Chitrakoot News: नगर पालिका अवैध तरीके से तुलसी स्मारक सभा के पट्टे की जमीन पर बना रही कार्यालय भवन

Chitrakoot News: भाजपा के जिला महामंत्री एवं तुलसी स्मारक सभा के सदस्य डॉ.अश्विनी अवस्थी ने सोमवार को डीएम शिवशरणप्पता जीएन से मुलाकात कर नगर पालिका भवन निर्माण के संबंध में शिकायती पत्र सौंपा।

Update:2024-10-08 07:35 IST

Chitrakoot News (Pic-Newstrack)

Chitrakoot News: भाजपा के जिला महामंत्री व तुलसी स्मारक सभा के सदस्य डॉ. अश्विनी अवस्थी ने सोमवार को डीएम शिवशरणप्पा जीएन से मुलाकात कर नगर पालिका भवन निर्माण के संबंध में शिकायती पत्र सौंपा। इसके साथ उन्होंने डीएम को दस्तावेजी साक्ष्य भी उपलब्ध कराए हैं। उन्होंने बताया कि तुलसी स्मारक सभा अपने नाम आवंटित पट्टे की भूमि पर अवैध रूप से कार्यालय भवन का निर्माण करा रही है। इसे रोककर संबंधित के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई की जाए।

शिकायती पत्र में कहा गया कि डीएम तुलसी स्मारक सभा के अध्यक्ष हैं और एसडीएम कर्वी पदेन सचिव हैं। इसमें स्वयं समेत कई अन्य लोग सदस्य हैं। कहा गया कि राजस्व अभिलेखों में दर्ज नजूल भूखंड संख्या 613 ​​तीन बीघा है। यह वर्ष 1915 से लगातार तुलसी स्मारक सभा कर्वी के नाम पट्टे पर आवंटित है। जिसका समय-समय पर तुलसी स्मारक सभा के नाम नवीनीकरण होता रहता है।

31 मई 1995 को डीएम के माध्यम से सभा के नाम लीज का नवीनीकरण 25 जून 1995 से 24 जून 2025 तक के लिए किया गया। नगर पालिका तुलसी स्मारक सभा के नाम लीज पर आवंटित भूमि पर अवैध रूप से कार्यालय भवन का निर्माण करा रही है। शिकायती पत्र में कहा गया है कि भ्रामक प्रचार किया जा रहा है कि शासन द्वारा स्मारक सभा का आवंटन निरस्त कर दिया गया है तथा यह भूमि पालिका को कार्यालय भवन निर्माण के लिए आवंटित कर दी गई है। जबकि पालिका को लीज अवधि समाप्त होने के बाद भूमि को फ्रीहोल्ड कराकर निर्माण कार्य शुरू कराना चाहिए था। लेकिन पालिका गलत तरीके से नजूल नीति के विरुद्ध निर्माण करा रही है।

मांग की कि तुलसी स्मारक सभा की भूमि पर निर्माण रुकवाया जाए और संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाए। साथ ही इस भूमि पर गोस्वामी तुलसीदास के जीवन से संबंधित संग्रहालय, सभागार और तुलसी स्मारक सभा का कार्यालय बनवाया जाए। उधर, इस मामले में ईओ नगर पालिका लाल जी यादव का कहना है कि तुलसी स्मारक सभा में जिस व्यक्ति के नाम पट्टा आवंटित हुआ था, उसकी मृत्यु हो चुकी है। वर्तमान में उसका कोई वारिस नहीं है। जिसके चलते यह भूमि सरकारी हो गई है। नजूल भूमि पर कार्यालय भवन बनाने का अधिनियम में प्रावधान है। व्यवसायिक निर्माण नहीं किया जा रहा है। ऐसे में किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।

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