Chitrakoot News: जंगलों को वन माफिया पहुंचा रहे क्षति, टाइगर रिजर्व को खतरा
Chitrakoot News: रानीपुर टाईगर रिजर्व क्षेत्र के जिन दुर्गम व घनघोर जंगलों में वन्यजीवों का बसेरा बनाने के लिए सरकार करोडों की धनराशि खर्च कर काम करवा रही है।
Chitrakoot News: रानीपुर टाईगर रिजर्व क्षेत्र के जिन दुर्गम व घनघोर जंगलों में वन्यजीवों का बसेरा बनाने के लिए सरकार करोडों की धनराशि खर्च कर काम करवा रही है। उन जंगलों को जिम्मेदारों की मिलीभगत से सफाया करने में भी लोग जुटे है। मारकुंडी इलाके के जंगलों में रात-दिन हरे-भरे पेडों पर कुल्हाड़ा चटक रहा है और कीमती पेडों की लकडियां लोडरों में लादकर सीधे एमपी के रास्ते निकाली जा रही है। पाठा के जंगलों में शीशम, खैर, बिजहरा, बांसा, सादन आदि कीमती लकडियों के पेड है।
विभागीय कर्मचारियों की मिलीभगत से इन कीमती पेडों का कटान बेधड़क हो रहा है। मारकुंड रेंज द्वितीय क्षेत्र में आने वाले ददरी, लखनपुर, पचपेड़ा, रूख्मा, जमुनिहा, टिकरिया, छेरिहा, भेड़ा आदि आरक्षित वन क्षेत्र है। इनमें बेशकीमती पेड़ों के साथ ही जड़ी-बूटियों का भंडार है। इसके अलावा इन जंगलों में गुलबाघ, रीछ, सांभर हिरण जैसे संरक्षित प्रजाति के वन्य जीव भी बसेरा बनाए हुए है। लेकिन जंगलों में हरे-भरे पेडों का कटान होने से इन वन्यजीवों का अस्तित्व खतरे में पड़ता नजर आने लगा है। खास बात यह है कि कर्मचारियों से मिलकर कीमती पेडों को कटवाने के बाद उनकी लकडियां लोडरों में लादकर रात के समय एमपी के रास्ते सतना की तरफ निकाली जा रही है। पूर्व में कई बार लकडियों से लदे लोडर पकड़े भी जा चुके है। फिर भी अवैध कटान वाला गैंग लगातार पाठा के जंगलों में सक्रिय है।
अवैध कब्जा कर वन भूमि में हो रही खेती
इस इलाके में पहाड़ से लेकर मैदानी इलाकों तक जंगल अतिक्रमण की जद में हैं। इस क्षेत्र में वन भूमि के उपजाऊ और मूल्यवान होने के कारण लोग वनकर्मियों की सांठगांठ से पहले जंगल के हरे-भरे वृक्षों की अवैध कटान कर उससे आमदनी उठाते है और फिर मैदान बन जाने पर अवैध कब्जा कर खेती करने लगते है। बताते हैं कि कई जगह ऐसे है, जहां पहले कभी प्लांटेशन तैयार कर पौधरोपण कराया गया था, लेकिन मौजूदा समय पर दबंग खेती कर रही है। इसमें वनकर्मियों को बाकायदा हिस्सा तक मिलता है।
जिम्मेदारों के सरकारी आवासों में न रहने से कर्मचारी बेलगाम
वैसे तो वन विभाग ने सभी जगह क्षेत्रीय रेंज कार्यालय परिसरों में रेंजर से लेकर अन्य कर्मचारियों के लिए सरकारी आवास बना रखे है, लेकिन इनमें गिने-चुने छोटे कर्मचारी ही रहते है। मारकुंडी रेंज कार्यालय में रेंजर समेत अन्य जिम्मेदारों के न रहने के कारण ही कर्मचारियों की मिलीभगत से वन संपदा को क्षति हो रही है। अधिकारी ज्यादातर तहसील व जिला मुख्यालय में बने आवासों पर रह रहे है। वह दो-चार सप्ताह में अपने कार्यक्षेत्र जाते है। ज्यादातर कार्य मुख्यालय में ही रहकर निपटाते है। इसी लापरवाही में शिकारियों का गैंग सक्रिय हैं।
रानीपुर टाईगर रिजर्व के उपनिदेशक पीके त्रिपाठी ने बताया कि जंगलों की सुरक्षा के लिए कर्मचारी प्रत्येक वीट पर लगे हुए है। कहीं से कटान संबंधी शिकायत अभी तक नहीं मिली है। समय-समय पर वह खुद पाठा क्षेत्र में भ्रमण कर जंगलों का निरीक्षण करते है। वन्यजीवों को बचाने के लिए शिकारियों पर नजर रखी जा रही है। अगर कहीं पर कटान में कोई कर्मचारी संलिप्त पाया गया तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।