Chandauli News: मनरेगा में बड़ा घोटाला, कागज में भरी जा रही हाजिरी, जानिए मामला

Chandauli News: इस संबंध मे डी सी मनरेगा का कहना है कि मास्टर रोल मौके पर ही काम के समय भरा जाता है। ऑनलाइन हाजिरी काम के समय ही की जाती है।

Report :  Ashvini Mishra
Update: 2024-07-15 08:21 GMT

Big scam in MNREGA  (photo: social media )

Chandauli News: चंदौली जिले में मनरेगा योजना के तहत शहाबगंज ब्लॉक में इन दिनों बड़े पैमाने पर कागजों में काम करा कर धन का बंदरबांट किया जा रहा है। कई जगहों पर ऐसे साक्ष्य हैं जहां कागज पर तो मजदूरों को काम करते हुए दिखाया गया है, लेकिन मौके पर कही उनके काम करने का साक्ष्य नहीं है। ताजा मामला सहाबगंज ब्लॉक के हाटां ग्राम सभा से है। जहां दस्तावेजों में ग्राम सभा से तीन कार्य का मास्टर रोल चल रहा है ।

दो मूहवा पुल से यदुनाथ के खेत तक मेड़बंदी, भोले के खेत से मालिक के खेत तक मेड़बंदी, धनरिया प्राथमिक विद्यालय से शशि कुमार के घर तक चकरोड निर्माण में कुल 160 श्रमिकों की उपस्थिति एनएमएमएस पर की जा रही है। लेकिन मौके पर उस अवधि में काम होने का कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है। ग्रामीणों का मानना है कि मनरेगा में बड़े पैमाने पर घोटाला चल रहा है।

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम का मुख्य उद्देश्य इच्छुक ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्यों को वित्तीय वर्ष में सौ दिनों का रोजगार देकर ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की आजीविका सुरक्षा में वृद्धि लाना है। इसके तहत किसी कार्य के प्राक्कलन की तकनीकी व वित्तीय स्वीकृति के बाद मास्टर रोल जारी कर मजदूरों से काम कराते हुए उन्हें रोजगार दिया जाता है। नियम के मुताबिक तकनीकी सहायक से हस्ताक्षरित तथा प्राधिकृत मस्टर रोल को कार्य के दौरान कार्यस्थल पर रखा गया है । रोजगार सहायक या मेठ उस पर मजदूरों की हाजिरी बनाते हैं।

सहायक द्वारा किए गए कार्य की कागज पर नापी 

संबंधित पंचायत के तकनीकी सहायक द्वारा किए गए कार्य की कागज पर नापी भी होती है और उसे एमबी बुक में अंकित किया जाता है। जिसके अंतर्गत शहाबगंज ब्लॉक में 156 कार्यों के लिए 553 मस्टररोल निकाल कर 7117 मजदूरों से कार्य कागज पर कराया जा रहा है । ब्लाक में कई जगहों पर गंभीर अनियमितताएं देखने को मिल रही हैं।

धनरिया बनवासी बस्ती के रामप्रसाद सचिन,लालता, जगदीश, फूला, चिंता, बादामी, अनीता, राधिका, मुराही, सत्तन, ने कहा कि दो वर्षों से हम लोगों को मनरेगा में कहीं काम करने का अवसर नहीं मिला लेकिन हम लोगों के खाते में बराबर पैसा आता है । जिसको तियारी गांव के रोजगार सेवक प्रदीप सिंह घर आकर अंगूठा लगावाकर पैसा निकाल लेते हैं उसके एवज में दो से तीन सौ रूपए लोगों को मिलता है।

कार्यों का भुगतान मजदूरों के खाते में

इतना ही नहीं विकलांग लालजी बनवासी व 85 वर्षीय वृद्ध के खाते में भी मनरेगा का पैसा आता है, जिसे निकलवा कर दो से तीन सौ रुपए दिए जाते हैं। खंड विकास अधिकारी दिनेश सिंह ने कहा कि कुछ कार्य ऐसे होते हैं जो पूर्व में कर दिए जाते हैं लेकिन उसका मास्टर रोल बाद में जारी होता है इसके चलते पहले से हुए कार्यों का भुगतान मजदूरों के खाते में किया जाता है।

जबकि इस संबंध मे डी सी मनरेगा का कहना है कि मास्टर रोल मौके पर ही काम के समय भरा जाता है। ऑनलाइन हाजिरी काम के समय ही की जाती है। इस तरह का कोई नियम नहीं है जो की कार्य करने के बाद मास्टर रोल भर जाए। अब घोटाले की पुष्टि करने के लिए कुछ बचा नहीं है। दो अधिकारियों के बयानों से विरोधाभास लग रहा है।

शहाबगंज ब्लॉक के बीडीओ के बयान से दाल में काला दिखायी दे रहा है। अब देखना है कि इस मामले को उच्च अधिकारियों द्वारा किस प्रकार देखा जाता है । जिला अधिकारी व मुख्य विकास अधिकारी द्वारा इन गांवो के मनरेगा का भुगतान ऐसे ही फर्जी तरीके से करने की खुली अनुमति मिली रहती है या कोई कार्यवाही होती है।

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