इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महानिबंधक से पूछा है, कि 'किस कानून के तहत वित्तीय वर्ष बीत जाने के बाद सरकार से प्राप्त धन वापस न कर हाईकोर्ट अपने पास रख सकता है। खर्च से बचा धन केंद्र के संचित निधि खाते या राज्य के लोक निधि खाते में वापस किया जा सकता है।' कोर्ट ने राज्य सरकार से भी पूछा है, कि सरकार का खर्च से बचा धन किस उपबंध के तहत विभाग रख सकता है या वापस कर सकता है।
दरअसल, कोर्ट ने सरकारी धन को वित्तीय वर्ष बीत जाने के बाद भी अपने पास रखने को गंभीर मुद्दा माना है। कोर्ट ने सभी विभागों से वित्तीय अनुशासन पर अमल करने की उम्मीद जाहिर की है। कहा, कि हाईकोर्ट अन्य विभागों से भिन्न नहीं है। याचिका की अगली सुनवाई 30 अगस्त को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण टंडन तथा न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी की खंडपीठ ने भारत संघ की याचिका पर दिया है।
बता दें, कि भारत सरकार ने 1976 में हाईकोर्ट को फंड दिया था, जिसमें से बचे दो करोड़ की वापसी की मांग की गई है। याचिका पर अधिवक्ता तरुण अग्रवाल व हाईकोर्ट के अधिवक्ता मनीष गोयल ने पक्ष रखा।