महोबाः बुंदेलखंड में कई सालों से पनप रहा सूखा अब विकराल रूप धारण करता जा रहा है। सभी जिलों में जल स्तर लगातर नीचे गिरता जा रहा है। महिलाएं कई किलोमीटर से पानी लाने के लिए मजबूर है तो वहीं ताल,तलैया सूख जाने से जानवर भी प्यासे मर रहे हैं। जिले के लगभग 33 गांवों में 75 टैंकरों से प्रशासन ने पेयजल आपूर्ति शुरू कर दी है।
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सूखे के आगे बेबस हुआ बुंदेलखंड
बुंदेलखंड जहां आधा दर्जन नदियां, दो दर्जन से अधिक बांध, सैकड़ों तालाब, कुऐं, ढेर सारे ट्यूबवैल और अनगिनत हैंडपंप हैं लेकिन ये सब मिलकर भी नियति को नहीं बदल सके। प्राकृतिक आपदा ने बुंदेलखंड को आज आकालग्रस्त कर दिया है। कभी अपनी जल धरोहरों पर इतराने वाला यह क्षेत्र अब बेहद बेबस और लाचार नजर आ रहा है।
लोग कर रहे पलायन
सूखे की मार ने किसानों को भूखमरी और पलायन के लिए मजबूर कर दिया है। गांवों में बच्चों ने पढ़ाई छोड़ दी और कई नौजवान दूसरे शहर चले गए। महोबा में सूखे के कारण खेत सुनसान पड़े हुए है। घरों के पालतू जानवरों को भी छोड़ दिया गया है। यहां के बांध जबाब दे चुके हैं और नदियां, हैंडपंप, ट्यूबवैल, कुऐं और तालाब सब सूख चुके हैं।
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कीचड़ युक्त पानी पीने को हुए मजबूर
महिलाएं कई किलोमीटर से पानी लाने के लिए मजबूर हैं। हालात इतने ख़राब हैं कि सूख चुके तालाबों में बचे कीचड़ युक्त पानी को भी लोग उपयोग में ला रहे हैं। अब जानवर और इंसान एक ही घाट का पानी पीने के लिए मजबूर हो गए हैं। पानी के लिए बच्चे, बूढ़े और जवान सभी कड़ी मशक्कत करते देखे जा रहे हैं।
पानी के लिए मची मारामारी
जिला प्रशासन द्वारा भेजे जा रहे टैंकरों में खारा पानी होने पर लोग पानी खरीदने के लिए मजबूर है। खरेला कस्बे में पानी बेचने वाला कहता है कि वह पानी बेचकर अच्छी कमाई कर लेता है। कबरई कस्बे के लोग सबसे अधिक पानी की किल्लत से जूझ रहे है। टैंकर में भरे तीन हजार लीटर पानी को 5 मिनट में ही लोग खाली कर देते हैं। यहां पानी पाने के लिए लाठी डंडे चलना आम बात हो गई है। पानी लाने वाले टैंकर चालक की माने तो निर्धारित स्थान पर पानी लाते वक्त कई बार बीच रास्ते पर टैंकर रोकर ही लोग पानी लूट लेते हैं। कई बार उसे भी पानी को लेकर बेइज्जत होना पड़ा है।
पुलिस की निगरानी में बांट रहे पानी
पानी की इस मारा मारी को रोकने के लिए प्रशासन पुलिस की निगरानी में पानी बटवा रहा है। कई स्थानों पर खारा और मीठा पानी को लेकर लोग झगड़ा करने लगते हैं। लोगों कि माने तो उन्हें टैंकरों से पानी मिल जरूर रहा है लेकिन आम जरूरतों के के लिए वे जबाब दे चुके हैंडपंपों के भरोसे है। यहीं नहीं रोज मेहनत कर रोजी-रोटी कमाने वाले लोग दिनभर पानी के टैंकर का इंतजार करते हैं। स्कूली बच्चे अपना स्कूल छोड़कर पानी की जुगाड़ में लगे हैं।
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क्या कहते हैं डीएम?
-डीएम महोबा वीरेश्वर सिंह की माने तो सूखे से घट रहे जलस्तर के कारण ये समस्या बड़ी होती जा रही है।
-जिले के लगभग 33 गांवों में टैंकरों से पानी दिया जा रहा है।
-75 टैंकर पेयजल आपूर्ति के लिए लगे हुए हैं।
-सभी ग्राम पंचायतों के प्रधानों को इस पेयजल किल्लत से निपटने के आदेश किए जा चुके हैं।
-सभी ग्रामों में टैंकर लेने के लिए प्रधान और सचिवों को निर्देश दिए गए हैं ताकि कहीं भी पानी की समस्या न खड़ी हो सके।