Gomti River: गोमती सफाई के लिए बहुत हुई याचना, अब सामूहिक भूख हड़ताल और होगा जल सत्याग्रह
Gomti River: ऋद्धि किशोर गौड़ 2 दशक से मां गोमा की हालत सुधारने का प्रयास कर रहे हैं। सरकार किसी की भी हो ऋद्धि आपको मंत्रियों के पास गोमती उद्धार के लिए चक्कर लगाते दिख जाएंगे।
Gomti River Cleanness Drive: गोमती मैया के पास 20-25 हजार वोट होते तो आज उनको अपनी ये दुर्दशा नहीं देखनी पड़ती। किसने कहा ये? हम आपको आगे बताने वाले हैं। पहले ये जान लीजिए कि बुधवार सुबह हम सबसे पहले पहुंचे गऊघाट यहां से गोमती शहर में प्रवेश करती हैं। इसके बाद कहीं पैदल कहीं नाव और बाइक से हमने दो दिन तक कभी गोमती किनारे कभी गोमती में ये तलाशने कि कोशिश की कि जिस नदी के उद्धार के लिए 3500 करोड़ जैसी बड़ी रकम बहा दी गई वो कितना बदली। लेकिन करीब 20 किलोमीटर के इस सफ़र में हमें कहीं देखने को नहीं मिला कि गोमती का पानी इस लायक भी है कि चिलचिलाती गर्मी में उससे मुंह भी धोया जा सके। पानी का रंग बदरंग, कूड़े के ढेर बीच नदी में बंधा सब दिखा। जो गवाही दे रहा था कि इसे नदी क्यों कहते हैं बड़ा नाला घोषित कर देना चाहिए।
ऊपर आपने जो पढ़ा वो कहने वाले हैं ऋद्धि किशोर गौड़ (Ridhi Kishore Gaur)। ऋद्धि 2 दशक से मां गोमा की हालत सुधारने का प्रयास कर रहे हैं। सरकार किसी की भी हो ऋद्धि आपको मंत्रियों के पास गोमती उद्धार के लिए चक्कर लगाते दिख जाएंगे। राजनाथ सिंह, पूर्व नगर विकास मंत्री लाल जी टंडन, उमा भारती, पूर्व नगर विकास मंत्री अभिषेक मिश्रा, पूर्व जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह, पूर्व नगर विकास मंत्री गोपाल टंडन सभी से ऋद्धि गुहार लगा चुके हैं। आश्वासन भी मिले। ये नेता मंत्री गोमती तट तक आए भी। लेकिन किया कुछ नहीं।
ऋद्धि से बातचीत का सिलसिला
हमने पता किया ऋद्धि हमसे कहां मिल सकते हैं। उन्होंने जवाब दिया मां गोमा के आंचल में जब आप कहिए मुलाकात हो जाएगी। गुरूवार सुबह 9:30 पर ऋद्धि से हमारी मुलाकात होती है। इसके बाद शुरू होता है बातचीत का सिलसिला..
ऋद्धि बताते हैं कि 21 साल में 3500 करोड़ रूपया खर्च हुआ है, गोमती के नाम पर। लेकिन ये पैसा इमानदारी से नहीं खर्च हुआ। यदि ऐसा हुआ होता तो आज गोमती निर्मल होतीं स्नान करने लायक होती।
सबसे मजेदार बात उन्होंने कही कि गोमती मैया मुद्दा नहीं हैं। आज अगर गोमती मैया के पास 20–25 हजार वोट होते तो सभी दल लगे होते। उनकी दुर्दशा नहीं होती।
ऋद्धि ने बताया कि उन्होंने रिवर फ्रंट की दीवार का विरोध किया, लेकिन रिवर फ्रंट की दीवार मानकों के विपरीत बना दी गई। ये बात उसे बनाने वाले भी जानते थे लेकिन उन्होंने चुप्पी साध ली।
ऋद्धि कहते हैं जिस तरह से नाले गिर रहे हैं कुछ दिन बाद गोमती की पहचान कुकरैल नाले की तरह होने लगेगी।
अब आगे क्या सोचा है इसपर ऋद्धि ने बताया कि वो 15 मई तक इंतजार कर रहे हैं। इसके बाद याचना नहीं होगी। हम सामूहिक भूख हड़ताल करेंगे जल सत्याग्रह करेंगे और तबतक पीछे नहीं हटने वाले जबतक सरकार हमारी सुनेगी नहीं। हम भी देखेंगे कब तक नहीं सुनेगी सरकार।
क्या हैं ऋद्धि कि मांगे
एसटीपी की क्षमता बढ़ाई जाए।
समय समय सिल्ट निकाली जाए।
शारदा नहर से पानी लगातार आने लगे।
गहराई बढाई जाए।
धोबी घाट स्थान्तरित हों।
अभीतक क्या हुआ उद्धार के नाम पर
बीजेपी सरकार थी सूबे में और लाल जी टंडन नगर विकास मंत्री थे। चौक के रहने वाले टंडन वर्षों से गोमती की दुर्दशा देख रहे थे। मंत्री बनें तो गोमती सफाई कि योजना बना डाली। कोलकाता से ड्रेजिंग मशीन स्वाति 17 ट्रक में लाद कर कला कोठी घाट लाई गई। उसने नदी कि सिल्ट हटाई और इसके बाद हुआ ये कि इस सिल्ट की नीलामी होगी। लेकिन बारिश आने तक नीलामी प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी और ये सिल्ट वापस नदी में मिल गई। इसके बाद कई बार और ड्रामें होते रहे सफाई के लेकिन हुआ कुछ नहीं जबकि गोमती सफाई पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपाई का ड्रीम था।
इसके बाद जब सूबे में मुलायम सरकार का गठन हुआ तो फिर सरकार को गोमती सफाई का ध्यान आया और नगर विकास मंत्री आज़म खान ने दावा किया कि स्विटजरलैंड की तरह गोमती को संवारा जाएगा। कुछ निर्माण कार्य आरंभ भी हुए जिनका जिम्मा सौंपा गया सीएंडडीएस को। इस बार करीब पांच करोड़ खर्च हुए। सरकार बदल गई तो काम रोक दिया गया।
इसके बाद आई मायावती की सरकार इसमें गोमती को तलहटी तक साफ़ करने का जिम्मा यूपी प्रोजेक्ट कारपोरेशन को दिया गया। इस काम में एक करोड़ खर्च खर्च हुए। इसके बाद फिर माया सरकार ने तक़रीबन 40 करोड़ खर्च किये।
सूबे में जब अखिलेश सरकार आई तब सपा सरकार में करीब 1800 करोड़ से गोमती सौदर्य का काम आरंभ हुआ। रिवर फ्रंट के नाम पर पैसा बहाया गया। लेकिन गोमती के हिस्से कुछ नहीं आया।
बल्कि वेटलैंड को खत्म कर दिया गया। भूगर्भ जल रीचार्ज का कोई जरिया नहीं छोड़ा गया। रिवर फ्रंट तैयार करने की इतनी जल्दी थी कि गोमती की जैविकता का भी ध्यान नहीं रखा गया।
जब सूबे में योगी सरकार बनी तो रिवर फ्रंट जाँच के घेरे में आ गया। ४ साल पहले योगी सरकार ने लखनऊ में गोमती नदी सफाई महाअभियान चलाया सीएम और उनके मंत्री ने कचरा उठाया फोटो अख़बारों में छपे और हो गई इतिश्री।
क्या बोले मंत्री
ऋद्धि से बात करने के बाद हमने बात की केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर से। उन्होंने कहा कि वो जल्द ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर गोमती की सिल्ट सफाई के बारे में बात करेंगे।
हमने योगी कैबिनेट के मत्स्य मंत्री संजय निषाद से भी बात कि आखिर नदी से जुड़ा विभाग है उनके पास। हमने सवाल किया कि क्या आप के पास गोमती नदी को लेकर कोई योजना है? उन्होंने साफ़ बोल दिया नहीं।
हमने कई और मंत्रियों से भी बात करने का प्रयास किया लेकिन बात हुई नहीं। अब देखना ये होगा कि जब सामूहिक भूख हड़ताल और जल सत्याग्रह आरंभ होगा तो सरकार क्या करेगी? और क्या जो पिछले 21 साल में नहीं हुआ अब होगा? वैसे ये जिम्मेदारी सिर्फ किसी एक ऋद्धि कि नहीं है ये लखनऊ की लाइफ लाइन से जुड़ा मामला है। इसके लिए शहर में रह रहे हर एक व्यक्ति को आगे आना चाहिए।
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