Chitrakoot News: शरद पूर्णिमा में श्वांस और दमा के मरीजों की खीर खाने को जुटी रही भीड़
Chitrakoot News: पकाने के बाद खीर के बर्तन को रात में खुला रखा जाता है। इस खीर में धर्मनगरी के कुछ चिन्हित वैद्य श्वांस और दमा की देशी दवा को डालते है। पूरी रात चंद्रमा की रोशनी में खीर से भरी हांडी खुले आसमान के नीचे रखी जाती है।
Chitrakoot News: शरद पूर्णिमा पर कामदनाथ प्रमुख द्वार में श्वांस और दमा बीमारी की दवा खीर के साथ खिलाने की परंपरा बहुत पुरानी चली आ रही है। हर बार की तरह इस साल भी शरद पूर्णिमा में खीर खाने के लिए श्वांस और दमा के मरीजों की भीड़ धर्मनगरी में जुटी रही।
बताते हैं कि कामदगिरि परिक्रमा मार्ग और रामघाट में गाय के दूध, गोबर के कंडे की आग से बिना शक्कर की मिट्टी की हांडी में चावल की खीर बनाई जाती है। पकाने के बाद खीर के बर्तन को रात में खुला रखा जाता है। इस खीर में धर्मनगरी के कुछ चिन्हित वैद्य श्वांस और दमा की देशी दवा को डालते है। पूरी रात चंद्रमा की रोशनी में खीर से भरी हांडी खुले आसमान के नीचे रखी जाती है। जिससे चंद्रमा की किरणें भी खीर पर पडती है। जिससे दवा बेहद असरदायक हो जाती है।
इसके बाद सुबह खाली पेट श्वांस और दमा के मरीज को खीर खिलाने से उसे बीमारी से बेहद लाभ मिलता है। इस दौरान धर्मनगरी में चावल, दूध, मिट्टी की हांडी व गोबर के कंडो की बडे पैमाने पर दुकानें भी सजती है। इसके पहले श्रृद्धालुओं ने सुबह मां मंदाकिनी में स्नान के बाद महाराजाधिराज मत्यगयेन्द्रनाथ में जलाभिषेक किया। इसके बाद प्रमुख द्वार पहुंचकर श्रृद्धालुओ ने कामदनाथ स्वामी का पूजन दर्शन कर परिक्रमा लगाई।