Hamirpur News: कड़ाके की सर्दी में निमोनिया की चपेट में आये बच्चे, ओपीडी में प्रतिदिन पहुंच रहे 10 से 15 मरीज

Hamirpur News: ठंड मौसम में जन्म से कमजोर और समय पूर्व जन्में बच्चों की खास देखभाल की आवश्यकता है।

Report :  Ravindra Singh
Published By :  Monika
Update:2022-01-08 17:49 IST

बच्चे का चेकअप करते डॉ.आशुतोष (फोटो : सोशल मीडिया )

Hamirpur News: कड़ाके की पड़ रही सर्दी के चलते छोटे बच्चे निमोनिया (baccho mein pneumonia)  की चपेट में आने लगे हैं। जिला अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन छह माह से लेकर दो साल तक के 10 से 15 बच्चों में निमोनिया की शिकायत (pneumonia ki shikayat) मिल रही है । इसके अलावा मौसम का बदला रुख हर उम्र के लोगों को ठंड से होने वाली बीमारियों की चपेट में ले रहा है। इस मौसम में जन्म से कमजोर और समय पूर्व जन्में बच्चों की खास देखभाल की आवश्यकता है। उधर, स्वास्थ्य विभाग निमोनिया से बचाव को लेकर प्रत्येक ब्लाक में जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाने की तैयारी में जुटा है।

पिछले दो दिनों से मौसम बदला हुआ है। लगातार आसमान पर बादल हैं और रिमझिम बारिश हो रही है। इससे तापमान नीचे चला गया है। न्यूनतम और अधिकतम दोनों तापमान में गिरावट होने से दिन-रात दोनों वक्त बराबर सर्दी पड़ रही है और सर्द हवाओं से स्थिति और भी ज्यादा बिगड़ी है। ऐसे मौसम में मासूम बच्चे निमोनिया की चपेट में आने लगे हैं। प्रतिदिन निमोनिया से ग्रसित होने वाले बच्चों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है।

जिला महिला अस्पताल के नवजात शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ.आशुतोष निरंजन ने बताया कि अस्पताल की ओपीडी में रोज 10 से 15 बच्चे निमोनिया से ग्रसित होने के बाद आ रहे हैं। इनमें छह माह से दो साल तक के बच्चों की संख्या ज्यादा है। अभिभावकों को इस मौसम से बच्चों को बचाकर रखना है। उन्हें सर्दी से बचाने को लेकर कम से कम तीन से चार कपड़े पहनाएं।

फेफड़ों में होने वाला संक्रमण

डॉ.आशुतोष ने बताया कि निमोनिया फेफड़ों में होने वाला संक्रमण है जो बैक्टीरिया, वायरस एवं फंगस आदि के कारण होता है। इससे फेफड़ों की वायु कोष्ठिका में सूजन हो जाती है या उसमें तरल पदार्थ भर जाता है। कई बार निमोनिया गंभीर रूप धारण कर लेता है। निमोनिया के लक्षण सर्दी, जुकाम के लक्षणों से बहुत हद तक मिलते हैं। इसलिए जब भी ऐसा लगे तो पहले इसके लक्षणों को पहचान लेना बहुत जरूरी है। यह एक गंभीर बीमारी है, जो किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। हालांकि यह सबसे ज्यादा पांच साल तक के बच्चों को प्रभावित करती है। नवजात और छोटे बच्चे अपने परेशानी के बारे में खुलकर नहीं बता सकते, इसलिए छोटे बच्चों में निमोनिया के लक्षणों को पहचानना बहुत ही जरूरी है। लगभग 16 प्रतिशत बच्चे को न्यूमोकॉकल जीवाणु प्रभावित करता है, जिससे बचाव के लिए जनपद में सभी स्वास्थ्य केंद्रों और टीकाकरण सत्रों के माध्यम से पीसीवी टीका दिया जाता है।

निमोनिया के लक्षण (pneumonia ke lakshan) 

सामान्य से अधिक तेज सांस या सांस लेने में परेशानी, सांस लेते या खांसते समय छाती में दर्द, खांसी के साथ पीले, हरे या जंग के रंग का बलगम, बुखार, कंपकंपी या ठंड लगना, पसीना आना, होंठ या नाखून नीले होना, उल्टी होना, पेट या सीने के निचले हिस्से में दर्द होना, कंपकंपी, शरीर में दर्द, मांसपेशियों में दर्द भी निमोनिया के लक्षण हैं।

क्या कहते हैं आंकड़े

नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे-5 2020-21 (एनएफएसएच) के मुताबिक जनपद में 12 से 23 महीने के 77.1 प्रतिशत बच्चों को जानलेवा बीमारियों से बचाव के टीके लगाए जा रहे हैं। जबकि 2016-17 में हुए सर्वे में यह आंकड़ा 52.5 प्रतिशत था।

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