Chitrakoot News: भूमाफियाओं के कब्जे से 27 साल बाद वापस हुई मरघट की जमीन, जानें क्या हैं मामला

Chitrakoot News: मरघट की जमीन को हथियाने के लिए दबंगों ने अभिलेखीय हेराफेरी कर अपना नाम दर्ज करा लिया। शिकायत होने पर मामला प्रशासन के संज्ञान में आया और इसकी छानबीन शुरु हुई।

Update: 2024-08-04 13:58 GMT

Symbolic Image (Pic: Social Media)

Chitrakoot News: मुख्यालय से सटे चकला राजरानी मौजा में हाईवे किनारे मरघट की जमीन बेशकीमती है। जिस पर दबंग भूमाफियाओं की नजरें काफी पहले से टिकी थी। मरघट की जमीन को हथियाने के लिए दबंगों ने अभिलेखीय हेराफेरी कर अपना नाम दर्ज करा लिया। शिकायत होने पर मामला प्रशासन के संज्ञान में आया और इसकी छानबीन शुरु हुई। बताते हैं कि डीएम ने हाईकोर्ट के पारित आदेश के तहत आपत्तिकर्ता के साक्ष्य व सुनवाई का मौके दिया था। जिस पर अपर एसडीएम पंकज वर्मा ने संबंधित जमीन को लेकर साक्ष्य देखें और आदेश पारित किया।

उन्होंने बताया कि प्रार्थना पत्र राजेश कुमार आदि 15 नवंबर 1997 व पूर्व क्षेत्रीय लेखपाल की आख्या 24 सितंबर 1997 को निरस्त कर दिया गया है। पक्षों को निर्देश दिए गए हैं कि वह सक्षम न्यायालय में सुसंगत धारा के तहत वाद योजित कर अपना स्वत्व निर्धारित कराएं। मूल वाद की पत्रावली दाखिल दफ्तर करने के आदेश दिए गए है। इसके साथ ही संबंधित जमीन को मरघट के खाते में दर्ज किया गया है। इस तरह अपर एसडीएम ने दबंगों के कब्जे से इस जमीन को वापस लेते हुए मरघट के नाम दर्ज करने का आदेश जारी किया। अब तहसील के अभिलेखों में फिर से बेशकीमती जमीन मरघट के खाते में आ गई है। खास बात यह है कि भूमाफियाओ ने सरकारी जमीनों में काफी हेराफेरी कर कब्जे कर रखे है। मरघट के हिस्से की जमीन पर कुछ अन्य लोगों ने भी निर्माण कर कब्जा जमा रखा है। लोगों का कहना है कि इस जमीन की मौके पर सही पैमाइश कराई जानी चाहिए, तभी पूरी जमीन वापस मिल पाएगी।

असरदारों ने राजस्वकर्मियों की मिलीभगत से किए अवैध कब्जे

मुख्यालय कर्वी व धर्मनगरी चित्रकूट के आसपास अभिलेखीय तौर पर काफी सरकारी जमीनें है। लेकिन मौके पर इन जमीनों में किसी न किसी असरदार ने कब्जा जमा रखा है। यह पूरा खेल राजस्वकर्मियों की मिलीभगत से हुआ है। प्रशासन को हर महीने अमावस्या मेला के दौरान पार्किंग स्थल के लिए जगह तलाशनी पड़ती है। अगर यही सरकारी जमीनें मौके पर खाली कराई जाएं तो प्रशासन की यह समस्या हल हो सकती है। बताते हैं कि असरदार लोगों ने दशकों पूर्व सरकारी अभिलेखो में हेराफेरी कराकर सरकारी जमीनों में अपना नाम दर्ज करा रखा है। जिसे अब वह अपनी बता रहे है।

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