आरटीआई: सरकारी कर्मचारियों को 45 लाख, आम नागरिक को ठेंगा !

देश में सूचना का अधिकार कानून साल 2005 में लागू हुआ। लेकिन अब तक इस कानून को अपने मकसद में कामयाबी हासिल नहीं हो सकी है। सूचनाएं उपलब्ध कराने में अफसरशाही का ​अड़ियल रवैया भी इसकी राह में रोड़ा है।

Update: 2017-06-08 15:48 GMT
आरटीआई: सरकारी कर्मचारियों को 45 लाख, आम नागरिक को ठेंगा !

लखनऊ: देश में सूचना का अधिकार कानून साल 2005 में लागू हुआ। लेकिन अब तक इस कानून को अपने मकसद में कामयाबी हासिल नहीं हो सकी है। सूचनाएं उपलब्ध कराने में अफसरशाही का ​अड़ियल रवैया भी इसकी राह में रोड़ा है।

आरटीआई के मामलों को सफलतापूर्वक निपटाने के लिए सरकारी कर्मचारियों के प्रशिक्षण को 45 लाख रुपए दिए जाते हैं। जबकि आम आदमी को जरूरी ट्रेनिंग के लिए एक धेला भी नहीं खर्च किया जाता है। आरटीआई से मिली जानकारी में इसका खुलासा हुआ है।

लखनऊ के सामाजिक संगठन 'येश्वर्याज' को आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक, केंद्र सरकार ने यूपी के जनसूचना अधिकारियों और प्र​थम अपीलीय अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए बीते साल में 45 लाख रुपए आवंटित किए थे। इसमें से 38 लाख 30 हज़ार 8 सौ 23 रुपए खर्च हुए। जबकि आम नागरिकों के प्रशिक्षण के लिए एक धेला भी नहीं दिया गया।

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