मुख्य सचिव के चिठ्ठी बम के बाद उठी पुलिस कमिश्नरी सिस्टम की मांग

चीफ सेक्रेटरी राजीव कुमार के ताज़ा आदेश क्राइम मीटिंग, क़ानून व्यवस्था और कोतवालों / थानेदारों की पोस्टिंग का अधिकार डीएम को देते हुए उन के अधिकार बढ़ा

Update: 2017-12-11 16:14 GMT

लखनऊ:चीफ सेक्रेटरी राजीव कुमार के ताज़ा आदेश क्राइम मीटिंग, क़ानून व्यवस्था और कोतवालों / थानेदारों की पोस्टिंग का अधिकार डीएम को देते हुए उन के अधिकार बढ़ाने को लेकर चिठ्ठी लिखे जाने के बाद एक बार फिर से यूपी में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू किए जाने की मांग उठने लगी है।

2009 में मायावती शासन काल से लेकर अखिलेश यादव राज और अब योगी राज में कमिश्नरी सिस्टम की बात शुरू तो हुई लेकिन ठन्डे बस्ते में चली गई। चीफ सेक्रेटरी की चिठ्ठी के बाद अब रिटायर्ड अफसर पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू किए जाने की मांग उठा रहे हैं।

यूपी में आईपीएस अधिकारियों के अधिकार में और कटौती किए जाने के साथ जिलाधिकारियों को अधिक अधिकार दिए जाने की चिठ्ठी से आईपीएस अफसरों में खासा रोष है। रिटायर्ड अफसरों ने इसे पुलिस का मनोबल तोड़ने वाला फैसला बताते हुए विरोध शुरू कर दिया है। दरअसल यह अफसर अब यूपी में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू कराना चाहते हैं। लेकिन इस पर अमल नहीं हो पा रहा है।

मायावती राज में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम की तरफ बढे क़दम रुके

यूपी में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू करने के लिए मायवाती शासनकाल में कार्ययोजना तैयार की गई थी इस के शुरुआत में न बड़े ज़िलों में डीआईजी रैंक के अफसर को पोस्ट किया गया था। ज़ोन सिस्टम खत्म कर रेंज में आईजी रैंक के अफसर को पोस्ट कर दिया गया था। यूपी पुलिस के मुखिया रहे ए के जैन कहते हैं, कि आईएएस अफसरों ने पुलिस कमिश्नरी सिस्टम में पेंच फंसा दिया जिस की वजह से यह सिस्टम लागू नहीं हो सका। वह कहते हैं यह अधिकार और अहम की लड़ाई है।

योगी राज में भी कोशिश नहीं चढ़ सकी परवान

यूपी में योगी आदित्यनाथ सरकार के गठन के बाद भी कमिश्नरी सिस्टम को लागू करने की क़वायद ज़ोर शोर से शुरू हुई। लखनऊ, मेरठ, वाराणसी, कानपुर, आगरा और इलाहाबाद जैसे 10 बड़े ज़िलों में कमिश्नरी सिस्टम को प्रयोग के तौर पर शुरू करने पर सहमति बनने से पहले ही आईएएस अफसरों ने नया प्लान पेश कर दिया। जोन में एडीजी, ज़ोन मुख्यालय के रेंज में आईजी जबकि रेंज मुख्यालय में डीआईजी रैंक के अफसर को पोस्ट करने का निर्णय ले लिया। जिस के बाद गोरखपुर जोन को छोड़ सभी ज़ोन में एडीजी रैंक के अफसर पोस्ट कर दिया गया।

कमिश्नरी सिस्टम लागू हुआ तो पुलिस को मिलेगा और अधिकार

दरअसल यूपी में पुलिस के आला अधिकारी जहां पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू करने के पक्ष में हैं। तो वहीं आईएएस अधिकारी इस के विरोध में हैं। कमिश्नरी सिस्टम लागू होने से शस्त्र लाइसेंस जारी करने का अधिकार डीएम से वापस लेकर पुलिस कमिश्नर को दे दिया जाएगा। शराब के ठेके से लेकर ला एन्ड आर्डर से जुड़े सारे अधिकार पुलिस कमिश्नर के पास होंगे। जबकि सिर्फ रेवेन्यू से सम्बंधित कार्य जिलाधिकारी के पास रह जाएंगे। इन्ही अधिकारों को लेकर ही सारा विवाद है।

प्रदेश में अकेला ज़ोन गोरखपुर जहां आईजी ज़ोन है तैनात

यूपी सरकार ने ज़ोन में एडीजी रैंक के अफसर को पोस्ट करने का निर्णय लिया था। जिस के अभय कुमार प्रसाद को एडीजी ज़ोन लखनऊ, प्रशान्त कुमार को एडीजी ज़ोन मेरठ, बृजराज मीणा को एडीजी बरेली जोन, सत्य नारायण साबस्त को एडीजी इलाहाबाद, अविनाश चंद्रा को एडीजी जोन कानपुर, अजय आनन्द को एडीजी जोन आगरा और विश्वजीत महापात्रा को एडीजी ज़ोन वाराणसी बनाया गया। लेकिन गोरखपुर ज़ोन यूपी में बने नियमों से परे हैं यहां आज भी मोहित अग्रवाल आईजी जोन के तौर पर तैनात हैं। यही नहीं लखनऊ, कानपुर, मेरठ, बरेली, इलाहाबाद, आगरा और वाराणसी के ज़ोन मुख्यालय के रेंज में आईजी को तैनात किया गया है। लेकिन गोरखपुर ज़ोन मुख्यालय पर नीलाब्जा चौधरी डीआईजी के तौर पर पोस्ट हैं।

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