UP Election 2022: ऐसे कैसे पार हो पाएगी सपा के राम प्रकाश प्रजापित की नैया!

चुनाव आगे बढ़ा और कांग्रेस की तरफ से मैदान में ताल ठोंकने पूर्व विधायक अशोक सिंह चंदेल की पत्नी राजकुमारी सिंह मैदान में उतरी हैं तब से समीकरण एकदम बदल से गए।

Report :  Ravindra Singh
Published By :  Divyanshu Rao
Update: 2022-02-11 15:01 GMT

बीजेपी कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के झंडे की तस्वीर 

UP Election 2022: विधानसभा 2022 में हमीरपुर (Hamirpur) की सदर विधानसभा सीट (Sadar Vidhan Sabha Seat) पर बेहद रोमांचक मुकाबला देखने को मिल रहा है। यहां सपा-भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर है। चुनाव के ऐलान से पूर्व सियासी अखाड़े में तो सिर्फ भाजपा और सपा ही लड़ाई में नजर आ रही थीथ।

लेकिन जैसे चुनाव आगे बढ़ा और कांग्रेस की तरफ से मैदान में ताल ठोंकने पूर्व विधायक अशोक सिंह चंदेल की पत्नी राजकुमारी सिंह (Rajkumari Singh) मैदान में उतरी हैं तब से समीकरण एकदम बदल से गए। वहीं दूसरी ओर जब से समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने राम प्रकाश प्रजापति (Ram Prakash Prajapati) के नाम की घोषणा की है तब से पार्टी कार्यकर्ता कई गुटों में बंटे नजर आ रहे हैं।

हालत यह है कि जनसंपर्क के दौरान राम प्रकाश प्रजापति के साथ सपा के चंद गिने हुए चर्चित चेहरे ही नजर आते हैं। कार्यकर्ताओं में असंतोष का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि समाजवादी पार्टी के हमीरपुर कार्यालय में ताला लटकने की खबर देश के राष्ट्रीय चैनल पर भी दिखाई जा चुकी है। इतना ही नहीं राम प्रकाश की उम्मीदवारी से नाखुश कुछ लोगों ने सपा कार्यालय की दीवार पर सपा के चुनाव निशान को ही पोत दिया है। ऐसे में सवाल उठता है कि कार्यकर्ताओं की नाराजगी कहीं समाजवादी पार्टी पर भारी न पड़ जाए।

यूपी विधानसभा चुनाव की प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो:न्यूज़ट्रैक)

कानपुर के गंगा पार से विजय यात्रा की शुरुआत करने के बाद अखिलेश यादव ने पहली रात हमीरपुर में ही गुजारी थी। उस वक्त सपा कार्यकर्ताओं का जोश देखने लायक था। लेकिन जैसे ही राम प्रकाश प्रजापित के नाम की घोषणा हुई सपा कार्यकर्ताओं का सारा का सारा जोश "छूमंतर" हो गया।

सपा के कई गुटों ने अखिलेश यादव के सामने अपना विरोध भी दर्ज कराया लेकिन अखिलेश यादव अपने फैसले पर अडिग रहे और उन्होंने राम प्रकाश प्रजापति के नाम पर किसी भी तरह का समझौता करने से मना कर दिया।

अब ऐसे में सवाल उठता है जब पार्टी के कार्यकर्ता राम प्रकाश प्रजापति का सहयोग नहीं कर रहे हैं और स्वयं राम प्रकाश प्रजापति भी उन्हें मनाने में अभी तक नाकाम रहे हैं तो चुनावी समर में उनकी नैया कैसे पार होगी?   

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