UP Politics: चंद्रशेखर की जीत ने प्रमुख विपक्षी दलों के साथ सत्ता पक्ष की भी चिंता बढ़ाई
UP Politics: बसपा का हाल यह है कि पार्टी का ना विधानसभा में कोई सदस्य है और ना ही लोकसभा में। बसपा की चिंता की सबसे बड़ी वजह नगीना (सुरक्षित) लोकसभा चुनाव परिणाम है, जहां चंद्रशेखर आज़ाद ने भारतीय जनता पार्टी के ओम कुमार को डेढ़ लाख से भी ज़्यादा वोटों से हराकर जीत हासिल की है।
UP Politics: उत्तर प्रदेश की नगीना सीट से नवनिर्वाचित सांसद और आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) के संस्थापक चंद्रशेखर आज़ाद ने बीएसपी ही नहीं बल्कि सपा,कांग्रेस के साथ ही सत्धारी बीजेपी की भी बेचैनी बढा दी है। बीएसपी के ओहदेदारों ने हाईकमान को साफ कह दिया है कि अब पार्टी को आक्रामक छवि दिखानी होगी, नहीं तो 2024 वाला हश्र 2027 में भी होना तय है। वहीं सपा, कांग्रेस और बीजेपी भी चंद्रशेखर आज़ाद की लोकसभा चुनाव में जीत के बाद कम बैचेन नहीं है।
डेढ़ लाख मतों से जीते हैं चंद्रशेखर आज़ाद
दरअसल, यूपी में तीन दशक से बसपा के साथ खड़ा दलित वोट बैंक जिस तरह छिटक रहा है और उस पर सपा, कांग्रेस और बीजेपी की कब्जेदारी की शुरु हुई लड़ाई के बीच पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 36 साल के दलित नेता चंद्रशेखर आज़ाद ने उत्तर प्रदेश की नगीना (सुरक्षित) सीट पर भारतीय जनता पार्टी के ओम कुमार को डेढ़ लाख से भी ज़्यादा वोटों से हराकर जीत हासिल की है। उसने दलित वोटरों को अपने पाले में लाने की कोशिशों में जुटी इंडिया गठबंधन और एनडीए के नेताओं की परेशानी बढ़ा दी है। जाहिर है कि 2027 के चुनाव में चंद्रशेखर आज़ाद को पहले की तरह नजरअंदाज करना प्रमुख विपक्षी दलों खासकर कांग्रेस के लिए आसान नहीं होगा।
दलित राजनीति में चन्द्रशेखऱ के उभार से कांग्रेस की दलितों को अपने पाले में लाने की मुहिम को धक्का लगा है। बता दें कि इस बार के चुनाव में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पार्टी लाइन से हटकर अपने कोर वोटबैंक रहे अगड़ों की परवाह किए बिना पिछड़ा और दलित कार्ड खेला था। नतीजा निकला कि पार्टी का वोट प्रतिशत भी बढ़ा और प्रदर्शन में सुधार देखने को मिला। बीएसपी की बात करें तो उसके लिए तो चन्द्रशेखऱ बहुत बड़ा खतरा बन गए लगते हैं। उत्तर प्रदेश में सत्ता तक पहुंची और राजनीति का केंद्र रही बहुजन समाज पार्टी अपने सबसे बुरे दौर में वैसे ही है। चन्द्रशेखऱ के उभार ने बीएसपी की चिंता और बढ़ा दी है।
बसपा का हाल यह है कि पार्टी का ना विधानसभा में कोई सदस्य है और ना ही लोकसभा में। बसपा की चिंता की सबसे बड़ी वजह नगीना (सुरक्षित) लोकसभा चुनाव परिणाम है, जहां चंद्रशेखर आज़ाद ने भारतीय जनता पार्टी के ओम कुमार को डेढ़ लाख से भी ज़्यादा वोटों से हराकर जीत हासिल की है। इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के उम्मीदवार सुरेन्द्र पाल सिंह चौथे नंबर पर रहे, जिन्हें महज़ 13 हज़ार वोट ही मिले। ये अहम है क्योंकि साल 2019 में बसपा प्रत्याशी गिरीश चंद्र ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी। चंद्रशेखर बातचीत में बसपा पर सीधा हमला तो नहीं करते लेकिन कहते हैं, जिस सीट पर मैंने चुनाव लड़ा है, वहां बसपा को एक प्रतिशत के क़रीब वोट मिला है, ये बताता है कि समाज अब हमें आगे बढ़ाना चाहता है।
चन्द्रशेखर को लेकर बीजेपी भी कम परेशान नहीं है। दरअसल, पिछले कुछ चुनावो में दलित मतदाताओं का बसपा और उसकी सुप्रीमो मायावती से मोहभंग होने के बाद दलित बीजेपी पाले में जाता दिख रहा था, लेकिन इस बार के चुनाव में इंडिया गठबंधन को 43 सीटें हासिल हुई हैं जबकि पिछले चुनावों में 62 सीटें जीतने वाली भाजपा 33 सीटों पर सिमट गई है। इस बार दलित मतदाता बड़ी तादाद में इंडिया गठबंधन की तरफ आए हैं। इसकी एक वजह चन्द्रशेखर को भी माना जा रहा है। जैसा कि चंद्रशेखर ये दावा करते हैं कि यदि उनकी पार्टी सभी सीटों पर लड़ती तो इंडिया गठबंधन उत्तर प्रदेश में इतनी सीटें नहीं जीत पाता। गौरतलब है कि चंद्रशेखर की आज़ाद समाज पार्टी ने उत्तर प्रदेश की सिर्फ़ दो सीटों नगीना और डुमरियागंज सीटों पर चुनाव लड़ा है।