मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना को धरातल पर उतारने की तैयारी, शर्तों का मसौदा हुआ तय

उप्र मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना को कैबिनेट से मंजूरी मिलने के साथ ही उसे धरातल पर उतारने की तैयारी शुरू हो गई है।

Reporter :  Shreedhar Agnihotri
Published By :  Raghvendra Prasad Mishra
Update:2021-06-02 22:00 IST

अनाथ बच्चों से संबंधित सांकेतिक तस्वीर (फोटो साभार-सोशल मीडिया)

लखनऊः कोविड काल में अपने माता-पिता या दोनों में से किसी एक को खोने वाले बच्चों के जीवन को संवारने के लिए तैयार उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना को कैबिनेट से मंजूरी मिलने के साथ ही उसे धरातल पर उतारने में महिला एवं बाल विकास विभाग पूरी मुस्तैदी से जुट गया है। इसके तहत चिन्हित बच्चों की लिस्टिंग समेत पात्रता की शर्तों और जिलों में योजना को अमलीजामा पहनाने वाले अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय कर दी गयी है। इस तत्परता का मूल उद्देश्य परेशान बच्चों को तत्काल मदद पहुंचाना और उनको गलत हाथों में जाने से बचाना है। इस योजना के तहत अनाथ हुए बच्चों के भरण, पोषण, शिक्षा, चिकित्सा आदि की व्यवस्था का पूरा ध्यान रखा गया है।

पात्रता की शतें

उप्र मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना से जिन बच्चों को लाभान्वित किया जाना है, उनकी श्रेणी तय कर दी गयी है-

- योजना में शून्य से 18 साल के ऐसे बच्चे शामिल किये जायेंगे, जिनके माता-पिता दोनों की मृत्यु कोविड काल में हो गयी हो।

- माता-पिता में से एक की मृत्यु 1 मार्च, 2020 से पहले हो गयी थी और दूसरे की मृत्यु कोविड काल में हो गयी अथवा दोनों की मौत 1 मार्च, 2020 से पहले हो गयी थी और वैध संरक्षक की मृत्यु कोविड काल में हो गयी।

- इसके अलावा शून्य से 18 साल के ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता में से किसी एक की मृत्यु कोविड काल में हो गयी हो और वह परिवार का मुख्य कर्ता हो और वर्तमान में जीवित माता या पिता सहित परिवार की आय दो लाख रुपये प्रतिवर्ष से अधिक न हो, को भी योजना में शामिल किया गया है।

- लाभार्थी अनिवार्य रूप से उत्तर प्रदेश का मूल निवासी हो।

- एक परिवार के सभी (जैविक तथा कानूनी रूप से गोद लिए गए) बच्चों को योजना का लाभ मिल सकेगा।

कोविड से मृत्यु के साक्ष्य के लिए एंटीजन या आरटी-पीसीआर की पॉजिटिव टेस्ट रिपोर्ट, ब्लड रिपोर्ट या सीटी स्कैन में कोविड-19 का इन्फेक्शन होना माना जा सकता है। इसके अलावा कोविड मरीज की विभिन्न परिस्थितियों में टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी पोस्ट कोविड जटिलताओं के चलते मृत्यु हो सकती है। यह मृत्यु भी कोविड की वजह से ही मानी जायेगी।

योजना के तहत मिलने वाला लाभ

योजना की श्रेणी में आने वाले शून्य से 10 साल के बच्चों के वैध संरक्षक के बैंक खाते में 4000 रुपये प्रतिमाह दिए जाएंगे। इसके साथ शर्त यह होगी कि औपचारिक शिक्षा के लिए बच्चे का पंजीयन किसी मान्यता प्राप्त विद्यालय में कराया गया हो, समय से टीकाकरण कराया गया हो और बच्चे के स्वास्थ्य व पोषण का पूरा ध्यान रखा जा रहा हो।

- इसके अलावा जो बच्चे पूरी तरह अनाथ हो गए हों और बाल कल्याण समिति के आदेश से विभाग के तहत संचालित बाल्य देखभाल संस्थाओं में आवासित कराये गए हों, उनको कक्षा छह से 12 तक की शिक्षा के लिए अटल आवासीय विद्यालयों व कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में प्रवेशित कराया जाएगा।

- 11 से 18 साल के बच्चों की कक्षा-12 तक की मुफ्त शिक्षा के लिए अटल आवासीय विद्यालयों तथा कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में भी प्रवेश कराया जा सकेगा। ऐसे वैध संरक्षक को विद्यालयों की तीन माह की अवकाश अवधि के लिए बच्चे की देखभाल हेतु प्रतिमाह 4000 की दर से 12000 रुपये प्रतिवर्ष खाते में दिए जायेंगे। यह राशि कक्षा-12 तक या 18 साल की उम्र जो भी पहले पूर्ण होने तक दी जायेगी।

- यदि बच्चे के संरक्षक इन विद्यालयों में प्रवेश नहीं दिलाना चाहते हों तो बच्चों की देखरेख और पढ़ाई के लिए उनको 18 साल का होने तक या कक्षा-12 की शिक्षा पूरी होने तक 4000 रुपये की धनराशि दी जायेगी बशर्ते बच्चे का किसी मान्यता प्राप्त विद्यालय में प्रवेश दिलाया गया हो।

- योजना के तहत चिन्हित बालिकाओं के शादी के योग्य होने पर शादी के लिए एक लाख एक हजार रुपये दिए जायेंगे।

- श्रेणी में आने वाले कक्षा-9 या इससे ऊपर की कक्षा में अथवा व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त कर रहे 18 साल तक के बच्चों को टैबलेट/लैपटॉप की सुविधा दी जाएगी। ऐसे बच्चों की चल-अचल संपत्तियों की सुरक्षा के प्रबंध होंगे।

- वैध संरक्षक का चिन्हांकन जनपद स्तरीय टास्क फोर्स करेगी और जिला बाल संरक्षण इकाई व बाल कल्याण समिति भी इन बच्चों के समुचित विकास पर नजर रखेगी।

क्या होगी आवेदन प्रक्रिया

- जिला बाल संरक्षण इकाई व बाल कल्याण समिति द्वारा चिन्हांकन के 15 दिन के भीतर आवेदन प्रक्रिया पूर्ण कराई जायेगी

- निर्धारित प्रारूप पूर्ण रूप से भरकर ऑफलाइन तरीके से ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम विकास/पंचायत अधिकारी या विकास खंड या जिला प्रोबेशन अधिकारी कार्यालय पर जमा करना होगा। शहरी क्षेत्रों में लेखपाल या तहसील या जिला प्रोबेशन अधिकारी कार्यालय में जमा किये जा सकते हैं।

- माता-पिता माता या पिता की मृत्यु से दो वर्ष के भीतर आवेदन तथा अनुमोदन की तिथि से लाभ अनुमन्य होगा।

जरूरी दस्तावेज

-बच्चे एवं अभिभावक की नवीनतम फोटो सहित पूर्ण आवेदन

- माता-पिता दोनों जैसी भी स्थिति हो का मृत्यु प्रमाण पत्र

- कोविड-19 से मृत्यु का साक्ष्य

- आय प्रमाण पत्र (माता-पिता दोनों की मृत्यु की स्थिति में जरूरी नहीं)

- बच्चे का आयु प्रमाण पत्र

- शिक्षण संस्थान में पंजीयन का प्रमाण पत्र

- उत्तर प्रदेश का निवासी होने का घोषणा पत्र

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