Chitrakoot News: आठ सूत्रीय मांगों को लेकर मुखर हुए प्रधान, सीएम को भेजा ज्ञापन
Chitrakoot News: ज्ञापन में कहा गया कि सहायक सचिव कम डाटा एंट्री ऑपरेटर, शौचालय केयरटेकर एवं प्रधान के मानदेय की व्यवस्था राज्य सरकार द्वारा अलग से करने का वादा किया गया था, जिस पर तत्काल अमल किया जाए।
Chitrakoot News: प्रधान संघ जिलाध्यक्ष सुनील शुक्ला की अगुवाई में शनिवार को कलेक्ट्रेट में लामबंद प्रधानों ने एडीएम न्यायिक राजेश कुमार को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने अवगत कराया कि बीते 15 दिसंबर 2021 को प्रदेश भर के प्रधानों को डिफेंस एक्सपो मैदान लखनऊ में आमंत्रित कर मुख्यमंत्री ने कई घोषणाएं की थीं, जिन पर अमल करना तो दूर रहा, बल्कि ग्राम पंचायतों को प्रयोगशाला बनाते हुए नित नए-नए शासनादेश जारी कर विकास कार्यों में अवरोध पैदा किया जा रहा है। जिससे तीसरी सरकार के निर्वाचित प्रतिनिधियों में सरकार के प्रति असंतोष बढ़ रहा है। जिसे रोका जाना आवश्यक है।
ज्ञापन में कहा गया कि सहायक सचिव कम डाटा एंट्री ऑपरेटर, शौचालय केयरटेकर एवं प्रधान के मानदेय की व्यवस्था राज्य सरकार द्वारा अलग से करने का वादा किया गया था, जिस पर तत्काल अमल किया जाए। रजिस्टर्ड डिप्लोमा होल्डर अथवा जनपद में नियुक्त किसी भी तकनीकी सहायक से स्टीमेट बनवाने की छूट का प्राविधान करने का आश्वासन दिया गया था, जिस पर अमल किया जाना जरुरी है। प्रधानों, वीडीसी एवं डीडीसी की सहभागिता में पंचायतों से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए जनपद स्तर पर माह में एक बार डीएम व एसपी की अध्यक्षता में पंचायत दिवस मनाने का वादा किया गया था, जिसका यथाशीघ्र क्रियान्वयन कराया जाए। इसी तरह जिला योजना समिति में प्रधानों को प्रतिनिधित्व देने का वादा किया गया था।
एक अभिनव प्रयोग करते हुए निदेशक पंचायतीराज ने मानदेय पर नियुक्त अप्रशिक्षित पंचायत सहायक/एकाउंटेंट कम डाटा एंट्री आपरेटर को पंचायत गेट-वे साफ्टवेयर को एकीकृत करते हुए अपने रजिस्टर्ड मोबाइल से पंचायत सचिवालय में स्थापित कम्प्यूटर सिस्टम से भुगतान के लिए अधिकृत कर दिया गया तथा बिना किसी तकनीकी प्रशिक्षण एवं क्षमता का आंकलन किए उन्हें सत्यापन करने का अधिकार दे दिया गया है। विकास कार्य में बाधक इस अव्यवहारिक आदेश को तत्काल वापस लिया जाए। इस दौरान ब्लाक अध्यक्ष कर्वी विष्णुकांत पांडेय, गोविंद निषाद, प्रदीप सिंह, कमल यादव, लवलेश निषाद, निहारिका सिंह, विक्की सिंह, विपिन मिश्रा, विनोद त्रिपाठी, बीटू शुक्ला, हेम सिंह, विद्यासागर, प्रमोद कुमार, धीरेन्द्र कुमार, अरिमर्दन सिंह, जहूर अली, यूसुफ अली आदि मौजूद रहे।
यह रही मांगें
- 237 रुपये रोजाना की मजदूरी पर मजदूर काम करने को तैयार नहीं है। इसे बढ़ाकर कम से कम 400 रुपये प्रतिदिन किया जाए।
- वर्ष 1993 में पारित 73 वें संविधान संशोधन विधेयक के तहत 29 विषय व उनसे जुड़े अधिकार, कोष, कार्य और पंचायत कर्मियों को पंचायतों को सौंपकर सत्ता विकेंद्रीकरण की आदर्श व्यवस्था लागू की जाए।
- राज्य वित्त आयोग व प्रशासनिक सुधार आयोग की समस्त प्रमुख सिफारिशों को उत्तर प्रदेश में लागू किया जाए।
- प्रधानों, क्षेत्र पंचायत सदस्यों एवं जिला पंचायत सदस्यों की सुरक्षा के लिए शस्त्र लाइसेंस जारी करने में प्राथमिकता दी जाय।
- प्रधानों व सभी त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों के विरुद्ध अभियोग पंजीकरण से पूर्व उपनिदेशक पंचायतीराज से अनुमति का प्राविधान किया जाय।
- बिना शपथ-पत्र के प्रधानों की जांच न करायी जाए। झूठी शिकायत मिलने पर शिकायतकर्ता के विरुद्ध भी कानूनी कार्रवाई अनिवार्य की जाए।
- गांव के विकास के लिए सरकार को टैक्स आदि से प्राप्त राजस्व का 70 प्रतिशत ग्राम पंचायतों को उपलब्ध कराया जाए।
- पंचायत से जुड़े राजस्वकर्मी, पंचायतकर्मी, आंगनवाड़ी, राशन कोटेदार व प्राथमिक विद्यालय के अध्यापकों की उपस्थिति कार्य प्रमाणन, निलंबन की संस्तुति सहित सभी मामलों में पंचायतों को पूर्ण अधिकार दिया जाए।