Coal Import in UP: केंद्र सरकार कोयला आयात के लिए राज्यों पर बेजा डाल रही दबाव, बोले शैलेंद्र दुबे

Coal Import in UP: इंजीनियर्स फेडरेशन का कहना है कि कोयला संकट में राज्य के बिजली उत्पादन गृहों का कोई दोष नहीं है। इसलिए केंद्र को कोयला आयात के अतिरिक्त खर्च का वहन करना चाहिए।

Published By :  Shreya
Update:2022-05-18 20:10 IST

यूपी में बिजली संकट पैदा होने की असली वजह (Social media)

Coal Crisis in UP: ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (AIPEF) ने केंद्र सरकार (Modi Government) द्वारा आज पुनः कोयला आयात (Coal Import) करने के निर्देश को केंद्र सरकार द्वारा राज्यों पर बेजा दबाव डालने की कोशिश बताया है। इंजीनियर्स फेडरेशन ने अपनी मांग दोहरायी है कि चूँकि कोयला संकट (Coal Crisis) में राज्य के बिजली उत्पादन (Power Generation) गृहों का कोई दोष नहीं है। इसलिए केंद्र सरकार को कोयला आयात के अतिरिक्त खर्च का वहन करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि ताप बिजली घरों तक कोयला न पहुंचने का प्रमुख कारण रेलवे के रेक की कमी बताई जा रही है। ऐसे में आयातित कोयला जो बंदरगाहों पर आएगा वहां से कई हजार किलोमीटर दूर स्थित ताप बिजली घरों तक किस तरह यह कोयला पहुंचाया जाएगा, यह भी केंद्रीय विद्युत मंत्री को बताना चाहिए।

क्या है जारी आदेश में?

ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने आज यहां कहा कि केंद्र सरकार के आज जारी आदेश में कहा गया है कि 31 मई तक जो ताप बिजली घर (Thermal Power Station) कोयला आयात करने का आदेश नहीं करेंगे और 15 जून तक आयातित कोयले की ब्लेंडिंग प्रारंभ नहीं करेंगे, उन्हें इसके बाद 10 प्रतिशत के बजाय 15 प्रतिशत कोयला 31 अक्टूबर तक आयात करना होगा।

इतना ही नहीं तो केंद्र सरकार ने आगे यह भी कहा है कि एक जून के बाद डोमेस्टिक कोयले के आवंटन में भी ऐसे ताप बिजली घरों को 5 प्रतिशत कम कोयला दिया जाएगा जिन्होंने आयातित कोयले का आदेश नहीं किया है। यह साफ तौर पर कोयला आयात करने के लिए बढ़ाया जा रहा बेजा जवाब है जो उचित नहीं है।

कोयला आयात करें ताप बिजली घर

शैलेंद्र दुबे ने कहा कि एक ओर तो केंद्र सरकार अप्रैल तक यह दावा करती रही है कि कोल इंडिया का उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में अधिक हुआ है और कोयले का कोई संकट नहीं है दूसरी ओर अब इसके ठीक विपरीत केंद्र सरकार यह कह रही है कि राज्य के ताप बिजली घर कोयला आयात करें और अब यह कोयला आयात करने का कार्यक्रम 31 मार्च 2023 तक बढ़ा दिया गया है।

उन्होंने कहा कि राज्यों के अधिकांश ताप बिजली घर आयातित कोयले के लिए डिजाइन नही किये गए हैं। आयातित कोयला ब्लेंड करने से इनके बॉयलर में ट्यूब लीकेज बढ़ जाएंगे। इससे स्पष्ट हो जाता है कि केंद्र सरकार ने कोयला आयात करने को मुख्य ध्येय बना लिया है। उन्होंने कहा कि अभी भी देश के 108 ताप बिजली घरों के पास केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के नोरमैटिव स्टॉक की तुलना में 25 प्रतिशत से कम कोयला है जिसे क्रिटिकल स्टेज कहा जाता है।

ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने दोहराया है कि मौजूदा कोयला संकट केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों बिजली, कोयला और रेल के आपसी समन्वय की भारी कमी के कारण पैदा हुआ है। इसलिए राज्यों पर कोयला आयात करने के लिए बेजा दवाब न डाला जाए और यदि राज्यों को कोयला आयात करने के लिए मजबूर किया जाता है तो आयातित कोयले का अतिरिक्त भार केंद्र सरकार को उठाना चाहिए।

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