Hamirpur News: परिवार वाले छोड़ चुके थे उम्मीद, एसएनसीयू में मिली कई नवजातों को नई जिंदगी
Hamirpur News: महिला अस्पताल की स्त्री रोग एवं प्रसूति विशेषज्ञ डॉ.आशा सचान ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान जरा सी असावधानी बच्चे के लिए घातक सिद्ध होती है।
Hamirpur News: जिला महिला अस्पताल की सिक न्यू बॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) जनपद ही नहीं बल्कि पड़ोसी जनपदों के नवजात शिशुओं (newborn babies) के लिए वरदान साबित हो रही है। यहां जन्म के समय गंभीर स्थिति वाले नवजात को भर्ती कर नई जिंदगी दी जा रही है। गत वर्ष (2021) इस वार्ड में 892 नवजात को भर्ती करके नया जीवन दिया गया। कई बच्चे तो यहां तब लाए गए, जब उनके परिवार के सदस्य भी उनके बचने की उम्मीद छोड़ चुके थे।
मुस्करा ब्लाक के महेरा गांव निवासी अनिरुद्ध की पत्नी वीरवती ने 16 नवंबर 2021 को पुत्र को जन्म दिया। अनिरुद्ध बताते हैं कि समय से पहले प्रसव होने की वजह से बच्चे का वजन महज 990 ग्राम था। बचने की उम्मीद छोड़ चुके थे। उसी दिन बच्चे को एसएनसीयू वार्ड में भर्ती किया गया था। एसएनसीयू के डॉ. सुमित सचान ने बताया कि 40 दिनों तक लगातार बच्चा टीम की निगरानी में रहा। 24 दिसंबर को नवजात को पूरी तरह से स्वस्थ होने के बाद डिस्चार्ज किया गया।
सुमेरपुर ब्लाक के देवगांव निवासी कमलेश की पत्नी पूजा ने 26 नवंबर 2021 को पुत्र को जन्म दिया। प्रसव समय से पहले हुआ था। जन्म के समय नवजात का वजन सिर्फ एक किलोग्राम था। हालत गंभीर थी। इसे भी उसी दिन एसएनसीयू वार्ड में भर्ती किया गया। बच्चे का ब्लड ट्रांसफ्यूजन भी किया गया था। कमलेश भी अपने इस बच्चे के बचने की उम्मीद छोड़ चुके थे। 33 दिन बाद 29 दिसंबर को बच्चे को सुरक्षित वार्ड से छुट्टी मिली। डॉ. सुमित के अनुसार बच्चा जब लाया गया, तब इंफेक्शन खतरनाक स्तर 80 सीआरपी पर था, लेकिन जब डिस्चार्ज किया गया, तो इंफेक्शन लेवल शून्य पर था। पूजा का यह दूसरा बच्चा था।
मुस्करा के ही गोविंददास की पत्नी रोशनी ने 18 अक्टूबर को सीएचसी मुस्करा में बेटी को जन्म दिया। बच्ची को 48 दिनों तक वार्ड में भर्ती रखा गया था। जन्म के समय बच्चे का वजन 910 ग्राम था। बच्ची को सांस लेने में भी दिक्कतें थीं।
पड़ोसी जनपदों से भी आते हैं गंभीर नवजात
महिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) डॉ. फौजिया अंजुम नोमानी ने बताया कि एसएनसीयू वार्ड में मौजूदा समय में तीन डॉक्टरों डॉ. सुमित सचान, डॉ. केशव, डॉ. दीपक, स्टाफ नर्स सोनिका सोनी, शारदा, सीता, वंदना, अंजू, नेहा, शालिनी की टीम नवजात शिशुओं का उपचार और देखरेख में लगाई गई है। गत वर्ष 892 बच्चों को वार्ड में भर्ती किया गया, जिसमें 390 ऐसे बच्चे थे, जिनका जन्म महिला अस्पताल में हुआ था जबकि 502 बच्चे जनपद सहित पड़ोसी जनपद से रेफर होकर आए थे। इन बच्चों में ढाई किग्रा वजन तक के बच्चे 372, डेढ़ किग्रा से ढाई किग्रा तक के 401, एक किग्रा से डेढ़ किग्रा तक के 101 और एक किग्रा से कम वजन के कुल 23 बच्चों को भर्ती करके बचाया गया।
गर्भावस्था के समय असावधानी बनती है घातक
महिला अस्पताल की स्त्री रोग एवं प्रसूति विशेषज्ञ डॉ.आशा सचान ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान जरा सी असावधानी बच्चे के लिए घातक सिद्ध होती है। सात माह के अंदर प्रसव के केस ज्यादातर ऐसी महिलाओं के साथ होते हैं, जिनका पोषण ठीक नहीं होता है। इसकी वजह से बच्चेदानी कमजोर हो जाती है। बच्चेदानी में इंफेक्शन (uterine infection)भी इसका कारण हो सकता है। यह स्थिति जच्चा-बच्चा दोनों के लिए मुश्किल वाली होती है। इसलिए गर्भवती को अपने खानपान और रोजमर्रा के कामकाज के दौरान विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। गर्भावस्था के दौरान नियमित जांच कराते रहना चाहिए और ब्लड की कमी न हो, इसके लिए आयरन की गोलियां और डॉक्टर के परामर्श के अनुसार दवाएं लेनी चाहिए।
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