Chitrakoot News: धर्मनगरी के मंदाकिनी तट पर सजा गधा बाजार, बिकने को आए सलमान, शाहरुख, रणवीर और ऋतिक रोशन
Chitrakoot News: मंदाकिनी नदी के किनारे सलमान, शाहरुख, रणबीर और ऋतिक नाम से गधा आए हैं। इनके चारों तरफ दर्शकों की भीड़ लगी है।
Chitrakoot Mela: श्री राम की तपोभूमि धर्म नगरी चित्रकूट में दीपावली के दूसरे दिन मंदाकिनी तट पर लगने वाला गधा बाजार सज गया है। यहां पर फिल्मी दुनिया के नाम से सजे गधे बिकने के लिए आ गए हैं। जिनको खरीदने वाले व्यापारी देश के कोने-कोने से पहुंच चुके हैं। करीब 5000 की संख्या में अब तक गधा इस बाजार में आ गए हैं।
मंदाकिनी नदी के किनारे सलमान, शाहरुख, रणबीर और ऋतिक नाम से गधा आए हैं। इनके चारों तरफ दर्शकों की भीड़ लगी है। यहां पर करीब 300 साल पुराने इस मेले का आयोजन लगातार हर साल हो रहा है। औरंगजेब शासनकाल से चली आ रही परंपरा चली आ रही है। चित्रकूट में गधा मेले की परंपरा मुगल काल से चली आ रही है। इस पेंटिंग में औरंगजेब की सेना को दिखाया गया है।
कई वर्षों से आ रहे व्यापारी
बिहार के पशु व्यापारी मो. दिलशाद बीते 15 साल से मेले में जानवरों को बेचते रहे हैं। दिलशाद कहते हैं, "ये गधा मेला 300 साल पुराना है और औरंगजेब के समय से लगता है। ऐसी मान्यता है कि औरंगजेब के करीबियों के पास जब घोड़ों की कमी होने लगी तो उसने अफगानिस्तान से बिकने के लिए अच्छी नस्ल के खच्चर और गधे मंगवाए थे। उनकी खरीदी इसी चित्रकूट की बाजार से हुई थी। मुगल बादशाह ने अपनी सेना के बेड़े में भी इन्हें शामिल किया।" दिलशाद मेले में 7 पशुओं को लेकर आए हैं। इनमें सबसे महंगा गधा सलमान है, जिसकी कीमत 1.5 लाख है।
खास वजह से दिया जाता फिल्म स्टार का नाम
मेले में आने वाले जानवरों के चारे का इंतजाम मेला कमेटी करती है। मंदाकिनी तट पर हर साल लगने वाले इस मेले में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और बिहार के पशु व्यापारी शामिल होते हैं। वहीं, इन जानवरों के खरीदार देशभर से आते हैं। यहां पहुंचे व्यापारियों ने बताया कि यहां गधों की पहचान फिल्मी कलाकारों के नाम से होती है। मेले में आने वाले व्यापारियों का मानना है कि बॉलीवुड कलाकारों का नाम देने से गधों की बिक्री बढ़ जाती है।
प्रशासन को मिलता अच्छा खासा राजस्व
एमपी के चित्रकूट प्रशासन को इस मेले से हर साल लाखों रुपए का राजस्व मिलता है। चित्रकूट में धनतेरस से दूज तक दीपदान उत्सव मनाया जाता है। इस बार इस उत्सव में शामिल होने के लिए पूरे देश 30 लाख श्रृद्धालु चित्रकूट पहुंचे हैं। दीपावली के बाद जमघट के दिन ‘गधा-मेला’ लगता है। मेला आयोजन समिति के सदस्य रमेश कुमार पांडे ने बताया, “हर साल मंदाकिनी किनारे लगने वाले इस खास मेले में 5 हजार गधे इकट्ठा होते हैं। यहां जिनती भीड़ इनके खरीददारों की होती है, उससे दोगुना लोग इन्हें देखने आते हैं। मेले की व्यवस्था का जिम्मा नगर पंचायत उठाती है। मेला एमपी-यूपी बॉर्डर पर लगता है, इसका फायदा दोनों राज्यों को मिलता है।”