Jhansi News: झांसी में आर्थोपेडिक्स एंड ज्वाइंट रिप्लेसमेंट ओपीडी सेवाएं शुरू

Jhansi News: झांसी स्थित मां वैष्णो हॉस्पिटल एंड ट्रामा सेंटर में अपनी आर्थोपेडिक्स एंड ज्वाइंट रिप्लेसमेंट ओपीडी सेवाएं शुरू की। ओपीडी सेवाओं का शुभारंभ ऑर्थोपेडिक्स एंड जॉइंट रिप्लेसमेंट के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. अखिलेश यादव ने किया।

Report :  B.K Kushwaha
Published By :  Deepak Kumar
Update: 2021-12-20 13:20 GMT

ऑर्थोपेडिक्स एंड जॉइंट रिप्लेसमेंट के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. अखिलेश यादव। 

Jhansi: उत्तर प्रदेश का अग्रणी स्वास्थ्य संस्थान मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल वैशाली (गाजियाबाद) (Max Super Specialty Hospital Vaishali) ने आज झाँसी स्थित माँ वैष्णो हॉस्पिटल एंड ट्रामा सेंटर (Maa Vaishno Hospital And Trauma Center Jhansi) में अपनी आर्थोपेडिक्स एंड ज्वाइंट रिप्लेसमेंट ओपीडी सेवाएं शुरू की।

ओपीडी सेवाओं का शुभारंभ

ओपीडी सेवाओं का शुभारंभ ऑर्थोपेडिक्स एंड जॉइंट रिप्लेसमेंट के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. अखिलेश यादव (Associate Director Dr. Akhilesh Yadav) ने किया। वहीं, एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. अखिलेश यादव परामर्श के लिए भी हर महीने के तीसरे सोमवार को यहां आएंगे। इस ओपीडी में आस्टियोअर्थराइटिस, रूमेटोइड अर्थराइटिस, पोस्ट ट्रॉमेटिक अर्थराइटिस, गॉटी अर्थराइटिस से पीड़ितों या खराब घुटनों के कारण दर्द से पीड़ित लोगों को टोटल नी रिप्लेसमेंट (टीकेआर) के बारे में विशेषज्ञ सलाह दी जाएगी जो उनके लिए सबसे ज्यादा अच्छा माना जाता है।

घुटने की समस्या लेकर आने वाले मरीजों को लेकर बोले डॉ. यादव

इस मौके पर डॉ. यादव ने कहा कि घुटने की समस्या लेकर आने वाले उन सभी मरीजों की हम सभी प्रकार की जांच कराते हैं, जिन्हें सर्जरी की आवश्यकता होती है। जब मरीजों की जांच सही पाई जाती है तो हम चरणबद्ध तरीके से दोनों घुटनों की सर्जरी (बी/एल टीकेआर) करते हैं, जिसमें दो अलग-अलग सर्जरी के जरिए दोनों घुटनों का प्रत्यारोपण किया जाता है। इतनी सारी सर्जरी करने के बाद मैं बस इतना ही कह सकता हूं कि मेरे लिए यह खुशी की बात होती है कि ऐसे मरीज बिना किसी समस्या के अपनी दैनिक गतिविधियों में लौट जाते हैं।

गंभीर मामलों में सर्जिकल उपचार विकल्प

इससे उनकी अन्य लोगों पर निर्भरता धीरे-धीरे कम होने लगेगी और वे बहुत ज्यादा खुशहाल तथा स्वतंत्र महसूस करेंगे। अधिक उम्र, मोटापा, पूर्व में दुर्घटनाओं के कारण जोड़ों में चोट/जोड़ों के अधिक इस्तेमाल और जोड़ों में विकृति जैसे कारणों से मरीज को टीकेआर कराना पड़ जाता है। गंभीर मामलों में जब अन्य उपचार पद्धतियां मरीज की स्थिति सुधारने में विफल हो जाती हैं तो सर्जिकल उपचार भी विकल्प दिया जाता है।

नियमित चिकित्सा उपचार में शामिल है। गतिविधियों में सुधार, दर्दनिवारक दवाइयां और जोड़ों का इंजेक्शन, लेकिन जब इन प्रक्रियाओं से आराम नहीं मिलता है या जोड़ के रोजमर्रा के काम करने लायक नहीं रह जाने की स्थिति में या घुटने के जोड़ में अस्थिरता या जोड़ की सक्रियता कम होने की स्थिति में कंसल्टिंग स्पेशलिस्ट से सर्जरी कराने की सिफारिश की जाती है।

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