Chandauli News: सपा प्रत्याशी के नामांकन में नहीं दिखे पूर्व सांसद, पार्टी में अनबन
Chandauli News: वीरेंद्र सिंह के नामांकन के दौरान सपा के आस-पास के कई जनपदों के विधायक व जन प्रतिनिधि मंच पर दिखाई दिए लेकिन चंदौली के पूर्व सांसद रामकिशुन यादव नहीं दिखे।
Chandauli News: चंदौली संसदीय क्षेत्र का चुनाव अंतिम चरण में 1 जून को होना है जिसका नामांकन प्रक्रिया जारी है। शुक्रवार को समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी वीरेंद्र सिंह द्वारा शक्ति प्रदर्शन करके नामांकन किया गया लेकिन उनके नामांकन में समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद व वरिष्ठ सपा नेता नहीं दिखे। उन्होंने आज अपना उद्गार व्यक्त करते हुए कहा है कि समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी वीरेंद्र सिंह को मेरी जरूरत नहीं है। लेकिन मैं समाजवादी हूं और रहूंगा, राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देश पर पार्टी के लिए कार्यकर्ता बन कर कार्य करता रहूंगा।
नामांकन के दौरान नहीं दिखे रामकिशुन यादव
आपको बता दें कि शुक्रवार को नामांकन के दौरान समाजवादी पार्टी के आस-पास के कई जनपदों के विधायक व जन प्रतिनिधि मंच पर दिखाई दिए लेकिन चंदौली के पूर्व सांसद रामकिशुन यादव नहीं दिखे। समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी से जब सवाल किया गया कि पूर्व सांसद नहीं दिख रहे है। इसपर उन्होंने उनके पिता का नाम लेते हुए कहा कि गंजी प्रसाद जी का मेरे ऊपर आशीर्वाद है और कुछ नहीं बोले।
पूर्व सांसद ने जताया दुख
जब इस संबंध में पूर्व सांसद रामकिशुन यादव से बात किया गया तो उन्होंने बताया कि समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को मेरी जरूरत नहीं है। मैं मुगलसराय सपा कार्यालय पर पूरे दिन बैठा रहा लोगों ने पूरी गतिविधियां मुझे बताई मैं समाजवादी पार्टी का कार्यकर्ता हूं और राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए पार्टी का कार्यकर्ता रहूंगा। ऐसे प्रत्याशी समय-समय पर आते हैं और चले जाते हैं। मैं प्रत्याशी रहूं या ना रहूं लेकिन समाज के लोगों के लिए उनकी समस्याओं के लिए लड़ाई लड़ता रहूंगा। मेरी पहचान लोगों की समस्याओं का निदान करना उनके लिए लड़ना ही है। उन्होंने अपना उद्गार व्यक्त करते हुए यह भी कहा कि मेरे पिता पूर्व विधायक स्वर्गीय गंजी प्रसाद जी को दिवंगत हुए 27 वर्ष हो गया लेकिन उनकी याद कभी नहीं आई। आज वीरेंद्र सिंह को उनका आशीर्वाद मिल रहा है जो लोग पार्टी के लिए कार्य कर रहे हैं उनकी जरूरत उन्हें नहीं है। हालांकि रामकिशुन यादव के समर्थकों में भी इस बात का आक्रोश है पूर्व सांसद लगातार पद पर रहें या ना रहें लेकिन जनता के बीच में रहते हैं और उनके साथ सभी जाति वर्ग के लोग जुड़े हुए हैं जिससे वह जहां भी चलते हैं उनके साथ कारवां जुट जाता है।
सपा को हो सकता है नुकसान
समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी द्वारा उनको नजर अंदाह करना महंगा पड़ सकता है। उन्होंने यहां तक कह दिया कि मुगलसराय विधानसभा से बहुत कम लोग गए थे। उसमें बाहरी लोग ज्यादा थे। मुगलसराय विधानसभा में जहां रामकिशुन यादव का दबदबा है उनके समर्थक उनके लिए कुछ भी करने के लिए तैयार रहते हैं। वहीं सांसद रहते हुए पांचो विधानसभा में उनके समर्थक हैं। इसलिए समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को पूर्व सांसद रामकिशन को नजर अंदाज करना भारी पड़ सकता है।
प्रत्याशी बदलने पर हुई थी हार
यही नहीं 2019 के चुनाव में पूर्व प्रत्यासी राम किशुन यादव को प्रत्याशी नहीं बनाया जाना सपा के लिए एक जीती हुई सीट भी हर में बदल गई। भाजपा के वर्तमान सांसद डॉ महेंद्र नाथ पांडे लगभग 14000 वोटो से विजई हुए थे, जिसमें यह माना जाता है कि रामकिशुन यादव के कार्यकर्ताओं के आक्रोश के कारण जहां भाजपा की जीत हुई वहीं सपा बसपा के गठबंधन प्रत्याशी संजय चौहान की हर हो गई। पूर्व सांसद को सपा बसपा के गठबंधन में नजर अंदाज करना भारी पड़ गया तो इस बार बसपा अलग लड़ रही है। शायद 2024 के चुनाव में भी पूर्व सांसद की नाराजगी और उनके समर्थकों का आक्रोश समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी पर भारी पड़ सकता है।