विजय दिवस: जब पाकिस्तान धूल चाटने पर हुआ मजबूर, करना पड़ा आत्मसमर्पण

आज विजय दिवस के 50वें वर्ष की स्वर्णिम शुरुआत हो रही है ऐसे में सभी देशवासियों का कर्तव्य बनता है कि 1971 के युद्ध के वीर सैनिकों, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा में अपने प्राणों को बलिदान कर दिया, का स्मरण किया जाए और उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए जाए।

Update:2020-12-16 19:44 IST
विजय दिवस: जब पाकिस्तान धूल चाटने पर हुआ मजबूर, करना पड़ा आत्मसमर्पण

लखनऊ: आज विजय दिवस के मौके पर भारतीय नागरिक परिषद के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में एक प्रस्ताव पारित कर भारत सरकार से मांग की गई कि पाकिस्तान पर निर्णायक विजय के 50वें वर्ष में पाक अधिकृत कश्मीर को, जो भारत का अभिन्न अंग है, भारत में सम्मिलित करने के सभी प्रयास किए जाएं। वक्ताओं ने कहा कि राजनीतिक निर्णय लेने की आवश्यकता है, भारतीय सेना इस कार्य में पूरी तरह सक्षम है।

बांग्लादेश को पाकिस्तान के चंगुल से आजाद कराया

बता दें कि विजय दिवस समारोह में बोलते हुए मुख्य वक्ता वरिष्ठ कर्मचारी नेता शैलेंद्र दुबे ने कहा कि 16 दिसंबर 1971 को सायं 4:30 बजे वह गौरवशाली क्षण आया था जब भारतीय सेना की मदद से मुक्त वाहिनी ने बांग्लादेश को पाकिस्तान के चंगुल से आजाद करा दिया और भारतीय उपमहाद्वीप का इतिहास और भूगोल दोनों बदल गया।

वीर सैनिकों ने पाकिस्तान को धूल चाटने पर मजबूर कर दिया

उन्होंने कहा कि आज विजय दिवस के 50वें वर्ष की स्वर्णिम शुरुआत हो रही है ऐसे में सभी देशवासियों का कर्तव्य बनता है कि 1971 के युद्ध के वीर सैनिकों, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा में अपने प्राणों को बलिदान कर दिया, का स्मरण किया जाए और उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए जाए। शैलेंद्र दुबे ने कहा कि सीमित संसाधन और विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भारतीय सेना के जांबाज सैनिकों के बुलंद हौसलों ने वर्ष 1971 में हुए युद्ध में पाकिस्तान को धूल चाटने पर मजबूर कर दिया ।भारतीय सेना का प्रहार इतना तीव्र था कि तबाही से घबराई पाकिस्तानी सेना को आज के ही दिन आत्मसमर्पण करने को मजबूर होना पड़ा।

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शत्रु सेना का यह सबसे बड़ा आत्मसमर्पण था

दुनिया के किसी भी युद्ध के दौरान शत्रु सेना का यह सबसे बड़ा आत्मसमर्पण था। पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने घुटने टेक दिए और आत्मसमर्पण किया। भारतीय सेना का यह शौर्य विश्व के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित हो गया है। उन्होंने कहा कि भारत की सेना अपनी प्रामाणिकता सिद्ध कर चुकी है आत: यह समय की पुकार है कि पाक अधिकृत कश्मीर को भारत में मिलाने की मुहिम को अंजाम दिया जाए और 1962 की हार का बदला लेने के लिए भी सही समय आ गया है।

चीन की सेना को 1971 जैसा सबक सिखाया जाए

इसके लिए सबसे जरूरी है कि चीन के साथ अनावश्यक वार्ताओं का दौर समाप्त किया जाए और चीन की सेना को 1971 जैसा सबक सिखाया जाए। उन्होंने 1971 के युद्ध के जांबाज शहीदों निर्मलजीत सिंह शेखों ,अल्बर्ट एक्का और महेंद्र नारायण मुल्ला के बलिदान की अमर गाथा सुनाई। उन्होंने विशेष रूप से फील्ड मार्शल मानेक शॉ और ले जनरल जगतजीत सिंह अरोड़ा के स्मरण किया।

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1971 युद्ध के सेनानी कैप्टन राम यज्ञ सिंह चौहान मौजूद थे

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए 1971 युद्ध के सेनानी कैप्टन राम यज्ञ सिंह चौहान ने जो पूर्वी पाकिस्तान के मोर्चे पर लड़े थे संघर्ष की सजीव गाथा सुनाई। भारतीय नागरिक परिषद के अध्यक्ष चंद्र प्रकाश अग्निहोत्री, संस्थापक ट्रस्टी रमाकांत दुबे, महामंत्री रीना त्रिपाठी, विद्युत अभियंता संघ के महासचिव प्रभात सिंह ने 1971 के युद्ध के सेनानियों का स्मरण करते हुए उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

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