बच्चों को टीका नहीं: अभिभावक हुए निराश, बिगड़ रहा बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य
अभिभावकों का मानना है कि वैज्ञानिकों को कोरोना टीका बच्चों के लिए भी तैयार करना चाहिए। घर में बंद रहने से बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ रहा है। हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि बच्चों को खतरा कम है इसलिए उन्हें बाद में टीका लगाया जा सकता है।
लखनऊ। कोरोना का टीका आने वाले कई महीनों तक बच्चों को नहीं मिल पाएगा। इससे अभिभावकों में काफी निराशा है। अभिभावकों का मानना है कि वैज्ञानिकों को कोरोना टीका बच्चों के लिए भी तैयार करना चाहिए। घर में बंद रहने से बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ रहा है। हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि बच्चों को खतरा कम है इसलिए उन्हें बाद में टीका लगाया जा सकता है।
इस मुद्दे पर जब 'न्यूज़ट्रैक' के फोटो जर्नलिस्ट आशुतोष त्रिपाठी ने शहर के कई लोगों से बात की तो उन्होंने अपने विचार व्यक्त किये-
लखनऊ के गोमतीनगर के निवासी सुधांशु कुमार ने कहा- जहां तक मेरी जानकारी है आज तक जितनी बार भी टीकाकरण हुए हैं तो सबसे पहले प्राथमिकता बच्चों को दी गयी है, क्योंकि आने वाली भावी पीढ़ी बच्चे होते हैं, खसरे का टीका, पोलियो का टीके का उदहारण ले सकते हैं मुझे लगता है सरकार को पहले बच्चों के टीकाकरण पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि बच्चों के घर बैठे होने से उनकी पढ़ाई और उनका भविष्य अधर में लटका हुआ है।
सरकार को उसके लिए सभी वर्गों के लिए सोचना चाहिए
ऐशबाग से नईम अंसारी कहते हैं कि कोरोना वैक्सीन आ रही है, लेकिन सरकार को उसके लिए सभी वर्गों के लिए सोचना चाहिए चाहे वह एडल्ट हो चाहे बच्चे, बच्चों के लिए पहल इसलिए करनी चाहिए क्योंकि बच्चों की मानसिक स्थिति डिवेलप हो रही है और वह काफी महीनों से घर पर बैठे हैं, जिसका उनपर काफी अलग पर असर पड़ रहा है, बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं, खेल नहीं पा रहे हैं, घर में बैठे-बैठे उनका मानसिक विकास रुक सा गया है साथ ही उनके स्वभाव में कुछ बदलाव आ रहा है, ऐसे में सरकार को चाहिए कि बच्चों के लिए भी टीकाकरण का बंदोबस्त जल्द से जल्द करें।
ये भी देखें: एक विवाह आरती-अवधेश का: देश के लिए बना मिसाल, इलाज के खर्च से जूझ रहा जोड़ा
लखनऊ स्थित पीजीआई में कार्यरत रितेश यादव
लखनऊ स्थित पीजीआई में कार्यरत रितेश यादव का कहना है कि "कोरोना वैक्सीन के टीके का सर्वप्रथम लगना तो स्वास्थ्य कर्मियों के लिए बनता है, लेकिन उसके साथ-साथ बच्चों के लिये भी टीके की बहुत अति आवश्यक हैं क्योंकि बच्चे करीब 9 महीने से स्कूल नहीं जा पा रहे है घर में रहते-रहते बच्चो पर मानसिक दबाव बन रहा है।
सरकार पहले बच्चों के लिए टीकाकरण की व्यवस्था करे
आलोक मिश्रा ने कहा कि "सरकार को चाहिए कि सबसे पहले बच्चों के लिए टीकाकरण की व्यवस्था करे, क्योंकि अगर आप मुझसे सवाल करेंगे की मेरे लिए ज़्यादा ज़रूरी कौन है बच्चा या कोई और। तो मेरा जवाब होगा मेरा बच्चा। और इसके साथ-साथ दूसरी वजह यह है कि 9 महीनों से बच्चा लगातार घर ओर रह रहा है जिससे उसके स्वभाव में काफ़ी परिवर्तन आ गया है, वो काफ़ी चिड़चिड़े हो रहे हैं। स्कूल जाने से उनका मानसिक विकास होता रहता है लेकिन अभी उसने एक रुकाव आ गया है तो सरकार को चाहिए कि बच्चों के। टीकाकरण की भी समुचित व्यवस्था करायें क्योंकि बच्चे ही देश का भविष्य है।"
ये भी देखें: सोनिया का संसदीय क्षेत्र बना राजनैतिक अखाड़ा, अब इस बात पर भड़कीं अदिति सिंह
बच्चों के लिए टीक़े आने में अभी समय है
डॉक्टर मनोज ने अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि "कोरोना के टीके जल्द ही देश आ जाएँगे और ये टीके वयस्कों के लिए बनाए गए हैं, बच्चों के लिए टीक़े आने में अभी समय है और अगर हम आकड़ों की बात करें तो बच्चों का डेथ रेट बाक़ी लोगों की तुलना में काफ़ी कम है, इसलिए टीके की ज़्यादा ज़रूरत वयस्क और कोरोना वारियर को है। रिसर्च कर्ता बच्चों के टीके पर लगातार काम कर रहे हैं जल्द ही वो भी उपलब्ध हो जाएगा।"
दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।