ऐसे हैं बाबा कालेश्वर नाथ जिनके मंदिर से छेड़छाड़ करने वाले अंग्रेज अधिकारियों की हो गई थी जल समाधि

Chandauli News: चंदौली के सकलडीहा रेलवे स्टेशन के समीप स्थित बाबा कालेश्वर नाथ मंदिर में सावन के दौरान भारी भीड़ उमड़ती है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर के साथ छेड़छाड़ करने वालों को बाबा खुद दंड देते हैं।

Report :  Ashvini Mishra
Update: 2024-07-22 09:18 GMT

Chandauli News: चंदौली जनपद के सकलडीहा रेलवे स्टेशन के समीप स्थित बाबा कालेश्वर नाथ मंदिर का एक पौराणिक इतिहास है। इनके दर्शन से जहां अकाल मौत टल जाती है, वहीं उनके साथ छेड़छाड़ करने वालों को अकाल मौत भी देते हैं। इसका आज भी जीता जागता प्रमाण शिला पट्ट के रुप में मौजूद है। उनके मंदिर के समीप ही पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर से पटना तक जाने वाली रेलवे लाइन बनी है।

बाबा ने बख्त सिंह को दिया था स्वप्न

ऐसी मान्यता है कि बाबा कालेश्वर नाथ स्वयंभू हैं। यह जमीन से अपने आप प्रकट हुए हैं। बाबा के मंदिर के इतिहास के सम्बन्ध में बताया जाता है कि सकलडीहा कोट के निवासी बाबू बख्त सिंह को पुत्र नहीं हो रहा था तो उन्हें कालेश्वर नाथ जी ने स्वप्न दिया कि उनकी शिवलिंग निकली हुई है। उस स्थान पर वह मंदिर बनवा दे तो पुत्र की प्राप्ति होगी। इस पर बाबू बख्त सिंह सुबह ही मौके पर पहुंचे और मंदिर का निर्माण कराया। और उन्हें पुत्र रत्न की प्रप्ति हुई। उनके वंशज आज भी बाबा के भक्त हैं।

अंग्रेज अधिकारियों की जल समाधि


ऐसा माना जाता है कि यह शिवलिंग दिनों बिन बढ़ती है। शुरुआत के समय में यह छोटी शिवलिंग थी, आज विशालकाय रूप धारण कर लिया है। माना यह भी जाता है कि बाबा कालेश्वर नाथ प्रत्यक्ष रूप में यहां विराजमान हैं। जब पीडीडीयू व पटना रेलवे लाइन का निर्माण अंग्रेजों द्वारा 1928 में कराया जा रहा था तब मंदिर बीच मे आड़े आ रही थी। तब अंग्रेजो द्वारा मंदिर को तोड़कर सीधी रेलवे लाइन का निर्माण कराए जाने का फैसला लिया गया। लोगों के मना करने के बाद भी हठी अंग्रेज अफसर मानने को तैयार नहीं हुए और उसका परिणाम हुआ कि जब रेलवे लाइन बन कर तैयार हुई और रेल के अंग्रेज अधिकारी टेस्टिंग के लिए पटना से आ रहे थे तभी बाबा कालेश्वर नाथ के सामने स्थित तालाब में अंग्रेज अधिकारियों के पीछे की बोगी गिर गई, जिससे अंग्रेज अधिकारियों की जल समाधि हो गई। इस घटना को सुनकर अंग्रेज अधिकारी रोबिन विक्टर की पत्नी वहां पहुंची और बाबा से माफी मांगी और पुनःरेलवे लाइन को वहां टेढ़ा करके दूसरी बार रेल लाइन का निर्माण कराया। साथ ही मंदिर का निर्माण भी किया गया। इस बात का प्रमाण आज भी अंग्रेज महिला द्वारा लगवाया गया शिलापट्ट के रूप में वहां मौजूद है।

सावन में जुटती है भारी भीड़


बाबा कालेश्वर नाथ का सावन में दर्शन करने के लिए भारी श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। दूसरे राज्यों के भक्त भी बाबा कालेश्वर नाथ के दर्शन करने आते हैं। सावन के महीने में सोमवार के दिन भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन जलाभिषेक के लिए स्पेशल तैयारी करती है। आज यानी सावन के प्रथम सोमवार को बाबा कालेश्वर नाथ मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिली। बता दें, यह मंदिर बाबा विश्वनाथ के ट्रस्ट से संबंधित है और मंदिर की देख रेख काशी विश्वनाथ ट्रस्ट के द्वारा ही की जाती है।

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