हेराफेरी के केस में कार्लटन होटल के निदेशकों व चार्टर्ड अकाउंटेंट को मिली कैद

तीनों अभियुक्तों पर कार्लटन होटल के दूसरे डायरेक्टर एएम जौहरी व एके जौहरी को होटल की प्रापर्टी से बेदखल करने के लिए रजिस्ट्रार ऑफ कम्पनीज, कानपुर के दस्तावेजों में हेरफेर करने का इल्जाम है। वर्ष 1997 में कार्लटन होटल की प्रापर्टी करीब 115 करोड़ की थी।

Update:2019-06-06 22:43 IST

लखनऊ: सीबीआई के विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट सुब्रत पाठक ने धोखाधड़ी के एक मामले में कार्लटन होटल के डायरेक्टर उदयजीत सिंह व अजीत सिंह तथा इनके चार्टड एकाउटेंट विनोद कुमार गुप्ता को दोषी करार दिया है। उन्होंने इन तीनों अभियुक्तों को तीन-तीन साल की सजा सुनाई है। साथ ही इन तीनों पर 14-14 हजार का जुर्माना भी ठोंका है।

इन तीनों अभियुक्तों पर कार्लटन होटल के दूसरे डायरेक्टर एएम जौहरी व एके जौहरी को होटल की प्रापर्टी से बेदखल करने के लिए रजिस्ट्रार ऑफ कम्पनीज, कानपुर के दस्तावेजों में हेरफेर करने का इल्जाम है। वर्ष 1997 में कार्लटन होटल की प्रापर्टी करीब 115 करोड़ की थी।

12 जनवरी, 2006 को इस मामले की शिकायत कार्लटन होटल प्राइवेट लिमिटेड के बेदखल किए गए डायरेक्टर एएम जौहरी व एके जौहरी ने दर्ज कराई थी। जिसकी जांच सीबीआई को सौंप दी गई।

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सीबीआई के लोक अभियोजक शोभित सिंह का कहना था कि 22 मार्च व 10 अपै्रल, 2001 को अभियुक्त उदयजीत सिंह व अजीत सिंह के कहने पर चार्टड एकाउटेंट विनोद कुमार गुप्ता ने कानपुर में रजिस्ट्रार ऑफ कम्पनीज के दफ्तर का निरीक्षण किया। इस दौरान उसने वर्ष 1997-98-99 के एनुअल रिर्टन (एआर) के दस्तावेजों का पहला और आखिरी पन्ना छोड़कर शेष पन्ना निकाल लिया व उनकी जगह दूसरा लगा दिया।

निकाले गए पन्नों में शिकायतकर्ता कार्लटन होटल प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर दर्शाए गए थे। अभियुक्तों ने इसके साथ ही पोस्ट आफिस की फर्जी रसीदें भी बनाईं। इसके जरिए कॉल मनी नोटिस दिखाकर शिकायतकर्ताओं के शेयर जब्त कर लिए। सीबीआई ने अपनी जांच में पाया कि अन्य दस्तावेजों में जौहरी बंधु होटल के डायरेक्टर हैं।

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हालाकि वर्ष 2007 में अपनी जांच के बाद सीबीआई ने इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल किया था। लेकिन अदालत से पुर्नविवेचना के आदेश के बाद वर्ष 2009 में सीबीआई ने अभियुक्तों के खिलाफ आईपीसी की धारा 120बी, 420, 466, 467, 471 व 477ए में आरोप पत्र दाखिल किया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से इस मामले की सुनाई दिन-प्रतिदिन हो रही थी।

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