Chitrakoot News: स्काई ग्लास ब्रिज का निर्माण पूरा होने से पहले कंपनी को कर दिया भुगतान
Chitrakoot News: डीएम शिवशरणप्पा जीएन ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। एक दिन पहले ही वह ब्रिज का निरीक्षण करने पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि स्काई ग्लास ब्रिज में दरारें आने का मामला उनके संज्ञान में है।
Chitrakoot News: विंध्य श्रृंखलाओं से घिरे पाठा क्षेत्र में पर्यटन विकास के लिए सरकार हर तरह से प्रयास कर रही है। इसके लिए ईको पर्यटन विकास के तौर पर काम कराए जा रहे है। लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के चलते पर्यटन विकास के कार्यों को पलीता लग रहा है। कार्यों में निर्माण के पहले ही अग्रिम भुगतान कर दिया जा रहा है। ऐसा ही कुछ तुलसी जल प्रपात में निर्माणाधीन स्काई ग्लास ब्रिज में सामने आया है। यहां पर सीढ़ियों के नीचे प्लेटफार्म में दरारें आने के बाद गुणवत्ता को लेकर सवाल उठ रहे है। इस ब्रिज का निर्माण पूरा होने से पहले ही कार्यदाई कंपनी को पूरा भुगतान विभागीय जिम्मेदार अधिकारियों ने पूर्व में ही कर दिया है।
मारकुंडी के पास तुलसी जल प्रपात में प्रदेश का पहला स्काई ग्लास ब्रिज बन रहा है। इसकी लागत करीब तीन करोड़ 70 लाख है। वन विभाग ने पवनसुत कांस्ट्रक्शन कंपनी गाजीपुर को दिया था। अभी लोकसभा चुनाव के पहले वन विभाग ने दावे किए थे कि ब्रिज का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है। लेकिन चार दिन पहले बारिश के बाद ब्रिज की सीढियों के नीचे प्लेटफार्म में दरारें दिखी तो प्रशासनिक अमले में हडकंप मच गया और ब्रिज के निर्माण में गुणवत्ता को लेकर सवाल उठने लगे। वन विभाग के अधिकारी यह कहकर बचाव करते नजर आए कि अभी काम पूरा नहीं हुआ है और ब्रिज उनको हैंडओवर नहीं किया गया है।
हैंडओवर से पहले वह इसकी गुणवत्ता की जांच कराएंगे। बताते हैं कि ब्रिज निर्माण कर रही कंपनी को वन विभाग के तत्कालीन जिम्मेदार अधिकारियों ने मार्च 2023 तक पूरा भुगतान तीन करोड 70 लाख कर दिया है। जबकि उस समय ब्रिज निर्माण की शुरुआत हुई थी। सवाल यह उठ रहा है कि जब उस दौरान केवल ब्रिज का प्लेटफार्म ही बन रहा था तो पूरा भुगतान करने की वजह क्या रही। अब ब्रिज के प्लेटफार्म में दरारें आने के बाद ऐसे सवालों के घेरे में जिम्मेदार आ रहे है। देखा जाए तो भुगतान में नियमों की अनदेखी हुई है। क्योंकि किसी भी निर्माण कार्य में संबंधित कार्यदाई संस्था को निर्माण पूरा होने से पहले भुगतान नहीं होता। संबंधित विभाग कार्य पूरा होने व हैंडओवर के बाद सत्यापन कराने पर ही पूरा भुगतान करता है, जब पूरी तरह तकनीकी जांच में स्पष्ट हो जाता है कि संबंधित कार्य गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों के अनुरुप है।
रिटायर होने से पहले जिम्मेदारों ने जल्दबाजी में कर दिया भुगतान
वन विभाग के जिम्मेदारों की शायद नजरें शासन से बजट आवंटन होते ही भुगतान पर ही टिकी रही है। यही वजह थी कि कार्य की वित्तीय और भौतिक प्रगति को अनदेखा करते हुए महज एक ही वित्तीय वर्ष के भीतर कई किश्तों में कार्य करा रही कंपनी को पूरा भुगतान दे दिया गया। इसके पीछे एक वजह यह भी बताई जा रही है कि उस दौरान विभागीय जिम्मेदार सेवानिवृत्त भी होने वाले थे। जिस पर भुगतान में जल्दबाजी की गई। इनके दबाव में निचले स्तर पर कार्य का सुपरविजन करने वाले अधिकारी व कर्मचारी भी खामोशी साधे रहे। पुल निर्माण शुरु होने से लेकर अब तक दो जिम्मेदार सेवानिवृत्त हो चुके है। इस तरह देखा जाए तो यह ब्रिज भी पाठा में अब तक कराए जा चुके अन्य निर्माण कार्यों की तरह कमीशनखोरी का शिकार हो गया।
डीएम बोले, टीम गठित कराई जा रही जांच
डीएम शिवशरणप्पा जीएन ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। एक दिन पहले ही वह ब्रिज का निरीक्षण करने पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि स्काई ग्लास ब्रिज में दरारें आने का मामला उनके संज्ञान में है। वह खुद निरीक्षण कर मौके पर स्थिति देखी है। निरीक्षण के दौरान कुछ कमियां मिली है, जिनको सही कराने के निर्देश उपनिदेशक रानीपुर टाईगर रिजर्व को दिए गए है। ब्रिज का काम अभी पूरा नहीं हुआ है। इस मामले की पूरी जांच के लिए एक समिति बनाई गई है। यह समिति पूरे कार्य की जांच कर रिपोर्ट देगी।
डीएफओ बोले, उनके कार्यकाल में नहीं हुआ भुगतान
ब्रिज में सीढ़ियों के नीचे प्लेटफार्म में दरारें आने के बाद अब अधिकारी अपना बचाव करने में जुटे है। उननिदेशक रानीपुर टाईगर रिजर्व डीएफओ डा एनके सिंह का कहना है कि ब्रिज में जो भी कमियां है, उनको दुरुस्त कराया जा रहा है। मौजूदा स्थिति के संबंध में उन्होंने रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजी है। कहा कि ब्रिज निर्माण के लिए भुगतान उनके कार्यकाल से पहले किया गया है। उच्चाधिकारियों को इस संबंध में उन्होंने अवगत कराया है। वह निर्माण के दौरान कई बार निरीक्षण करने गए है। ब्रिज अभी हैंडओवर नहीं हुआ है।