Bulldozer in Prayagraj: इलाहाबाद हाईकोर्ट से जावेद मोहम्मद को बड़ा झटका, मकान गिराने के खिलाफ दायर याचिका खारिज
Bulldozer in Prayagraj: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज उपद्रव के मास्टरमाइंड जावेद पंप के मकान ध्वस्तीकरण के खिलाफ दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया है।
Bulldozer in Prayagraj: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में शुक्रवार को जुमे की नमाज (Jumme Ki Namaz) के बाद हुए जबरदस्त उपद्रव का मास्टरमाइंड जावेद मोहम्मद (Javed Mohammad) उर्फ जावेद पंप को इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने बड़ा झटका दिया है। अधिवक्ता मंच की तरफ से उसके मकान ध्वस्तीकरण के खिलाफ दायर की गई याचिका को उच्च न्यायालय (High Court) ने खारिज कर दिया है।
दरअसल, रविवार को प्रयागराज विकास प्राधिकरण (Prayagraj Development Authority) ने बुलडोजर से उसके मकान को जमींदोज कर दिया था। इस कार्रवाई के खिलाफ दायर याचिका में आरोप लगाया कि प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने जिस मकान को ध्वस्त किया है, वह जावेद पंप के नाम पर नहीं बल्कि उसके पत्नी के नाम पर है।
याचिका में किया गया था ये दावा?
शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद प्रयागराज के अटाला और करेली क्षेत्र में पुलिस पर जमकर पथराव किया गया था, जिसमें कई पुलिसवाले घायल हो गए थे। रविवार को इस उपद्रव के मास्टरमाइंड जावेद पंप के करेली स्थित दो मंजिला अवैध को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया गया था। जावेद फिलहाल पुलिस हिरासत में है। इस कार्रवाई के खिलाफ प्रयागराज के अधिवक्ता मंच के अधिवक्ता केके राय, मोहम्मद सईद सिद्दीकी, राजवेन्द्र सिंह, प्रबल प्रताप, नजमुस साकिब खान और रविंद्र सिंह ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस राजेश बिंदल को याचिका पत्र भेजी थी, जिसमें दावा किया गया था कि ध्वस्त किया मकान जावेद का है ही नहीं।
याचिका में दावा किया गया था कि पीडीए द्वारा जो मकान ध्वस्त किया गया था उसका मालिक जावेद नहीं बल्कि उसकी पत्नी परवीन फातिमा है। याचिका में बताया गया था कि उक्त मकान परवीन फातिमा की शादी से पहले उनके माता-पिता ने उन्हें गिफ्ट में दिया था। चूंकि जावेद का उस मकान और जमीन पर कोई स्वामित्व नहीं है, इसलिए उस मकान का ध्वस्तीकरण कानून के मूल सिद्धांत के विरूद्ध है। बता दें कि ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के दौरान पुलिस को जावेद पंप के घर से कई हथियार, कारतूस के अलावा पोस्टर और झंडे बरामद हुए थे।
पूर्व चीफ जस्टिस ने भी कार्रवाई पर उठाए सवाल
प्रयागराज प्रशासन की इस कार्रवाई पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश गोविंद माथुर ने भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत के दौरान इस पूरी कार्रवाई को गैरकानूनी बताया है। माथुर ने कहा कि भले ही आप एक पल के लिए मान लें कि मकान अवैध था, लेकिन करोड़ों भारतीय भी ऐसे ही रहते हैं। यह अनुमति नहीं कि रविवार को एक घर को आप ध्वस्त कर दें, जब उसका निवासी हिरासत में हो। यह कोई तकनीकी मुद्दा नहीं, बल्कि कानून के शासन का सवाल है।
बता दें कि यह वहीं गोविंद माथुर हैं, जिन्होंने 8 मार्च 2022 को सीएए के विरोध प्रदर्शनों में आरोपियों के शहर भर में नाम और शर्म के पोस्टर लगाने के लखनऊ प्रशासन के विवादास्पद फैसले पर स्वतः संज्ञान लिया था। उस दौरान उन्होंने सरकार के इस कदम को गैरकानूनी बताते हुए इसे निजता का उल्लंघन करार दिया था।
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