Jalaun News: सुबह से शाम तक लग रहे देवी मां के जयकारे, मंदिरों में लगी कतारें

Jalaun News: नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की उपासना की जाती है। नवरात्रि में महिला एवं पुरुष 9 दिन तक व्रत रखते हैं, कई घरों में ज्वारे भी बोए जाते हैं, जो नौवें दिन शक्तिपीठों पर जाकर देवी के चरणों में समर्पित किए जाते हैं।

Update:2023-03-23 00:31 IST
File Photo of devotees (Pic : Newstrack)

Jalaun News: चैत्र नवरात्रि पर सुबह से मंदिरों में शुरू हुआ दर्शन-पूजन का सिलसिला देर शाम तक जारी है। शहर के कई मंदिरों में भक्तों की लाइन लगी हुई है, जो देवी मां के दर्शन करने को आतुर हैं। सुबह से चल रहे पूजा-पाठ और भजन-कीर्तन के बाद रात को कई जगह देवी जी के जागरण का आयोजन भी किया जाएगा। जिसमें रात भर भक्त मां की महिमा का गुणगान करेंगे।

हर तरफ ‘जय माता दी’ का उद्घोष

शहर के राठ रोड स्थित संकटा माता मंदिर, हल्की माता मंदिर, जिला अस्पताल स्थित मंदिर, कालपी रोड स्थित मंदिर, मां शारदा शक्तिपीठ धाम बैरागढ़, शक्तिपीठ सैदनगर, अक्षरा देवी शक्तिपीठ, सैदनगर जालौनवी की माता समेत शहर के कई मंदिरों पर भक्तों की भीड़ शाम तक डटी रही और माता के जयकारे सुनाई देते रहे।

ये है देवी मां की आराधना की मान्यता

चैत्र नवरात्रि के शुरू होते ही अगले 9 दिनों तक घर, शक्तिपीठों और मंदिरों में मां दुर्गा की पूजा-उपासना विधिवत् की जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि शुरू हो जाते हैं। नवरात्रि का पर्व मां दुर्गा की आराधना और फल पाने का सबसे बढ़िया समय होता है। चैत्र नवरात्रि के शुरू होते ही हिंदू नववर्ष भी शुरू हो जाता है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करते हुए मां दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की उपासना की जाती है। पुराणों के अनुसार देवी ही ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश के रूप में सृष्टि का सृजन, पालन और संहार करती हैं। देवी के प्रमुख नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्रि का प्रत्येक दिन देवी मां के विशेष रूप को समर्पित होता है और हर स्वरूप की उपासना करने से अलग-अलग प्रकार के मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की उपासना की जाती है। नवरात्रि में महिला एवं पुरुष 9 दिन तक व्रत रखते हैं, कई घरों में ज्वारे भी बोए जाते हैं, जो नौवें दिन शक्तिपीठों पर जाकर देवी के चरणों में समर्पित किए जाते हैं। ऐसा मानना है कि जिनकी मनोकामना पूरी हो जाती है, वह देवी को खुश करने के लिए ज्वारे बोते हैं। कई जगह मंदिरों पर 9 दिन तक भंडारा आयोजित किया जाता है। शक्तिपीठों पर कुछ लोग एक साल तक देसी घी का दीया जलाने की परंपरा का निर्वहन करते हैं।

कई श्रद्धालु ऐसे भी हैं जो कि शक्तिपीठ मंदिरों पर मनोकामना पूरी होने पर घंटा अर्पित करते हैं। नवरात्रि के पहले दिन कहा जाता है कि मां शैलपुत्री जो कि देवी पार्वती का ही स्वरूप हैं, वो सहज भाव से पूजन करने से शीघ्र प्रसन्न हो जाती हैं और भक्तों को मनोवांछित फल प्रदान करती हैं। मन विचलित होता हो और आत्मबल में कमी हो तो देवी मां शैलपुत्री की आराधना करने से लाभ मिलता हैं। माता सदैव अपने भक्तों को खुश रखती हैं।

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