Jhansi News: ऊधमपुर-दुर्ग सुपरफास्ट ट्रेन एसी कोच में आग का मामला, सामने आई इलेक्ट्रिक विभाग की लापरवाही

Jhansi : जम्मू के ऊधमपुर से छत्तीसगढ़ के दुर्ग जाने वाली ऊधमपुर-दुर्ग सुपर फास्ट एक्सप्रेस के ए-1 और ए-2 में 26 नवंबर को दोपहर में आग लग गई थी। इन दोनों डिब्बों में 77 यात्री सवार थे।

Report :  B.K Kushwaha
Published By :  Vidushi Mishra
Update: 2021-11-28 15:56 GMT

जलती हुई ट्रेन (फोटो- सोशल मीडिया)

Jhansi : ऊधमपुर-दुर्ग सुपरफास्ट ट्रेन (Udhampur Durg Superfast Express) के दो एसी कोच में लगी आग से जांच अफसर भी सकते में आ गए हैं। उच्च स्तरीय जांच दल, डिब्बों में लगी आग का दोष यात्रियों के माथे मढ़ने की प्लानिंग करते हुए नजर आ रहे हैं। जबकि यह हादसा डिब्बे के अंदर बिजली लाइन में शॉर्ट सर्किट से हुआ है, इस बारे में कोई और नहीं, बल्कि आग से जले डिब्बे में बैठे रेलवे के टिकट कलेक्टर व दर्जनों रेलयात्री भी अपने बयान में कह चुके हैं। हालांकि रेलयात्रियों के बयान को जांच कमेटी के अफसर दबाने के मूड में है।

मालूम हो कि जम्मू के ऊधमपुर से छत्तीसगढ़ के दुर्ग जाने वाली ऊधमपुर-दुर्ग सुपर फास्ट एक्सप्रेस (Udhampur Durg Superfast Express) के ए-1 और ए-2 में 26 नवंबर को दोपहर में आग लग गई थी। इन दोनों डिब्बों में 77 यात्री सवार थे। जिनमों से कई यात्री डिब्बों के कांच फोड़कर बाहर निकाले गए थे। इस हादसे के कारण रेल यातायात तीन घंटे तक जाम रहा था।

आग से जलकर बर्बाद हुए दोनों डिब्बे 

बताते हैं कि ट्रेन के डिब्बों में आग लगने के कारणों की जांच करने के लिए उच्चस्तरीय दल मुरैना के हेतमपुर रेलवे स्टेशन पर पहुंचा था, जहां आग से जलकर बर्बाद हुए दोनों डिब्बे रखे हुए हैं। जांच कमेटी में लखनऊ जोन के सीआरएस मो. लतीफ खान, डीआरएम आशुतोष कुमार, आरपीएफ के डीआईजी आर एसपी सिंह के अलावा अन्य अधिकारी-कर्मचारी शामिल थे। जांच दल ने डिब्बों में आग लगने के कारणों को किसी यात्री द्वारा फेंकी गई सिगरेट-बीड़ी के कारण बताते रहे हैं।

जांच कमेटी ने झाँसी मंडल के अफसरों को चुप रहने की दे डाली नसीहत

इस बीच आरपीएफ व झाँसी मंडल के कुछ अफसरों ने हादसे को शॉर्ट सर्किट से बताया तो लखनऊ के अफसरों ने उन अफसरों को चुप रहने की नसीहत दे डाली। जांच के नाम पर पूरे मामले की दिशा बदलने में जांच कमेटी इतनी शिद्दत से लगी रही कि सीआरएस व डीआरएम ने चंद मिनट तक जले हुए डिब्बों को देखा, उसके बाद साढ़े छह घंटे से ज्यादा समय तक स्पेशल ट्रेन के डिब्बे के अंदर बैठकर आला अफसरों की जांच पड़ताल चली थी।

जांच कमेटी 22 यात्रियों के बयानों को झूठा बता रही हैं?

सूत्रों का कहना है कि घटना के बाद दो टीसी व 22 यात्रियों के बयान दर्ज हुए हैं। जिन्होंने ट्रेन एसी डिब्बे ए-1 के टॉयलेट में शॉर्ट सर्किट से आग लगने की बात बताई है। इतना ही नहीं हादसे के बाद दर्ज हुई सूचना में आगजनी की घटना शॉर्टसर्किट व आग बुझाने के सिलेंडरों में गैस नहीं होने का बताया गया है। अब देखना यह है कि जांच कमेटी इस घटना का दोष यात्रियों की लापरवाही (बीडी-सिगरेट) को देता है या फिर कुछ और।

रेलवे के इलेक्ट्रिक विभाग की बड़ी चूक

रेलयात्रियों की सुरक्षा में रेलवे की सबसे भारी चूक है। आग की घटना को बिजली लाइन के शॉर्ट सर्किट से हुई है, जो रेलवे के इलेक्ट्रिक विभाग की चूक मानी जाएगी। इसके अलावा सबसे बड़ी लापरवाही यह हुई है कि आग बुझाने के लिए ट्रेन के डिब्बों में जो फायर फाइटर सिलेंडर रखे हुए थे, उनमें आग बुझाने वाली गैस ही नहीं थी।

यह बात हादसे की प्रत्यक्षदर्शी व ट्रेन के टीसी वीरेन्द्र कुमार व वीके खरे व रेलयात्री बता चुके हैं। उन्होंने टॉयलेट से उठी आग को बुझाने के लिए सिलेंडर उठाए पर किसी में गैस नहीं निकली। ऐसे में यह हादसा रेलवे के सुरक्षा विभाग की बड़ी चूक हैं और सुरक्षा विभाग ही इस मामले की जांच कर रहा है।

एफएसएल अफसरों ने कहा- शॉटसर्किट से लगी है आग

ट्रेन के डिब्बों में लगी आग के कारणों की जांच में एफएसएल की एक टीम मुरैना पहुंची थी। एफएसएल की प्रभारी अर्पिता सक्सेना ने रेलवे सीआरएस व डीआरएम से गुप्त चर्चा की। बताया गया है कि एफएसएल अफसरों ने भी आग की घटना शॉर्टसर्किट से होने की प्रबल संभावना जताई है।

एफएसएल की टीम ने जले हुए डिब्बों के जले व अधजले तारों के अलावा आधा दर्जन से ज्यादा पेनल व रिले भी सैंपल के लिए इकट्ठा किए हैं। इनकी जांच एफएसएल लैब से कराई जाएगी। इसके अलावा बम डिस्पोजल स्क्वाएड भी जले हुए डिब्बों की जांच की। बम डिस्पोजल स्क्वाड टीम ने डिब्बों में विस्फोटक सामग्री की छानबीन की, लेकिन डिब्बों में ऐसा कुछ भी नहीं मिला। वहीं, रेल मंत्रालय के कुछ वरिष्ठ अफसरों ने मोबाइल पर वीडियो कॉल के जरिए जले हुए डिब्बों का अवलोकन किया है।

ऐसी कोच में सवार यात्री झूठ बोल रहे हैं क्या?

ए-1 व ए-2 में सफर करने वाले रेलयात्री उधम सिंह निवासी बिलासपुर, मंजीत सिंह निवासी उड़ीसा, दलजीत कौर, राकेश कुमार, प्रशांत कुमार, इमरान, संजीव साहू आदि का कहना है कि ट्रेन में जब सफर कर रहे थे, तभी कोच से धुआं निकलना शुरु हो गया। धुआं से आग की लपटें उठनी लगीं। इससे कोच में रखा सामान जल गया। यह आग शॉर्ट सर्किट से लगी हैं।

शॉर्ट सर्किट से ही सभी रेलयात्रियों का सामान जलकर राख हो गया। रेलयात्रियों का कहना है कि कोच के अंदर शॉर्ट सर्किट नहीं होता तो आग नहीं लग सकती थी। इसके अलावा इन यात्रियों के अलावा अन्य यात्रियों ने भी शॉर्ट सर्किट से आग लगने के कारण बताया था। यह यात्री उसी कोच में सवार थे, जिन कोचों में आग लगी थी।

यात्री बोले, खतरनाक था, वो मंजर

पठानकोट के रहने वाले संजय गुप्ता का कहना था कि रेलवे के एसी कोच में आग बुझाने के इंतजाम नहीं हैं, तो आम कोच के क्या हालात होंगे। ए-1 कोच में सफर कर रही कविता का कहना था कि उनकी ज्वेलरी जल गई। राजेन्द्र गुप्ता का कहना था कि ऐसा खौफ का मंजर कहीं नहीं देखा। छतीसगढ़ के रहने वाले सत्या का कहना था कि बच्चों को जैसे-तैसे चलती ट्रेन से उतारा। हम भी चलती ट्रेन से ही उतरे।

इन ट्रेनों में भी क्या बीड़ी-सिगरेट से लगी थी आग?

13 नवंबर को भी नई दिल्ली से झाँसी आ रही ताज एक्सप्रेस (Taj Express) में बड़ा हादसा टल गया था। रेल के वातानुकूलित कोच में आग लग गई थी। वहीं, 8 अप्रैल को रोहतक रेलवे स्टेशन दिल्ली जाने वाली मेमू ट्रेन की तीन बोगियों में आग लग गई थी। आग से तीनों बोगियां जलकर खाक हो गई थीं। इन ट्रेनों में भी बीड़ी सिगरेट से आग लगी थी। सवाल यह है कि रेलयात्रियों की सुरक्षा के साथ रेलवे लापरवाही बरत रहा है।

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