Chitrakoot News: एक ऐसा वृक्ष जिसकी पूजा से मिलता है औलाद का सुख

Chitrakoot News: संतान सुख की प्राप्ति के लिए चित्रकूट में एक ऐसा ही एक चमत्कार है संतान 'दायनी वृक्ष'।

Newstrack :  Zioul Haq
Published By :  Chitra Singh
Update:2021-06-20 15:53 IST

वट वृक्ष

चित्रकूट: दुनिया के सबसे बड़े सुख औलाद के सुख के बिना दुनिया की हर नियामत छोटी लगती है। इसके बिना एक परिवार पूरा नहीं होता वंश पूरा नहीं होता, जिस सुख की प्राप्ति के लिए चमत्कारिक धरती प्रभु श्रीराम की तपोस्थली चित्रकूट में एक ऐसा ही एक चमत्कार है संतान 'दायनी वृक्ष' (Dayani Vriksha)। जो पुत्र का वरदान देकर सूनी गोद में किलकारियां भर देता है। यहां संतान की चाह रखने वाले जोड़ो का मेला लगता है।

चित्रकूट का प्रमोद वन जहा प्रभु राम ने आमोद प्रमोद के साढ़े ग्यारह वर्ष बिताये है, उसी जगह पर स्थित है- पुत्र दायनी वृक्ष। यहाँ दूर -दूर से संतान से निराश लोग आते है और यहां आकर इस वृक्ष की पूजा अर्चना करते है। उसके बाद पुजारी उन्हें इस वृक्ष की पत्तियां देते है जिसके बाद उन्हें संतान की प्राप्ति होती है। इस तरह के सैकड़ों जोड़े यहां हर रोज आते है।

सतना से आये हुए राज किशोर और संगीता दोनों को ग्यारह वर्ष शादी के हो गए, लेकिन अभी तक बच्चा नहीं हुआ सब जगह से थक हार कर अब वो इस वृक्ष की शरण में आये है और उन्हें पूरी उम्मीद है कि उनकी मनोकामना जरूर पूरी होगी।

प्रभु का चमत्कार या वृक्ष की जड़ी का कमाल

इस वट वृक्ष में संतान की चाह रखने वाले ही लोग आते है, यहां आने वाले ज्यादातर लोगों की चाह होती है कि उन्हें बेटा ही मिले। इसके लिए खास तौर पर लोग यहाँ आते है। ये प्रभु का चमत्कार है या फिर इस वृक्ष की ही कोई ऐसी जड़ी है, जिससे सूनी गोद हरी हो जाती है। मध्य प्रदेश के अमरपाटन के रमाकांत गर्ग भी इस वृक्ष में अपार आस्था रखते है। उनका कहना है कि उनकी जिन्दगी में भी कभी अंधेरा हुआ करता था, 20 साल तक मेरी कोई संतान नहीं थी। जिससे निसंतान (childless) महिला का समाज में जीना दूभर हो जाता है। यही हाल मेरे घर में भी था। मैंने सब जगह इलाज कराया, लेकिन फिर भी मुझे कोई फायदा नहीं हुआ। अंत में मैंने इस वृक्ष के बारे में सुना और मै यहाँ आया। उसके बाद तो मानो करिश्मा ही हो गया। मुझे एक पुत्री की प्राप्ति हुई, तब से हर साल मै यहाँ जरूर आता हूं।

पुत्र दायनी वृक्ष का इतिहास (Putra Dayani Vriksha Ki History)

यहां के पुजारी इस करामाती वृक्ष के पीछे की कहानी बताते है, कहा जाता है कि यहां कभी रीवा नरेश का राज्य हुआ करता था, लेकिन उनके कोई संतान नहीं थी। जब वो बहुत परेशान हो गए तब किसी ब्राह्मण ने बताया कि हिमालय में एक वृक्ष है, उसे अगर यहां लाया जाए और 365 ब्राम्हण यहां इसका मंत्रोचार के साथ पूजन करें, तो आपको पुत्र की प्राप्ति जरूर होगी। रीवा नरेश ने हिमालय जाकर इस वृक्ष को यहां लाये और फिर इसका पूजन करके इसे यहां प्रतिस्थापित किया गया। जिससे उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई, तबसे ये वृक्ष पुत्र दायनी वृक्ष (Putra Dayani Vriksha) के रूप में विख्यात है।

पुजारी बताते है कि मंत्रो से इस वृक्ष में इतनी ताकत आ गयी है कि यहाँ पुत्र की प्राप्ति अवश्य होती है। साथ ही पुजारी ये बताते है है की यहाँ पुत्र और पुत्री की प्राप्ति के लिए अलग -अलग तरह की पत्तियां दी जाती है। पुत्रदायनी वृक्ष के पीछे चाहे वजह कोई चिकित्सकीय हो या फिर कोई चमत्कार, लेकिन लोग इस पर अपनी अपार आस्था रखते है और उनका अटल विश्वास है कि जो कोई भी सूनी गोद लेकर यहाँ आता है, उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है।

500 साल पुराना है ये वट वृक्ष

आपको बता दें यह वट वृक्ष (Banyan Tree) लगभग 500 साल पुराना है। मान्यता है कि इसकी पूजा करने से सभी कामनाओं के पूरे होने के साथ ही संतान प्राप्ति भी होती है। 500 साल पहले इस पेड़ को राजा इंद्रजीत सिंह द्वारा हिंदू धर्म के चार धामों में से एक बद्रीनाथ से लाया गया था। राजा के संतान हुई इसके बाद से पेड़ को चमत्कारिक माना जाने लगा और आज भी लोग इस वृक्ष की पूजा करके संतान सुख पाते चले आ रहे है। और इसमें खास बात यह है कि पिछले 500 सालों से इस वृक्ष की पत्तियां कभी सूखी नहीं हैं और न ही इसकी पत्तियां कभी झड़ती हैं।

यह वट वृक्ष भगवान राम की नगरी चित्रकूट के प्रमोद वन में लगा है। यह वृक्ष लगभग 500 साल पुराना है। पुत्र की प्राप्ति के लिए इस वृक्ष की शरण में जाने से मनचाही कामना पूरी होती है। पुत्र की कामना लेकर दूर-दराज इलाके से महिलाएं कल्प वृक्ष की पूजा करने आती हैं। मान्यता है कि विधि-विधान से पूजा अर्चना करने से निश्चित ही बेटे की प्राप्ति होती है। महिलाओं द्वारा 21 दिनों तक गाय के शुद्ध दूध में कल्प वृक्ष की पत्तियां मिलाकर खाए जाने से उन्हें पुत्र प्राप्त होता है। इस वृक्ष की देखभाल करने वाले स्वामी बताते हैं कि वृक्ष का चमत्कार कई बार देखा जा चुका है। यह मामूली वृक्ष नहीं है। वट वृक्ष हर जगह देखने को मिलता। पुराणों में भी इस वृक्ष का जिक्र है। कहा जाता है कि पृथ्वी के दुख हरने के लिए इस वृक्ष को स्वर्ग से लाया गया था। हजारों साल पहले एक ऋषि द्वारा घोर तपस्या करने के बाद यह वृक्ष स्वर्ग से धरती पर ईश्वर ने खुद उतारा था। इस पेड़ को भगवान तुल्य माना जाता है।

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