Chandauli News: मनरेगा में चल रहा खेल, बिना बोर्ड लगाए ही दिखाया जा रहा काम
Chandauli News: कार्यस्थलों पर सूचना बोर्ड लगाने और स्थलीय जांच सुनिश्चित करने की बात कही गई थी। लेकिन यह आदेश केवल कागजों तक ही सीमित रह गया है।
Chandauli News: चंदौली जिले में मनरेगा योजना में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा की शिकायत हो रही है। सरकारी धन के दुरुपयोग और कमीशनखोरी के आरोपों के बावजूद अधिकारियों और कर्मचारियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है। डीएम निखिल टीकाराम फुंडे ने मनरेगा के तहत हो रहे कार्यों में पारदर्शिता लाने का आदेश दिया था। जिसमें कार्यस्थलों पर सूचना बोर्ड लगाने और स्थलीय जांच सुनिश्चित करने की बात कही गई थी। लेकिन यह आदेश केवल कागजों तक ही सीमित रह गया है।
जनपद के विकास खंडों के कई गांवों में बिना किसी वास्तविक कार्य के घर बैठे लोगों के नाम पर मस्टररोल जारी कर लाखों रुपए की धांधली की जा रही है। नौगढ़ ब्लाक के बरवाडीह गांव में लक्षिमनपुर से सोनभद्र बॉर्डर तक नाली सफाई कार्य में 52 मजदूर मस्टररोल में हैं। जबकि अपलोड की गई फोटो में केवल चार मजदूर दिखाई दे रहे हैं। बोदलपुर गांव में मनवानार बंधी से लल्लन के खेत तक नाली खुदाई और सफाई 46 मजदूरों से कराया जा रहा है, लेकिन न तो फोटो में मजदूर हैं और न ही कोई काम हो रहा है। इसी तरह पिपराही गांव में शेखर के घर से शमशेरपुर बॉर्डर तक डबला मरम्मत का कार्य दिखाया जा रहा है, परंतु वहां कोई काम नहीं हो रहा है। बिना फरसा, कुदाल के कुछ लोगों को खड़ा कर साइट पर फोटो अपलोड की गई है। गोलाबाद गांव में छोटे लाल के खेत से धजरहवा पीपल तक नाली खुदाई के कार्य में मजदूरों से काम करना दिखाया जा रहा है, काम तो नही हो रहा है लेकिन पुरानी गर्मी की तस्वीरें जरूर अपलोड कर दी गई है।
सिर्फ कागजों पर कार्य
इतना तो स्पष्ट हो रहा है कि वेबसाइट पर जो कार्य दिखाए जा रहे हैं, वे सिर्फ कागजों पर ही सीमित हैं। आरोपों के अनुसार यह घोटाला खंड विकास अधिकारी और ग्रामीण अभियंत्रण सेवा विभाग का अवर अभियंता के (जेई) की मिलीभगत से हो रहा है। बिना किसी कार्यस्थल की वास्तविक स्थिति जांचे फर्जी मस्टररोल और फर्जी फोटो अपलोड कर सरकारी धन का दुरुपयोग किया जा रहा है। मजदूरों को न तो रोजगार मिला और न ही मेहनताना।
पारदर्शिता की कमी
सबसे बड़ी बात है की मनरेगा कार्यस्थलों पर सूचना बोर्ड लगाना आवश्यक है लेकिन अधिकतर जगह बोर्ड नहीं लगाए गए हैं और ना ही लगाए जा रहे हैं, जो पारदर्शिता की कमी को दर्शाता है। बोर्ड पर योजना का नाम, प्राक्लित राशि, और संवेदक का नाम अंकित होना चाहिए था, जिससे लोगों को जानकारी मिल सके कि कौन-सी योजना के तहत काम हो रहा है। लेकिन भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए बोर्ड लगाने से बचा जा रहा है।
इस संबंध में मुख्य विकास अधिकारी सुरेंद्र नाथ श्रीवास्तव ने बताया कि मैंने डीसी मनरेगा की लेटर जारी करके सभी कार्यों की जांच करने व बोर्ड लगाने का निर्देश दिया है ,बिना बोर्ड के कोई भी कार्य नहीं किया जाएगा।