CBI ने कल्याण सिंह को बतौर अभियुक्त तलब करने की उठाई मांग, 11 को सुनवाई
सीबीआई ने बाबरी ढांचा विध्वंस मामले में लखनऊ की विशेष अदालत में चल रहे विचारण के दौरान सोमवार केा एक अर्जी डालकर पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह को बतौर अभियुक्त तलब करने की मांग की है।
विधि संवाददाता
लखनऊ: सीबीआई ने बाबरी ढांचा विध्वंस मामले में लखनऊ की विशेष अदालत में चल रहे विचारण के दौरान सोमवार केा एक अर्जी डालकर पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह को बतौर अभियुक्त तलब करने की मांग की है।
इस अर्जी पर विशेष न्यायाधीश एस.के. यादव ने सीबीआई को कल्याण सिंह के राज्यपाल पद से मुक्त होने संबधी आवश्यक कागजात पेश करने को कहा है।
उल्लेखनीय है कि इस केस के विचारण की सुनवाई दिन-प्रतिदिन चल रही है अतः इस अर्जी पर अगली सुनवाई 11 सितम्बर को हो सकती है।
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बाबरी ढांचा विध्वंस का मामला विशेष अदालत में
6 दिसम्बर 1992 को बाबरी ढांचा विध्वंस के मामले में षणयंत्र के आरोपों में इस केस में पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवानी , मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सहित अन्य अभियुक्तों केा विचारण विशेष अदालत में चल रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल 2017 को अपने आदेश में कहा था कि इस विचारण को दिन -प्रतिदिन के आधार पर किया जाये। इस केस में सभी अभियुक्तगण जमानत पर चल रहे हैं।
19 अप्रैल 2017 को आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने आडवानी सहित अन्य पर ढांचा ढहाने का षणयंत्र करने के आरोप में विचारण करने को कहा था।
2017 में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को दिया था ये आदेश
हालांकि तब सुप्रीम कोर्ट ने कल्याण सिंह को राज्यपाल के पद पर रहने के कारण संविधान के अनुच्छेद 361 का हवाला देकर कहा था कि कल्याण को तलब न किया जाये, जबकि साथ ही सीबीआई को छूट दी थी कि जैसे ही कल्याण पर से मुक्त हों, उन्हें तलब करने की अर्जी दी जाये।
कल्याण सिंह को 3 सितम्बर 2014 को पांच साल के लिए राज्यपाल नियुक्त किया गया था। सीबीआई ने 1993 में अन्य अभियुक्तों के साथ साथ कल्याण के खिलाफ इस केस में आरोप पत्र दाखिल किया था।
बगैर फार्मेसिस्ट चल रही दुकानों के खिलाफ कार्यवाही का ब्यौरा तलब
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने फूड सेफ्टी एण्ड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के कमिश्नर से प्रदेश में बिना फार्मासिस्टों के चल रहे मेडिकल स्टोर्स के खिलाफ की जा रही कार्यवाही कर विस्तृत ब्यौरा तलब किया है।
कोर्ट ने कमिश्नर केा यह ब्यौरा हलफनामे के जरिये तीन हफ्ते के भीतर पेश करने का आदेश दिया है। मामले की सुनवायी तीन हपते बाद होगी।
यह आदेश जस्टिस पंकज कुमार जायसवाल व जस्टिस जसप्रीत सिंह की बेंच ने आशा मिश्रा व अन्य की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर पारित किया।
याचिका दो साल पहले दायर की गयी थी। जिस पर सुनवायी के बाद कोर्ट ने सख्ती दिखायी तो फूड सेफ्टी एण्ड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन विभाग ने सभी दवा की दुकानों व फार्मासिस्टों को आधार से लिंक करने व सबका ब्यौरा इकटठा करने का निर्णय लिया था।
साथ ही एक ही फार्मासिस्टों द्वारा कई कई दुकानों केा अपना लाइसेन्स देकर उनसे रकम वसूलने की प्रवृत्ति पर रोक लगाने का काम प्रारम्भ किया ।
कमिश्नर ने 13 मई 2019 को अपना हलफनामा पेश कर कोर्ट को बताया था कि 15 मई 2018 से लाइसेंसिग सिस्टम को आधार से लिंक कराया जा रहा है।
बताया गया कि 2017-18 में करीब 3235 रिटेल दुकानों के लाइसेंस निलंबित किये गये और 781 लाइसेन्स रद्द किये गये । 2018 - 19 में 2815 रिटेल दुकानों के लाइसेंस निलंबित किये गये और 516 लाइसेंस रद किये गये।
कोर्ट ने कमिश्नर के हलफनामें को रिकार्ड पर लेते हुए उनसे वर्तमान स्थिति पेश करने केा कहा है। इसके लिए कोर्ट ने उन्हें तीन हपते का समय दिया है।
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