूनों का पालन करे बिना गैर दंपति को देना और माता-पिता के कॉलम में अन्यत्र का नाम अंकित करने जैसे गैर कानूनी काम करना दर्ज फिर से परिलक्षित हो रहा है।